मध्यप्रदेश

MP Rewa News: रीवा में है 450 वर्ष प्राचीन मां कालिका का चमत्कारी मंदिर, आइए जानते हैं इसका इतिहास

Sanjay Patel
25 Jan 2023 8:25 AM GMT
MP Rewa News: रीवा में है 450 वर्ष प्राचीन मां कालिका का चमत्कारी मंदिर, आइए जानते हैं इसका इतिहास
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MP Rewa News: एमपी के रीवा जिले में 450 वर्षों से अधिक प्राचीन मां कालिका का मंदिर है। ऐसा भी कहा जाता है कि ज्योतिष गणना के आधार पर आधारित इस सिद्ध पीठ में नवरात्रि की आराधना से लोगों को सिद्धि भी प्राप्त होती है।

एमपी के रीवा जिले में 450 वर्षों से अधिक प्राचीन मां कालिका का मंदिर है। ऐसा भी कहा जाता है कि ज्योतिष गणना के आधार पर आधारित इस सिद्ध पीठ में नवरात्रि की आराधना से लोगों को सिद्धि भी प्राप्त होती है। यहां एक तालाब भी है जिसे लोग रानीतालाब के नाम से जानते हैं। नवरात्रि सहित अन्य अवसरों पर यहां भव्य पूजा और मेले का भी आयोजन किया जाता है जहां दूरदराज से भी लोग आकर मां कालिका को जल चढ़ाने के साथ ही उनकी पूजा में लीन रहते हैं। यह रीवा का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है जहां हमेशा लोगों का आना-जाना बना रहता है।

दूसरे दिन मूर्ति ले जानी चाही तो नहीं उठी

रीवा के रानीतालाब में स्थित मां कालिका के इतिहास बारे में बताया जाता है कि तकरीबन 450 वर्ष से भी अधिक पुरानी बात है। यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास यह देवी की मूर्ति थी। पहले यहां पर घना जंगल हुआ करता था ऐसे में जब रात्रि हो गई तो व्यापारी मूर्ति को इमली के पेड़ पर टिकाकर रात्रि विश्राम करने लगे। दूसरे दिन जब उठे और यहां से रवाना होने की बारी आई तो उनके द्वारा मूर्ति को अपने साथ ले जाने उसे उठाने लाख प्रयत्न किए गए किंतु मूर्ति नहीं उठा सके। तब व्यापारियों द्वारा मूर्ति को यहीं पर छोड़ दिया गया और वे अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए। जिसके बाद से मां कालिका की मूर्ति वहीं पर विराजमान है जिसकी पूजा-अर्चना का क्रम अनवरत जारी है।

आभूषण चुराने किया प्रयास तो आंखों के सामने अंधेरा छा गया

बघेल साम्राज्य के शासनकाल में रीवा रियासत के प्रथम राजा व्याघ्र देव सिंह की जानकारी में यह बात सामने आई थी। जिसके बाद उनके द्वारा इस स्थान पर एक चबूतरे बनवाकर भव्य मूर्ति की स्थापना की गई। सैकड़ों वर्षों से यहां पर मां कालिका के प्रति लोगों की आस्था और भक्ति जारी है। नवरात्रि के दिनों में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। नवरात्रि में यहां मां कालिका का अद्भुत श्रृंगार आभूषणों से किया जाता है। मां कालिका से जुड़ी एक घटना यह भी लोगों द्वारा बताई जाती है कि लगभग 70-80 वर्ष पूर्व मां के धारण किए गए गहनों को चोरों द्वारा चुराने का भी प्रयास किया गया था हालांकि जैसे ही वह मंदिर के बाहर जाने लगे तो उनकी आंखों के सामने अंधकार छा गया और उन्हें दिखाई देना बंद हो गया। जिसके कारण वह गहने चुराकर अपने साथ नहीं ले जा सके।

नवरात्रि में लोगों को प्राप्त होती है सिद्धि

रानीतालाब मां कालिका के दरबार में नवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। आस्था, विश्वास, आराधना और भक्ति का संगम नौ दिनों तक यहां पर देखने को मिलता है। भोर से लेकर देर रात्रि तक लोगों के पहुंचने का क्रम चलता है। नौ दिनों तक यहां लोगों द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस प्राचीन मंदिर में नौ दिनों तक सिद्धि के लिए आराधना भी लोगों द्वारा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस सिद्धपीठ में नवरात्रि की आराधना से लोगों को सिद्धि भी प्राप्त होती है।

अपनी ओर खींचती है मंदिर की भव्यता और सुंदरता

मां कालिका मंदिर की सुंदरता और भव्यता लोगों को अपनी ओर खींचती है। मंदिर में गुलाबी पत्थरों और गोल्डन व चांदी रंग के प्लेट की गई अद्भुत नक्काशी से यहां पहुंचने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वहीं रानीतालाब मंदिर की सुंदरता पर चार चांद लगा देता है। रानीतालाब के बतख जहां लोगों का मन मोह लेते हैं तो वहीं यहां पहुंचकर लोग बोटिंग का भी लुत्फ उठाते देखे जाते हैं। इतिहासकारों की मानें तो तालाब की भव्यता को देखकर रीवा की महारानी कुंदन कुंवरि जो जोधपुर घराने से थीं जो रीवा राजघराने में ब्याही थीं। तालाब की खुदाई का काम लवाने समुदाय के लोगों द्वारा किया गया था जिसके बदले में महारानी द्वारा राखी भी बांधी गई थी। यही वजह है कि इस तालाब का रानीतालाब रखा गया था। इसे सिद्धिपीठ का दर्जा इसलिए दिया गया क्योंकि कहा जाता है कि जहां देवी की जाग्रत मूर्ति होगी वहंा जलाशय, वट वृक्ष, नीम और पीपल के वृक्ष भी जरूर होंगे। इसके साथ ही यहां हनुमान जी, शंकर जी, गणेश जी और काल भैरव भी विराजमान हैं।

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