महाराष्ट्र

एकनाथ शिंदे को BJP का ऑफर, बागियों को कैबिनेट रैंक, राज्य मंत्री और केंद्रीय मंत्री बनाने की पेशकश

एकनाथ शिंदे को BJP का ऑफर, बागियों को कैबिनेट रैंक, राज्य मंत्री और केंद्रीय मंत्री बनाने की पेशकश
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महाराष्ट्र में अबतक क्या हुआ: उद्धव ठाकरे ने कभी सोचा नहीं होगा कई एक दिन सत्ता के अलावा उनकी शिवसेना इस कदर टूट जाएगी

एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने क्या ऑफर दिया: शिवसेना के खिलाफ अपने 42 शिवसेना और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने तस्वीर शेयर कर महाराष्ट्र सरकार को अपनी ताकत बताई है. एकनाथ शिंदे के पास अब 58 MLA का सतह है जिसमे से 49 उनके साथ गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में रुके हैं. उद्धव सरकार का तख्तापलट कर देने के लिए सिर्फ 37 विधायकों की ही जरूर थी.


बीजेपी ने अब एकनाथ शिंदे को पार्टी में शामिल होने का तगड़ा ऑफर दिया है. मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी ने महाराष्ट्र में बैठक की और इसके बाद एकनाथ शिंदे को भाजपा में शामिल होने के बदले बागी विधायकों को कैबिनेट से लेकर केंद्रीय मंत्री बनाने की पेशकश की है। पता चला है कि BJP ने बगावत करने वाले 8 MLA को कैबिनेट रैंक, 5 को राज्य मंत्री और 2 को केंद्रीय मंत्री बनाने का ऑफर दिया है. अब अगर शिंदे अपने सभी बागियों के साथ बीजेपी के ऑफर को स्वीकार कर लेते हैं तो उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी इसी के साथ महाराष्ट्र में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बन जाएगी।


What is going on in Maharashtra: महाविकास अघाड़ी सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि महाराष्ट्र का सियासती ऊँठ इस कदर करवट बदलेगा कि उद्धव ठाकरे की सत्ता धड़ाम से जमीन में गिर जाएगी। सीएम ठाकरे अपने सामने सत्ता छूटते और शिवसेना को टूटते हुए देख रहे हैं. जहां शिवसेना के पास कभी 56 विधायकों का साथ था वह अब बस 15 रह गए हैं. बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के पास अब कितने MLA का समर्थन है जो बहुमत से भी ज़्यादा हो गया है.

एकनाथ शिंदे गुवाहाटी में 41 शिवसेना और 17 निर्दलीय विधायकों के साथ तख्तापलट करने की प्लानिंग कर रहे हैं वहीं बीजेपी के 106 विधायकों के साथ शिंदे के पास 164 MLA का सपोर्ट मिल गया है. जबकि शिवसेना के पास 15, NCP के 53, कांग्रेस के 44 और 10 अन्य विधायकों को मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार के पास सिर्फ 122 का आंकड़ा है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने और कायम रखने के लिए कम से कम `144 विधायकों का साथ जरूरी होता है जो अब उद्धव ठाकरे के पास नहीं है.

शिंदे का ठाकरे को पत्र


महाराष्ट्र सरकार में उठे तूफान के बीच एकनाथ शिंदे ने ट्वीट करते हुए उद्धव ठाकरे के नाम पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि - यह विधायकों की भावना है, उद्धव ने कभी शिवसेना के विधायकों की नहीं सुनी, उद्धव के दरवाजे शिवसेना के लोगों के लिए हमेशा बंद रहे. जब हम अयोध्या जा रहे थे तब उद्धव से हमें रोका था, जो चले गए थे उन्हें वापस फोन करके बुला लिया गया था. हमने कई बार कहा शिवसेना को कांग्रेस ऑफ़ NCP खराब कर रही हैं लेकिन आपने हमारी सुनी ही नहीं। अब बहुत देर हो गई है.

TMC बीच टपक पड़ी

महाविकास अघाड़ी सरकार, शिवसेना, एकनाथ शिंदे और बीजेपी के बीच चल राजे राजनीति के इस खेल में TMC जबरन एक्स्ट्रा प्लेयर के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. गोवाहाटी के होटल रेडिसन में एकनाथ शिंदे अपने 50 विधायकों के साथ ठहरे हुए है उसके बाहर TMC के लोग बवाल काटे हैं. पुलिस ने प्रदर्शन करने वालों को अरेस्ट भी किया है. TMC का आरोप है कि बीजेपी शिवसेना विधायकों को खरीदने का काम कर रही है.

उद्धव ठाकरे आज से सकते हैं इस्तीफा

उद्धव ठाकरे के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया है. अपने पिता की बनाई शिवसेना और उनके उसूलों के खिलाफ जाकर जिस सत्ता में उद्धव काबिज हुए थे वो इतना जल्दी रूठ जाएगी इसका अंदाजा नहीं था. उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात को ही अपना सरकारी बंगला छोड़ दिया। आनन-फानन में ऐसा कदम उठाने के चलने शरद पवार की पार्टी NCP ठाकरे से नाराज हो गई है. आज उद्धव अपने घर मोतिश्री में बचे-कूचे MLA और मंत्रियों की बैठक बुलाई है. हो सकता है कि आज बतौर महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे का आखिरी दिन हो.

मामला कानूनी दाव पेंच में फंस सकता है

भले एकनाथ शिंदे के पास अब महाराष्ट्र के 50 MLA का साथ है मगर अघाड़ी सरकार से सत्ता छीन लेने में 'दलबदल विरोधी कानून' का पेंच फंस सकता है। यह ऐसा कानून है जो विधायकों या सांसदों को पार्टी बदलने से रोकता है. विधायक पार्टी बदल सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है. इसके बाद फिर से चुनाव होते हैं.

लेकिन इस कानून में भी एक लूप होल है जो विधायकों को बागी होने पर भी इस्तीफा न देने की इजाजत देता है. शर्त यह है कि अगर किसी पार्टी के दो तिहाई विधायकों एक साथ पार्टी छोड़ते हैं तो उन्हें इस्तीफा देने और वापस से चुनाव कराने की जरूरत नहीं पड़ती। जिस पार्टी का वो साथ देंगे उसकी सरकार बिना इलेक्शन के बन जाएगी। ऐसे समीकरण बन रहे हैं कि शिवसेना के पास बचे 15 और विधायक बगावत कर सकते हैं. इसके अलावा 8-9 सांसद भी हैं जो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.


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