मध्यप्रदेश

आधार वेरीफिकेशन से दो साल में गेहूं के किसानो की संख्या में आई कमी

आधार वेरीफिकेशन से दो साल में गेहूं के किसानो की संख्या में आई कमी
x
अब देखा जा रहा है कि गेहूं किसानों की संख्या काफी कम हुई है। आधार वेरिफिकेशन से पता चलता है कि किसानों की संख्या में कमी आई है।

समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने मध्य प्रदेश के किसानों ने नया रिकॉर्ड बना दिया था। सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्य के रूप में देश के पंजाब को भी मध्य प्रदेश के किसानों ने पीछे छोड़ दिया। लगातार बढ़ती गेहूं की उपज और किसानों की मेहनत रंग लाती दिख रही थी। मध्य प्रदेश को गेहूं उत्पादन के लिए कई बार सम्मान भी प्राप्त हुए। लेकिन अब देखा जा रहा है कि गेहूं किसानों की संख्या काफी कम हुई है। आधार वेरिफिकेशन से पता चलता है कि किसानों की संख्या में कमी आई है।

कहता है आंकड़ा

गेहूं उत्पादन के लिए मध्य प्रदेश के कुछ जिले चिन्हित किए गए हैं। इन जिलों में सर्वाधिक गेहूं का उत्पादन हो रहा था। 5 साल पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि गेहूं के उत्पादन में कमी हुई है। क्योंकि किसानों ने बहुत कम रजिस्ट्रेशन करवाया।

बताया गया है कि वर्ष 2018-19 में 1501756 किसानों ने गेहूं बेचने का पंजीयन करवाया था।

वर्ष 2019-20 में गेहूं बेचने के लिए 1998437 किसानों ने पंजीयन कराया।

वर्ष 2020-21 मे गेहूं बेचने के लिए 1947829 किसानों ने पंजीयन कराया। इस वर्ष हल्की कमी आई थी।

वहीं वर्ष 2021-22 में गेहूं बेचने के लिए 2472467 किसानों ने पंजीयन कराया।

वर्ष 2022-23 में गेहूं बेचने के लिए 1981542 किसानों ने ही पंजीयन कराया। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष किसानों ने बहुत कम पंजीयन कराया था।

वर्ष 2023-24 में गेहूं बेचने के लिए किसानों ने बहुत कम रजिस्ट्रेशन करवाया यह संख्या 1467118 पहुंच गई।

कारण जानने में जुटा सरकारी अमला

गेहूं बेचने के लिए किसानों की लगातार बढ़ती संख्या अचानक से कम होने लगी। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। इस बात को जांचने के लिए राज्य तथा केंद्र का प्रशासनिक अमला जुड़ा हुआ है। इसके लिए सैटेलाइट इमेज से प्रदेश के 9 जिलों की फसल की स्थिति पर जांच की जा रही है। यह 9 जिले रीवा, सतना, सागर, जबलपुर, धार, उज्जैन नर्मदापुरम और विदिशा शामिल है।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम पूरी मुस्तैदी के साथ जांच में जुटा हुआ है। सैटेलाइट इमेज के आधार पर पता लगाया जा रहा है क्या वास्तव में इन जिलों में गेहूं की बोनी का रकबा घटा है या फिर किसानों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। अगर गेहूं की फसल पूर्व वर्षों की भांति होने के बाद किसानों ने पंजीयन नहीं कराया तो इसका क्या कारण है। इन सभी मामलों को जांचने के लिए विभाग जुटा हुआ है। अनुमान लगाया जा रहा है कि 15 से 20 दिन में जांच प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जिससे कुछ न कुछ स्थिति सामने अवश्य आएगी।

पंजीयन घटने का क्या है प्रमुख कारण

अभी तक सरकार का मानना है कि गेहूं उत्पादक किसानों को आधार से लिंक खाते में भुगतान का आदेश एक कारण हो सकता है।

इसी तरह माना जा रहा है कि कोरोना के समय किसानों ने पंजीयन तो कराया लेकिन गेहूं बिकवाली में होने वाली परेशानी की वजह से उनका मोहभंग होता चला गया।

साथ ही माना जा रहा है कि समर्थन मूल्य से ज्यादा गेहूं की कीमत बाहर मंडियों में मिल रही थी। ऐसे में किसानों ने पंजीयन कराने के बाद भी गेहूं बेचने खरीदने केंद्र नहीं पहुंचे।

शायद इसी वजह से आज किसानों ने वर्ष 2023-24 में गेहूं का पंजीयन सबसे कम करवाया है। अभी भी गेहूं की कीमत बाहर मंडी में समर्थन मूल्य से ज्यादा मिल रहा है।

Next Story