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RBI ने लगातार 8वीं बार रेपो रेट 6.5% पर रखा, लोन और EMI नहीं बढ़ेंगे

RBI Repo Rate 2024
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RBI Repo Rate 2024

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार आठवीं बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। RBI ने रेपो रेट को 6.5% पर जस का तस रखा है। इसका मतलब है कि लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी।

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 6.5% पर यथावत रखा है। यह लगातार आठवीं बार है जब RBI ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 जून से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद शुक्रवार को यह घोषणा की। MPC में छह सदस्य हैं, गवर्नर दास के साथ, RBI के अधिकारी राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं और माइकल देबब्रत पात्रा, डिप्टी गवर्नर हैं। शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने इससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।

वित्त वर्ष 2022-23 में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ाई गई थीं

वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मीटिंग अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।

22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई।

सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गई। फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गईं। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।

बता दें RBI के पास रेपो दर के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली उपकरण है। जब महंगाई बहुत अधिक होती है, तो RBI रेपो दर बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में धन प्रवाह को कम करने की कोशिश करता है।

उच्च रेपो दर बैंकों के लिए RBI से उधार लेना महंगा बना देती है। बदले में, बैंक अपने ग्राहकों को लोन पर अधिक ब्याज वसूलते हैं। इससे अर्थव्यवस्था में धन प्रवाह कम होता है।

जब अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही होती है, तो उसे ठीक करने के लिए धन प्रवाह बढ़ाने की आवश्यकता होती है। ऐसे में RBI रेपो दर कम कर देता है। इससे बैंकों के लिए RBI से उधार लेना सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दरों पर लोन मिलता है।

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