मध्यप्रदेश

MP की सबसे बड़ी सुरंग, जिसका खर्चा सिर्फ 90 करोड़, पढ़िए जरूरी खबर

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:22 AM GMT
MP की सबसे बड़ी सुरंग, जिसका खर्चा सिर्फ 90 करोड़, पढ़िए जरूरी खबर
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MP की सबसे बड़ी सुरंग, जिसका खर्चा सिर्फ 90 करोड़, पढ़िए जरूरी खबर MP: इंदौर-दाहोद रेल लाइन के काम को होल्ड पर रखने का मामला अब तूल पकड़ता जा

MP की सबसे बड़ी सुरंग, जिसका खर्चा सिर्फ 90 करोड़, पढ़िए जरूरी खबर

MP: इंदौर-दाहोद रेल लाइन के काम को होल्ड पर रखने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इसमें एक महत्वपूर्ण तथ्य यह पता चला है कि मौजूदा हालत में प्रोजेक्ट के तहत टीही से पीथमपुर के बीच बनाई जा रही तीन किलोमीटर लंबी सुरंग का काम बंद नहीं किया जा सकता। आगे बारिश का सीजन है और सुरंग को यदि जस का तस छोड़ दिया तो पानी भरने से सुरंग धंसने का खतरा रहेगा। यदि रेलवे काम बंद करने के लिए सुरंग को बंद करने का फैसला लेता है तो इस पर 80 से 90 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
इतनी राशि में तो धार तक लाइन बिछाने का काफी काम हो सकता है। दूसरा अहम तर्क यह है कि रेलवे टेंडर निरस्त करेगा तो कई ठेकेदार क्षतिपूर्ति के लिए कानून का सहारा लेंगे। इससे रेलवे को कानूनी लड़ाई लड़ने में काफी राशि खर्च करनी पड़ेगी। जानकार कहते हैं कि पीथमपुर से सागौर के बीच का बचा काम जल्द पूरा हो सकता है। रेलवे चाहे तो सागौर होते हुए धार तक का काम पूरा कर सकता है।

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रेलवे का तर्क - पश्चिम रेलवे मुंबई के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवींद्र भाकर ने बताया कि रेलवे बोर्ड की गाइडलाइन के अनुसार 90 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण के बाद नई लाइन का काम शुरू किया जा सकता है। यह इस उद्देश्य से किया गया है जिससे राष्ट्रीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके और रेल लाइनों का काम समय पर पूरा हो सके।
- इंदौर-दाहोद रेल प्रोजेक्ट के लिए 1118 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है और अब तक लगभग 402 हेक्टेयर जमीन ही अधिग्रहित हो सकी है। यानी अब तक केवल 36 प्रतिशत जमीन ही मिल पाई है। सीपीआरओ के अनुसार प्रोजेक्ट के लिए वन और पर्यावरण विभाग की अनुमतियां लेने के प्रयास भी जारी हैं। इसलिए अस्थायी रूप से 90 प्रतिशत जमीन मिलने तक काम रोका गया है।

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विशेषज्ञ का जवाब - रेलवे मामलों के वरिष्ठ जानकार नागेश नामजोशी ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने ईपीसी (इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कांट्रेक्ट) के अंतर्गत 15 अक्टूबर 2015 को एक परिपत्र जारी किया था। उसके एनेक्सचर क्रमांक 1 के छठे बिंदु पर 90 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण संबंधी बात का उल्लेख है।
दाहोद लाइन पुराना प्रोजेक्ट है और उस पर पहले से ही काम हो रहा था और टेंडर भी स्वीकृत हो चुके थे। दाहोद लाइन के संदर्भ में बोर्ड के हालिया आदेश में साफ लिखा है कि टेंडर निरस्त कर जो काम हो रहा है, उसे रोका जाए।
- इंदौर-दाहोद लाइन का भूमिपूजन हुए 12 साल गुजर चुके हैं। इतना समय गुजरने के बावजूद रेलवे अब तक रेल लाइन के लिए जरूरी जमीन भी नहीं ले पाया। इससे कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

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काम रोकना महामूर्खता, सीएम को साथ लेकर लड़ेंगे लड़ाई पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने कहा कि इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट को मैं बहुत अलग नजर से देखती हूं। यह लाइन न केवल पीथमपुर, धार, झाबुआ या इंदौर नहीं बल्कि समूचे मध्य भारत के विकास के लिए जरूरी है। यह परियोजना मूल रूप से आदिवासी क्षेत्र के औद्योगिक विकास की है। जिस हिसाब से विदेशी कंपनियों का आगमन हो रहा है, उसके लिए पीथमपुर का रेल लाइन से जुड़ना बेहद जरूरी है।
लाइन के बिछने से यात्री और मालगाड़ियां महू होते हुए खंडवा की ओर आ-जा सकेंगी। झाबुआ में भूमिपूजन होने के बाद से प्रोजेक्ट को कोई तवज्जो नहीं दी गई। रेलवे को चाहिए कि फिलहाल इंदौर से धार तक का प्रोजेक्ट पूरा कर ले। टीही से सागौर के बीच सुरंग का काम रोकना महामूर्खता होगी। बारिश के दिनों में कोई सुरंग का काम आधा-अधूरा कैसे छोड़ सकता है? सुरंग पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं और काम बंद करने से काफी नुकसान होगा। [signoff]
Aaryan Dwivedi

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