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Coronavirus in MP: थर्मल स्क्रीनिंग निगेटिव, इसका मतलब यह नहीं है की कोरोना नहीं हो सकता
Coronavirus in MP
भोपाल. थर्मल स्क्रीनिंग में निगेटिव आने का मतलब यह नहीं कि कोरोना वायरस नहीं हो सकता। यह यंत्र तभी काम करेगा, जब आपके शरीर का तापमान बढ़ा हुआ होगा। ऐसा तब होगा, जब आपको बुखार हो। ऐसी स्थिति में सावधान रहने, डॉक्टरों की सलाह मानने, लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराने की सख्त जरूरत है। यह सलाह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के डायरेक्टर प्रो. सरमन सिंह ने दी है। उन्होंने विदेशों से आने वाले नागरिकों और दूसरे आम नागरिकों के लिए कहा है कि बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसा करने से खुद बचने के साथ-साथ दूसरों को भी बचाया जा सकता है। थर्मल स्कैनर किसी संक्रमित व्यक्ति को तब तक नहीं पहचान पाएगा जब तक वह बुखार से पीड़ित न हो। किसी व्यक्ति के कोरोना से संक्रमित होने के 2 से 10 दिन के भीतर बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं, इसलिए थर्मल स्क्रीनिंग में निगेटिव पाए जाने के बाद भी यात्री को संतुष्ट नहीं होना चाहिए। उसे अपने घर पर ही 15 दिन तक क्वोरेंटाइन में रहना चाहिए।
एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि यही गलती है जो हमारे कई प्रवासी-अप्रवासी भारतीय यात्रियों ने की है। इस भूल के पीछे कई कारण रहे हैं जिनमें जागरूकता का अभाव एवं परिवार के सदस्यों के बीच एक जुड़ाव है। कई घटनाओं में यह देखने में आया है कि विदेश से लौटने वाले छात्रों को उनके माता-पिता ने अपने स्नेह व लगाव के कारण खुद से अलग नहीं रखा।
अब इसके दुष्परिणाम पूरी तरह सामने आ रहे हैं। आने वाले दिनों में यह संकट और बढ़ेगा। अभी भी इससे सावधान रहने की जरूरत है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री के बार-बार अपील करने के बावजूद लोग सामाजिक दूरी नहीं बना रहे हैं। इस पर सभी को सोचना चाहिए, दूरी बनाने की सख्त जरूरत है। एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि कोविड-19 वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग सामान्य सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित होते हैं। ऐसे ज्यादातर लोगों के बगैर किसी इलाज के ठीक होने की संभावना भी होती है। फिर भी वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह वायरस गंभीर खतरा है। खासकर जो हृदय रोग, मधुमेह, श्वास रोग तथा कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके लिए कोविड-19 गंभीर खतरा है। वायरस से बचाव व इसके संक्रमण रोकने को सबसे अच्छा तरीका यह है कि विशेषज्ञों तथा सरकारी निर्देशों का पालन करें। बार-बार हाथ धोने या एल्कोहल युक्त सेनेटाईजर से हाथ मसलने तथा चेहरे को न छूने की आदत डाले।
हाथों को साबुन तथा पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं। छींकते और खांसते समय कोहनी के मध्य मुंह रख लें। कोरोना को बहुत सी भ्रांतियां है, उन पर ध्यान न दें। इस बात का पूर्वानुमान भी नहीं लगाया जा सकता है कि यदि संक्रमित लोगों ने वातानुकूलित कमरों, कारों तथा सिनेमाघरों में जाना जारी रखा तो ग्रामीण परिवेश की तुलना में शहरी क्षेत्र में इसका संक्रमण कम हो जायेगा। कुछ इसी प्रकार के अनुभव सिंगापुर तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से सुनने को मिले हैं, इन पर भरोसा न करें।
खांसने-छींकने वालों से 3 मीटर की दूरी बनाएं
डायरेक्टर ने कहा है कि खांसने व छींकने वाले व्यक्ति से 1 मीटर 3 फीट की दूरी बनाकर रखनी होगी। जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसकी नाक एवं मुंह से सूक्ष्म आकार के द्रव्य कण निकलते हैं जिसमें विषाणु हो सकता है और सामान्यत: यह फुहार लगभग 3 फीट की दूरी तक फैलती है और यदि छींक तेज आती है तो यह और भी अधिक दूर तक द्रव्य कणों को फैला सकती है। इस तरह औसतन इसका घेराव लगभग 3 फीट का होता है। यदि ऐसे खांसने वाले कोरोना संक्रमित व्यक्ति के बहुत नजदीक है तो उन कणों को श्वास द्वारा अंदर ले जा सकते है और कोरोना के शिकार हो सकते हैं।
डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों से भेदभाव ठीक नहीं
प्रो. सरमन सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाने वाले डॉक्टर व नर्सों से दुर्व्यहार की बातें सामने आ रही है। ऐसा किया तो कोरोना से देश नहीं लड़ पाएगा। समाज को आगे आना ही होगा। उन्होंने कहा कि पहले समाज के सभी लोग घरों में डॉक्टरों, नर्सों या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को अपने यहां रखना पसंद करते थे लेकिन इस समय भय के मनोविकार ने इसे बदल दिया है। दिल्ली से लेकर भोपाल एवं अन्य शहरों में मकान मालिक स्वास्थ्य कर्मियों को किराये के मकान खाली करने को कह रहे है, जो ठीक नहीं है। प्रशासन तो आगे आया ही है, समाज को भी आने आना होगा।