मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में करोड़ो साल पहले डायनासोर करते थे राज, यहाँ मौजूद है उनके जीवाश्म और अंडे

मध्यप्रदेश में करोड़ो साल पहले डायनासोर करते थे राज, यहाँ मौजूद है उनके जीवाश्म और अंडे
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Dinosaur Fossils National Park. जब इंसानो का वजूद भी नहीं था तब धरती में डायनासॉर की हुकूमत थी. सब को लगता है डायनासॉर अफ्रीका और अमेरिका में थे लेकिन ऐसा नहीं है।

Dinosaur Fossils National Park: आज से करोड़ो साल पहले पृथ्वी में इंसानों का नामोनिशान नहीं था, मानवजाति का कोई वजूद नहीं था और ना ही आदिमानव हुआ करते थे. तब सिर्फ हज़ारो फ़ीट ऊँचे पेड़ों के घने जंगल और विशालकाय जीव जिन्हे हम डायनासोर कहते हैं वो रहते थे। आपने डायनासोर नाम भी फिल्म जुरासिक पार्क से ही सुना होगा और वो कैसे दीखते रहे होंगे ये भी फिल्म में देख कर ही पता चला होगा।

सबको यही लगता है कि डायनासोर अमेरिकी महाद्वीप और अफ्रीका महाद्वीप में रहते होंगे लेकिन ऐसा नहीं है भारत में भी करोड़ों साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं और वो भी मध्य प्रदेश में तो डायनासोर युग की याद दिलाने वाला Dinosaur Fossils National Park भी मौजूद है। जहाँ करोड़ों साल पुराने फॉसिल्स और उनके अंडे संरक्षित हैं आप उन्हें देख भी सकते हैं।


मध्य प्रदेश में धार जिले के मांडू में मौजूद काकड़ा खो खाई में देश का पहला ऐसा आधुनिक डायनो पार्क बनाया गया है जहँ 6.5 करोड़ से भी ज़्यादा पुराने इतिहास को आप महसूस कर सकते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक जबडायनासोर के कृतिम आकर को देखते हैं तो उनकी आंखे चौंधिया जाती है मांडू के डायनो पार्क में डायनासॉर के जीवन, उत्पत्ति, अंत और खान पान की जानकारी तो मिलती ही है साथ ही यहाँ डायनासोर के 24 अंडे भी देखने को मिलते हैं.

धार में आकर अंडे देते थे डायनासोर


डायनासोर फॉसिल्स वैज्ञानिक विशाल वर्मा ने अपनी रिसर्च में लिखा है कि धार जिले में डायनासोर ना सिर्फ अपने अंडे देने आते थे बल्कि यहाँ करोड़ों साल पहले समुद्र हुआ करता था यहाँ जमीन नहीं थी सिर्फ पानी ही पानी था. इसी लिए यहाँ जमीन में रहने वाले डायनासोर के अलावा समुद्री डायनासोर के जीवाश्म भी मिले हैं। धार की मनवार तहसील में सीतापुरी गांव से सी अर्चिन नामक की प्रजाति के जीवाश्म भी मिले हैं। आपको बता दें की जो सी अर्चिन के जीवाश्म यहाँ मिले हैं वो पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिले।

डायनासौर के अंडे मिले थे


एमपी के मंदसौर के मोहनटोला क्षेत्र से 6.5 करोड़ साल पुराने डायनासोर के अंडे मिले थे। तब से ये जगह अंतराष्टीय शोध केंद्र बन गई है। मड़ला से कुल 7 अंडे मिले थे जिनका वजन 2.5 किलो है। बीते सालों में डाहर जिले से खोजकर्ताओं ने डायनासोर के 65 से ज़्यादा जीवाश्म और 200 से ज़्यादा अंधे खोज निकाले हैं. साल 2014 में कुछ अंडे चोरी भी हो गए थे।

नर्मदा नदी के तट पर भी मिले कई जीवाश्म


अमरकंटक से शुरू होने वाली नर्मदा नदी में के तट पर भी डायनासोर के जीवाश्म मिले थे जबलपुर से गुजरने वाली नर्मदा नदी के तट पर विशालकाय छिपकली के जीवाश्म मिले थे। जब डायनासौर यहाँ रहते थे तब भारत कोई देश नहीं था उस वक़्त की इस विशालकाय भौगोलिक आकृति को गोंडवाना लैंड कहा जाता है। साल 1828 में कर्नल स्लीमन ने सबसे पहले जबलपुर में डायनासोर के अवशेष ढूंढे थे। जबलपुर के साइंस म्युसियम में 7 करोड़ साल पुराना डायनासोर का अंडा आज भी संरक्षित है। वहीँ सूतपाल की पहाड़ियों में उड़ने वाले डायनासोर के घोसले भी मिले है जहाँ उनके निशान आज भी देखे जा सकते हैं।

पार्क में ये सब भी है


धार के डायनो पार्क (Dhar Dino Park) में सिर्फ डायनोसोर के जीवाश्म बस नहीं है यहाँ करोड़ों साल पुराने विशालकाय दरख्तों के जीवाश्म भी है, इसके अल्वा करोड़ो साल पुरानी शार्क मछली की प्रजाति के जीवाश्म और मनवार की चट्टानों में मांसाहारी डायनासोर के दांत भी देखने को मिलते हैं। यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।


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