मध्यप्रदेश

70 साल बाद भारत आ रहे चीते, MP के Kuno Wildlife Sanctuary में बसाए जाएंगे, चीता विलुप्त कैसे हुए इतिहास जान लीजिए

70 साल बाद भारत आ रहे चीते, MP के Kuno Wildlife Sanctuary में बसाए जाएंगे, चीता विलुप्त कैसे हुए इतिहास जान लीजिए
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Cheetah In Kuno Wildlife Sanctuary of MP: देश में दुनिया के सबसे फुर्तीले जानवर को इतना मारा गया कि भारत से इस खूबसरत जानवर का वजूद ही ख़त्म हो गया था

Cheetah In India: 70 साल बाद भारत में एक बार फिर से चीतों को वापस लाया जा रहा है। देश से 70 साल पहले ही चीते जैसे खबसूरत वन्यप्राणी का वजूद ख़त्म हो गया था, दरअसल अंग्रेजों से लेकर रियासतों के राजा-महाराजाओं ने चीते का इतना शिकार किया था कि यह जानवर भारत में पूरी तरह विलुप्त हो गया था। लेकिन अब मध्य प्रदेश के कूनो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में अफ़्रीकी चीतों को बसाया जाना है. अफ्रीका से चीतों के समूह को डिस्पैच कर दिया गया है जो 12-13 अगस्त की रात ग्वालियर पहुंचेगे। और सभी 4 ननर और 4 मादा चीतों को 15 अगस्त के पहले मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित Kuno Wildlife Sanctuary लाया जाएगा।

Cheetahs coming to India after 70 years: राजाओं को जंगली जानवरों को मार कर अपने हवेली की दिवार में टांगने में बहुत मजा आता था, और इसी मजे ने देश से चीते का नामोनिशान मिटा दिया, 70 साल पहले तक देश के जंगलों में चीते दिखाई पड़ते थे और आखिरी 3 चीतों का भी शिकार एक राजा ने कर के पूरे देश से दुनिया के सबसे तेज़ और फुर्तीले जानवर को गयाब कर दिया था।

70 साल बाद देश में चीतों की वापसी

ईरान में अब 10 15 एशियाई चीते बचे हुए हैं जिनको वहां की गवर्नमेंट से संरक्षण मिलता है तो वो जी खा रहे हैं. वरना देश में तो जंगली जानवरों को बेरहमी से मार कर फोटो खिचवाने का ट्रेड था। खैर जो बीत गया सो बीत गया, अब 70 साल बाद देश में दोबारा से चीतों को बसाने की कवायद शुरू की गई है. यह प्रयास लम्बे समय से चल रहा था और अब जाकर पूरा होने वाला है

कुछ अफ़्रीकी चीतों को भारत लाया जा रहा है, करीब नर-मादा के 4 जोड़ों को इंडिया में लाया जाएगा। भारत के लिए यह पहला मौका होगा जब किसी विलुप हो चुके मांसाहारी जीव को एक महाद्वीप से दूसरे में बसाया जाएगा। चीतों की शिफ्टिंग में सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उन जानवरों के लिए भारत में मौसम, शिकार, वातावरण सब कुछ बदल जाएगा, भारत के जंगलों में वो कैसे सर्वाइव करेंगे यह सोचने वाली बात है।

भारत से कैसे विलुप्त हुए चीते


Why Cheetah Extinct From India: चीता बहुत फुर्तीला और तेज़ दौड़ने वाला जानवर होता है, आपने चीता के बारे में सिर्फ स्कूल की छोटी क्लास में पढ़ा होगा बाकी देश के किसी भी जंगल या चिड़ियाघर में आपने चीता दर्शन नहीं किए होंगे। चीता 110 किलोमीटर की रफ़्तार से अपने शिकार के पीछे भागता है फिर भी भारत के राजा लोगों ने इसे इतना मारा के अद्भुत जानवर देश के पूरी तरह गयाब हो गया।

एक जमाना था तब एशियाई चीते ईरान, मध्य एशिया, अफ़ग़ानिस्तान और भारत में पाए जाते थे। भारत में राजस्थान, पंजाब, सिंध, बंगाल, बिहार, यूपी, एमपी, गुजरात और कई प्रांतों में मिलते थे। इसके बाद इस खूबसूरत जानवर पर देश के राजा-महाराजा और अंग्रेजों की नज़र पड़ गई. उन्होंने चीते का बड़ी मात्रा में शिकार करना, उनकी खाल से पावदान बनाना, उनकी मुंडी को अपने महल की दिवार में टांगना और दूसरे देश के राजाओं को मरे हुए चीते की खाल पहुंचना शुरू कर दिया। वहीं कई राजाओं ने भौकालबाज़ी के लिए चीतों को पलना भी शुरू कर दिया। उस जामने में चीतों की ट्रेडिंग भी होती थी और इनकी कीमत 10 रुपए से लेकर 150-200 रुपए होती थी.

