मध्यप्रदेश

MP: करंट से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए विभाग ने जारी किये दिशानिर्देश

Saroj Tiwari
3 Jan 2022 9:22 AM GMT
mp news
x
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में करंट से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए विभाग ने जारी किये दिशानिर्देश।

जबलपुर (Jabalpur) विद्युत वितरण कंपनी ने आम जनता से कहा कि करंट से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए आम जनता को जागरूक होना पड़ेगा। इस संबंध में कंपनी ने सुरक्षा संबंधी मापदंड जारी किए हैं। विद्युत सुरक्षा की दृष्टि से विद्युत लाईनों से धरातल, भवनों से सुरक्षित दूरी आदि के लिए केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा मापदंड निर्धारित किए गए हैं।

केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मापदंड अनुसार ऐसा क्षेत्र जहां वाहन, टैफिक न हो वहां जमीन से कंडक्टर की दूरी 4-6 मीटर, सड़क के समानांतर विद्युत लाईनों के निचले कंडक्टर से जमीन की दूरी 5-5 मीटर तथा सड़क क्रासिंग करती विद्युत लाईनों के निचले कंडक्टर की जमीन से दूरी 5-8 मीटर होनी चाहिए। किसी मकान के ऊपर से गुजरने वाली लाईन के निचले कंडक्टर एवं मकान के सबसे ऊपर हिस्से के बीच की दूरी 2-5 मीटर तथा 3-7 मीटर होनी चाहिए। किसी मकान के पास से गुजरने वाली लाइन के सबसे नजदीकी कंडक्टर की मकान से दूरी 1-2 मीटर, 2 मीटर तथा लाईन एवं पेड़ की डाली के बीच की दूरी 1-2 मीटर, 2 मीटर होनी चाहिए।

आम जनता से अपील है कि अपने आवासीय परिसर अथवा स्थापनाओं से विद्युत लाइनो की दूरी निर्धारित मापदंडो के अनुसार रखें। निम्नदाब और मध्यदाब स्थापनाओं में प्रायः व्यक्ति विद्युतमय चालक के सीधे सम्पर्क में आता है, जबकि उच्च दाब स्थापनाओं में वह विद्युतमय चालक से सीधे सम्पर्क में आने के पूर्व ही फ्लेश ओव्हर डिस्टेंस में आने से स्पार्क हो कर झुलस जाता है। इस प्रकार दुर्घटना का घातक तथा गैर घातक होना दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के डिग्री ऑफ बर्न्स पर निर्भर रहता है।

निम्नदाब अथवा मध्यदाब स्थापनाओं में सुरक्षा के लिए साधारणतया केवल फ्यूज लगाए जाते हैं। साधारण फ्यूज अपनी क्षमता से अधिक करंट बहने पर ही गर्म हो कर पिघल जाता हैए इसमें कुछ समय लगता है और यही समय ष्ष्दुर्घटनाग्रस्तष्ष् होने के लिए घातक सिद्ध होता है, परन्तु अर्थिंग सही हो तो फ्यूज अतिशीघ्र उड़ जाता है।

इसी कारण से विद्युत स्थापनाओं में व्यवस्था अति महत्वपूर्ण हो जाती है। घरेलू स्थापनाओं में विद्युत दुर्घटनाएं मुख्यतः वायरिंग एवं फिटिंग में खराबी आने से तथा उपकरणों में खराबी आने से लीकेज या शार्ट-सर्किट के कारण होती है। बिजली उपभोक्ताओं से अपील है कि वे आईएसआई मार्क के उपकरण ही उपयोग में लाए।

Next Story