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What Is Brugada Syndrome: कम उम्र में हार्ट अटैक से मौत होने का कारण पता चल गया, इसे ब्रुगाडा सिंड्रोम कहते हैं

What Is Brugada Syndrome: कम उम्र में हार्ट अटैक से मौत होने का कारण पता चल गया, इसे ब्रुगाडा सिंड्रोम कहते हैं
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क्या है ब्रुगाडा सिंड्रोम (What Is Brugada Syndrome In Hindi); आजकल ऐसी कई खबरें सामने आई हैं जहां कम उम्र के बच्चे और जवान लोग अचानक से हार्ट अटैक के चलते मर रहे हैं

What Is Brugada Syndrome In Hindi: बीते कुछ महीनों से ऐसी खबरें कई बार सुनने को मिल रही हैं जहां 15-20 साल के लड़कों की नाचते-नाचते मौत हो रही है, किसी की मौत एक्ससरसाइज करते हुए हो रही है तो कोई बैठे-बैठे मारा जा रहा है. जो लोग फिटनेस फ्रीक हैं, खानपान का ध्यान देते हैं उनके भी कार्डियक अरेस्ट पड़ रहा है. अब तो कोई भरोसा ही नहीं है कि कब किस उम्र के व्यक्ति को बैठे-बैठे हार्ट अटैक आ जाए और उसकी मौत हो जाए.

आपने जितनी भी कम उम्र के लोगों की कार्डियक अरेस्ट से मौत की खबरें सुनी हैं उसका कारण ब्रुगाडा सिंड्रोम (Brugada syndrome) है. यह ऐसा सिंड्रोम है जिसे ना तो मरीज समझ पाता है और ना ही डॉक्टर समझ पाते हैं. कम उम्र के फिट लोगों को कार्डियक अरेस्ट पड़ने के पीछे यही ब्रूगड़ा सिंड्रोम है.

ब्रुगाडा सिंड्रोम क्या है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि आजकल फिटनेस पर ध्यान देने वालों की मौत हार्ट फेलियर की वजह से हो रही हैं, इसके पीछे का कारण ब्रूगड़ा सिंड्रोम है. इसमें दिल की धमनी यानी इलेक्ट्रिकल इम्पल्स खराब हो जाती हैं और दिल की धड़कन गड़बड़ाने लगती है. हार्ट बीट बढ़ जाती है और BP ड्राप हो जाता है. जिससे मरीज की मौत भी हो जाती है

आपको ब्रूगड़ा सिंड्रोम तो नहीं है इसके लिए आपको ECG करवाना पड़ता है. ECG में एक पैटर्न आता है जिसे Brugada Pattern कहते हैं. ब्रूगड़ा नाम इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक के नाम पर है. ECG रिपोर्ट देखने के बाद पता लगाया जाता है कि क्या ये सिंड्रोम खानदान में चलता है.

ब्रूगाड़ा सिंड्रोम के लक्षण

  • बार-बार बेहोशी आना
  • चक्कर आना
  • धड़कन बढ़ना
  • तेज बुखार में दिल की धड़कन का अचानक से बढ़ जाना

ब्रूगाड़ा सिंड्रोम का इलाज

जिन लोगों को ब्रूगाड़ा सिंड्रोम है उन्हें अपने साथ ICD नामक एक मशीन साथ रखने की सलाह दी जाती है. यह मशीन को सीने में रखा जाता है तो हार्ट रेट मॉनिटर करती है. अगर धड़कन बिगड़ जाती है तो यह शॉक देती है और पेशेंट की जान बच जाती है.


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