क्योंकि यह शेर और बाघ की तुलना में कम हिंसक होते हैं इसी लिए इन्हे पलना आसान होता है, लोगों ने इन्हे पाल कर अन्य जंगली जानवर का शिकार करवाना शुरू कर दिया था। जब चीतों को पालतू बनाया जाने लगा तो इनके अंदर शिकार करने वाली इंस्टिंक्ट ख़त्म होने लगी. यह भीगी बिल्ली जैसे होने लगे. पिंजरे में बंद चीते प्रजनन भी नहीं कर सकते थे और जो पैदा होते उनमे से 60% की मौत हो जाती। जो बच जाते उन्हें उनकी माँ से ट्रेनिंग नहीं मिल पाती थी इस लिए वो सर्वाइव नहीं कर पाते थे और मर जाते थे।

जब चीतों को मारने पर इनाम मिलता था


साल 1880 में पहली बार एक चीते के शिकार करने से एक इंसान जी जान चली गई थी. विशाखापत्तम के गवर्नर के एजेंट ओ.बी. इरविन शिकार करने गए थे और खुद ही चीते का शिकार हो गए थे। वो चीता वहां के राजा का पालतू था। ब्रिटिश सरकार ने इस घटना के बाद चीतों का शिकार करने पर इनाम का एलान कर दिया। लोगों ने इनाम के चक्कर में चीतों को मारना शुरू कर दिया। देश में चीतों कि संख्या 20 वीं सदी के पहले ही ख़त्म हो गई थी. और 1918 से 1945 तक राजा लोगों ने अफ्रीका से चीतों को मंगवाना शुरू कर दिया था।

आखिरी 3 चीते थे उनका भी शिकार कर दिया था


Last Cheetah Of India: साल 1947 में छत्तीसगढ़ की एक रियासत "कोरिया" के राजा रामानुज प्रताप सिंह ने देश के आखिरी 3 बचे चीतों को भी मार डाला, और बढ़िया उनकी लाश के साथ फोटो खिचवा कर हुसियारी भी मारे। साल 1951-52 में देश की सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया। सरगुजा के राजा ने आखिरी 3 चीतों को भी मार कर अपनी दिवार में चुनवा दिया। उसके बाद कभी देश में इस खूबसूरत जानवर को नहीं देखा गया.

अब क्या होने वाला है

Cheetah In Kuno Wildlife Sanctuary MP:अब फिर से देश में चीता लाने की तयारी है। अफ्रीका के नामीबिया से चीते लाए जाएंगे। 12 अगस्त को टोटल 8 चीते जिनमे चार नर और चार मादा हैं उन्हें साऊथ अफ्रीका के नामीबिया से जोहान्सबर्ग तक हवाई मार्ग से लाया जाएगा, जिन्हे चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली लाया जाएगा जिसमे 14 घंटे का समय लगेगा। 13 अगस्त को यह चीते ग्वालियर पहुंचेगे और वहां से Kuno Wildlife Sanctuary में डिपोर्ट कर दिए जाएंगे। जहां उनके स्वागत के लिए भव्य तैयारियां और चीतों के हिसाब से मौहोल तैयार किया गया है. इसी के साथ मध्य प्रदेश को Tiger State के बाद Cheetah State का दर्जा मिल जाएगा

क्या एमपी में भी चीतों को बसाया जाएगा (Cheetah In Madhya Pradesh)


एमपी के कूनो (Kuno Wildlife Sanctuary) में चीतों को बसाने के लिए 6 वर्ग कोलोमीटर का इलाका चिन्हित किया गया है, इसके लिए सरकार ने 14 करोड़ रुपए भी आवंटित कर दिए हैं. ये काम पहले ही हो जाना था लेकिन महामारी के कारण ये हो ना सका, पता चला है कि इस इलाके में 21 चीतों के रहने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है, और यहां चीतों को बसाने में कोई दिक्क्त नहीं आएगी।


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