मध्यप्रदेश

एमपी के इस पुरातत्व संग्रहालय में है ऐरावत हाथी के वंशज का विशाल मस्तक, दरियाई घोड़े के दांत भी मौजूद

Sanjay Patel
25 Jun 2023 10:00 AM GMT
एमपी के इस पुरातत्व संग्रहालय में है ऐरावत हाथी के वंशज का विशाल मस्तक, दरियाई घोड़े के दांत भी मौजूद
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MP News: मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन धर्म, इतिहास, साहित्य और पुरातत्व के मान से विश्व पटल पर कई बार अपना नाम अंकित कर चुकी है। यहां के पुरातत्व संग्रहालय में ऐरावत हाथी के वंशज का विशाल मस्तक को बहुत ही सहेजकर रखा गया है।

मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन धर्म, इतिहास, साहित्य और पुरातत्व के मान से विश्व पटल पर कई बार अपना नाम अंकित कर चुकी है। यहां स्थित विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में ऐरावत हाथी के वंशज का विशाल मस्तक को बहुत ही सहेजकर रखा गया है। इसके साथ ही यहां दरियाई घोड़े के दांत व गेंडे के सींग भी मौजूद हैं जो लाखों वर्ष पुराने बताए गए हैं।

ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी कर देती है अचंभित

उज्जैन इतिहास और पुरातात्विक धरोहर के रूप में अमूल्य है। पुरातत्व के रूप में उज्जैन की बात की जाए तो इस प्राचीन नगरी में चारों ओर अनेक जानकारियां बिखरी पड़ी हैं। कई ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं जिसका आज भी लोगों को पता नहीं है। ऐसी ही एक अनमोल और ऐतिहासिक धरोहर उज्जैन में है जिसकी जानकारी लोगों को अचंभित कर देती है। उज्जैन के प्राचीन इतिहास की गौरव गाथा समझने और देखने के लिए भारत सहित विश्व भर के इतिहासकार, साहित्यकार और पुराविद् समय-समय पर उज्जैन आते रहते हैं।

ऐरावत हाथी के वंशज का मौजूद है मस्तक

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के पुरातत्व संग्रहालय में कांच के बड़े शोकेस में विशाल और बड़े हाथी के मस्तक को बहुत ही सहेजकर रखा गया है। इसकी जानकारी लोगों को अचंभित कर देती है। दरअसल यह एक हाथी का मस्तक है जो कांच के बड़े शोकेस में बड़े ही सुरक्षित तरीके से रखा गया है। हाथी के इतने बड़े इस मस्तक के बारे में उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविद् डॉ. रमण सोलंकी ने बताया कि यह मस्तक हाथी का ही है और यह पुरातत्वविद् डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर को मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर की देवाकचार नदी से 12 जून 1979 को खुदाई के वक्त मिला था। जिसको उज्जैन लगाया गया और इसे संभालकर यहां रखा गया है।

पांच लाख वर्ष पुराना है मस्तक

पुराविद् डॉ. रमण सोलंकी के मुताबिक हाथी के मस्तक के बारे में जो जानकारियां प्राप्त हुई थीं उसके अनुसार यह भगवान इंद्र के ऐरावत हाथी के संप्रदाय के एक हाथी का मस्तक है और भारत के सबसे बड़े हाथी का मस्तक होने का भी प्रमाण मिला है। डॉ. सोलंकी के मुतबिक इस हाथी के मस्तक को मिलने के बाद इसकी जो तिथि सामने आई वह लगभग पांच लाख वर्ष पुरानी है। इसके साथ ही विक्रम विश्वविद्यालय के संग्रहालय में लाखों वर्ष पुराने गेंडे के सींग, दरियाई घोड़े का दांत सहित तकरीबन 200 फॉसिल्स मौजूद हैं। जिनको बहुत ही सहेजकर यहां रखा गया है।

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