मध्यप्रदेश

रीवा: नगर निगम में फर्जी नियुक्ति का मामला, रद्दी फेंका शासन का जांच आदेश, अब तक नहीं की गई कार्रवाई .

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:32 AM GMT
रीवा: नगर निगम में फर्जी नियुक्ति का मामला, रद्दी फेंका शासन का जांच आदेश, अब तक नहीं की गई कार्रवाई .
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रीवा: नगर निगम में फर्जी नियुक्ति का मामला, रद्दी फेंका शासन का जांच आदेश, अब तक नहीं की गई कार्रवाई .रीवाननि में हुई फर्जी नियुक्तियों के

रीवा: नगर निगम में फर्जी नियुक्ति का मामला, रद्दी फेंका शासन का जांच आदेश, अब तक नहीं की गई कार्रवाई .

रीवा (विपिन तिवारी ) । ननि में हुई फर्जी नियुक्तियों के मामले में एक बार अधिकारीयों का लापरवाही वाला रवैया सामनें आया है। कांग्रेस शासनकाल में शासन स्तर से आए जांच के आदेशों को रद्दी में डाल दिया गया है। जांच पूरी करना तो दूर, अधिकारी इस संबंध में बात भी करने से कतरा रहे हैं।
नगर निगम में पदस्थ ड्राफ्टमैन राजेश चतुर्वेदी की नियुक्ति के संबंध में करीब एक वर्ष पूर्व जांच के आदेश शासन ने दिए थे, लेकिन अब तक यह जांच पूरी नहीं हो सकी है। बता दें कि निगम के तत्कालीन कांग्रेसी पार्षदों ने कांग्रेस सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहे जयवर्धन सिंह से शिकायत कर बताया था कि ड्राफ्टमैन की नियुक्ति अवैध है।

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वर्ष 2000 में कूटरचित तरीके से बैकडेट 20 दिसंबर 1995 को जावक क्रमांक 199 से डिस्पैच कर अपने से 5 मई 1995 को ड्राफ्टमैन नियुक्त कर लिया गया। जिसकी जांच भी हुई और तत्कालीन कलेक्टर डीपी आहूजा ने इसमें फर्जी हस्ताक्षर से दस्तावेज तैयार करने का दोष पाया था। इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने का भी आदेश हुआ था। लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जबकि ड्राफ्टमैन सीधी भर्ती का पद ही नहीं है। बताया गया कि नगर निगम में जिस समय से राजेश चतुर्वेदी की नियुक्ति दिखाई जा रही है तब उस पद पर केटी चाको पदस्थ थे। जब पद खाली ही नहीं था तो पदस्थापना कैसे कर दी गई और वैसे भी ड्राफ्टमैन सीधी भर्ती का पद नहीं है। इसमें पदोन्नति के बाद भर्ती की जाती है। ऐसे में पहली बात तो राजेश चतुर्वेदी की नियुक्ति ही गलत है।

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चूंकि राजेश चतुर्वेदी टे्रसर पद पर नियमित 5 मई 1995 को नियमित हुए तो वह 20 दिसंबर 1995 को ड्राफ्टमैन कैसे हो गए। कम से कम पांच वर्ष सेवा के बाद इन्हें पदोन्नति दी जानी चाहिए। निगम द्वारा जारी आदेश में पदोन्नति नहीं नियुक्ति दिखाई गई है। इस मामले पर नगरीय प्रशासन मंत्री ने संज्ञान लेकर जांच का आदेश संभागीय संयुक्त संचालक को दिया था, लेकिन अब तक यह जांच पूरी नहीं हुई।
तत्कालीन आयुक्त ने दिए थे भुगतान के आदेश बता दें कि तत्कालीन नगर निगम आयुक्त आरपी सिंह ने गत 1 अक्टूबर 2018 को आदेश जारी कर ड्राफ्टमैन के पद पर पदस्थ राजेश चतुर्वेदी उनकी नियुक्ति दिनांक से ड्राफ्टमैन का वेतन भुगतान किए जाने की स्वीकृति प्रदान भी कर दी थी। जैसे ही इस आदेश की जानकारी निगम के अधिकारी कर्मचारियों को हुई तो निगम में तरह-तरह की चर्चाएंं शुरू हो गर्इं। चर्चा थी कि जब ड्राफ्टमैन की नियुक्ति के संबंध में शिकायतें हंै और जांच चल रही तो ऐसे में भुगतान का क्या औचित्य है। हालांकि इस मामले के सामने आने के बाद कई शिकायत निगम पहुंची और आखिरकार भुगतान रोक दिया गया। लेकिन सूत्र बताते हैं कि ड्राफ्टमैन को फिर से भुगतान करने की तैयारी है।

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---------------- मनमानी के हैं कई मामले ड्राफ्टमैन राजेश चतुर्वेदी को लेकर आए दिन शिकायत नगर निगम कार्यालय में होती रहती हैं, वहीं कई ऐसे मामले भी प्रकाश में आए जिनमें ड्राफ्टमैन की मनमानी सामने आई। हाल ही में अतिक्रमण स्टोर से सामान गायब होने का मामला प्रकाश में आया था। कहा जा रहा था कि जब सामान गायब हुआ तब स्टोर की चाबी राजेश चतुर्वेदी के पास थी। इसके पहले भी नेता प्रतिपक्ष को आवंटित चेंबर से सामान गायब हुआ था, तब भी कर्मचारियों ने चाबी राजेश चतुर्वेदी के पास होना बताया था। इसके अलावा मनमानी चेंबर में कब्जा सहित अन्य मामले प्रकाश में आ चुके हैं, लेकिन निगम प्रशासन ने किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की।
-------------- वर्जन मुझे ड्राफ्टमैन राजेश चतुर्वेदी की जांच के संबंध में किसी आदेश की जानकारी नहीं है। मामले की जानकारी लेकर तत्काल जांच कर जवाब शासन को भेजा जाएगा। एसके सिंह, संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन

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