मध्यप्रदेश

एमपी नगरीय निकाय चुनाव को लेकर CM शिवराज का बड़ा निर्णय, जानें प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष चुने जाएंगे महापौर और नपा अध्यक्ष?

MP urban body elections
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MP Chunav 2022 News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चल रही सियासी खींचतान के बीच अब माना जा रहा है कि बहुत जल्दी नगरी निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चल रही सियासी खींचतान के बीच अब माना जा रहा है कि बहुत जल्दी नगरी निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो जाएंगे। कमलनाथ मुख्यमंत्री रहते हुए नगरीय निकाय चुनाव में फेरबदल करते हुए महापौर और नपा अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के माध्यम से करवाने का कानून पारित किया था। लेकिन भाजपा इसका उस समय भी विरोध कर रही थी। अब इसमें परिवर्तन करने के लिए विधि विभाग को ड्राफ्ट भेजा गया है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से होगा।

भेजा गया ड्राफ्ट

एक बार फिर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव डायरेक्ट करवाने के लिए 13 मई को ड्राफ्ट तैयार कर विधि विभाग को भेज दिया गया है। बताया जाता है कि एनओसी मिलते ही शेष प्रक्रिया बहुत जल्दी पूरी कर ली जाएगी। वहीं सरकार का प्रयास है कि चुनाव के लिए प्रदेश में अधिसूचना जारी होने के पहले अध्यादेश लागू कर दिया जाए। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर पूरी मशीनरी लगी हुई है।

सरकार के इस प्रयास पर अगर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि नगरी निकाय चुनाव में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से करवाने पर सरकार का जोर है। भले ही पूर्व की सरकार ने इसमें परिवर्तन कर दिया है। ज्ञात हो कि कांग्रेस जिस समय प्रदेश की सत्ता में काबिज थी वह अप्रत्यक्ष तौर पर नगर पालिका अलीराजपुर और नगर परिषद लखनादौन का चुनाव करवा चुकी है। इतना सब हो जाने के बाद भी अब भाजपा इसे पुनः बदलने जा रही है।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव के बीच की गणित

आमतौर पर अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तरीके से महापौर तथा नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव करवाने की चर्चा काफी दिन से चल रही है। एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चाहते थे कि इन दोनों पदों के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव करवाया जाए। चुनाव में जीतने के बाद पार्षद मिलकर महापौर चुने तथा इसी तरह नगर पालिकाओं में भी अध्यक्ष चुनने के लिए वार्ड पार्षद अपनी भूमिका निभाएं।

लेकिन इसके विपरीत भाजपा यह चाहती है कि पूर्व से चली आ रही व्यवस्था में परिवर्तन न किया जाए। क्योंकि अभी तक प्रत्यक्ष तरीके से महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव होता था।

इस पूरे मामले की भीतरी गणित पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि राज्य की राजधानी पर बैठी हर सरकार चाहती है कि शहर की सरकार उसकी अपनी हो। मतलब उसके अपने दिल के महापौर और नपा अध्यक्ष हो।

इस मंशा को सबसे सरल तरीके से पूरा करना है तो महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से करवाना ही सबसे बड़ा उपाय है। पार्षद चाहे जिस भी दल के ज्यादा या कम हो अध्यक्ष और महापौर की कुर्सी सत्ताधारी पार्टी चाहती है।

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