महाराष्ट्र

बनते ही टूटने लगा I.N.D.I.A: विरोध के बाद भी PM Modi के साथ कार्य्रकम में शामिल हुए Sharad Pawar!

बनते ही टूटने लगा I.N.D.I.A: विरोध के बाद भी PM Modi के साथ कार्य्रकम में शामिल हुए Sharad Pawar!
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Sharad Pawar PM Modi I.N.D.I.A: विपक्षी दल नहीं चाहता था कि इस माहौल में I.N.D.I.A के मेंबर शरद पवार पीएम मोदी से मिलें

I.N.D.I.A Modi Sharad Pawar: पीएम मोदी मंगलवार 1 अगस्त को पुणे पहुंचे, इस कार्यक्रम में विपक्षी दल I.N.D.I.A के नेता शरद पवार भी पहुंचे और उनके साथ दगा करने वाले अजित पवार भी कार्यक्रम में शामिल हुए. विपक्षी दल नहीं चाहता था कि Sharad Pawar इस वक़्त PM Modi से मिलें क्योंकी I.N.D.I.A इस समय Anti Modi और Anti BJP अभियान चला रहा है. ऐसे में दो इन दोनों नेताओं की मुलाकात विपक्षी गठबंधन को कमजोर कर सकती है. फिर भी पवार माने नहीं और पीएम मोदी के साथ कार्यक्रम में शामिल हो गए.

ऐसा लग रहा है कि विपक्षी एकता अब खतरे में हैं. I.N.D.I.A वाले अब NCP अध्यक्ष शरद पवार की लॉयल्टी पर सवाल खड़े करने लगे हैं. इस कार्यक्रम में ना सिर्फ पवार शामिल हुए बल्कि हसंते-मुस्कुराते हुए पीएम मोदी से हाथ मिलाया और हाल-चाल जाना।

पीएम मोदी के साथ शरद पावर

दरअसल पीएम मोदी पुणे में तिलक स्मारक ट्रस्ट की ओर से लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गए थे. जहां उन्हें लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया. इस कार्यक्रम में NCP नेता शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार भी पहुंचे थे. पीएम मोदी को जैसे ही पुरस्कृत किया गया उन्होंने तभी इस राशि को नमामि गंगे प्रोजेक्ट में देने का एलान कर दिया

अब पीएम मोदी और शरद पवार की इस मुलाकात से I.N.D.I.A वाले तिलमिलाए हुए हैं. उन्हें डर है कि कहीं पवार अब I.N.D.I.A का साथ छोड़कर NDA में ना शामिल हो जाए. इस मुलाकात से विपक्षी नेताओं में नाराजगी भी है. कहा जा रहा है कि मोदी-पवार की ये मुलाकात हुई तो विपक्षी गठबंधन को लेकर गलत संदेश जाएगा. खासकर ऐसे समय में जब विपक्ष मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में बयान देने की मांग को लेकर हमलावर है.

शरद पवार बाकी नेताओं की तरह कांग्रेस की लीडरशिप में काम नहीं करते, भले ही कई मुद्दों में वो केंद्र सरकार के खिलाफ हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उन्होंने खुद को विपक्षी दल के प्रति समर्पित कर दिया है. वो ना तो मल्लिकार्जुन खड़गे की सुनते हैं ना ही राहुल गांधी के ओपिनियंस को तवज्जों देते हैं.

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