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AgustaWestland Scam: जानिए कब और कैसे हुआ घोटाला, कौन-कौन हैं शामिल...

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:03 AM GMT
AgustaWestland Scam: जानिए कब और कैसे हुआ घोटाला, कौन-कौन हैं शामिल...
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नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टरों की खरीद के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में सौदा किया गया था। भारत सरकार ने 3 हजार 600 करोड़ रुपए के करार को जनवरी 2014 में रद्द कर दिया।

आरोप था कि इस सौदे में 10 फीसद (360 करोड़ रुपए) का कमीशन दिया गया है। मामले में इटली की एक अदालत का फैसला आने के बाद देश की राजनीति में भूचाल आ गया था। भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी।

हालांकि, उस वक्त तक भारत 30 फीसद भुगतान कर चुका था और तीन अन्य हेलीकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी। जानिए पूरा मामला क्या है और माइकल के भारत में आने का क्या पड़ेगा सियासत पर असर।

भारत में दर्ज हुई एफआईआर

सीबीआई ने 25 फरवरी 2013 को मामले में पूर्व एयरचीफ मार्शल एसपी त्यागी सहित 11 लोगों के खिलाफ प्राइमरी इंक्वायरी दर्ज की। सुबूत मिलने पर 13 मार्च को एसपी त्यागी और उनके तीन भाइयों (संजीव त्यागी उर्फ जूली, डोक्सा और संदीप त्यागी) समेत 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। 31 दिसंबर 2004 को एसपी त्यागी ने भारतीय वायुसेना के 20वें एयर चीफ मार्शल के रूप में कार्यभार संभाला था।

इटली में हुई थी सजा

वीवीआईपी हेलीकॉप्टर बिक्री में गलत ‘अकाउंटिंग’ और भ्रष्टाचार करने को लेकर फिनमेकानिका के पूर्व प्रमुख गुसेप ओर्सी को साढ़े चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी। भ्रष्टाचार को लेकर मिलान की अपीलीय अदालत ने 2014 के पिछले अदालती आदेश को पलट दिया। इटली की कंपनी फिनमेकानिका एयरोस्पेस के क्षेत्र में दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शुमार। अगस्ता वेस्टलैंड इसी कंपनी की शाखा है।

अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ बुर्नो स्पागनोलीनी को इटली की अदालत ने चार साल की कैद की सजा सुनाई थी। भारत सरकार को 12 हेलीकॉप्टरों की बिक्री में अदालत ने दोनों को दोषी पाया था। ओर्सी और स्पागनोलीनी दोनों पर अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार और भारत के साथ अनुबंध में करीब 4,250 करोड़ रुपए के रिश्वत के लेने-देन के सिलसिले में फर्जी बिल बनाने का आरोप लगा था।

इन विदेशियों पर शिकंजा

गियुसिपी ओर्सी (71) : फिनमेकानिका कंपनी का सीईओ और चेयरमैन था। अगस्ता वेस्टलैंड में कार्य के लिए कमांडर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर (सीबीई) पुरस्कार से सम्मानित। साल 2013 में दलाली का मामला उजागर होने के बाद गिरफ्तारी हुई थी। इटली की अदालत ने इसे दोषी पाया और साढ़े चार साल की सजा सुनाई।

क्रिश्चियन माइकल (55) : यह बिचौलिया जिउसेपे ओरसी का विश्वासपात्र था। ब्रिटेन का यह नागरिक स्विट्जरलैंड में बिजनेसमैन है। इसकी लंदन और दुबई में कंपनियां हैं। भारत में शक्तिशाली राजनीतिक संपर्कों के चलते कई बड़े नेताओं तक पहुंच थी। पिता वोल्फगांग रिचर्ड मैक्स माइकल के भी भारतीय संपर्क अच्छे थे। फिनमेकानिका ने इसको 30 मिलियन यूरो (220 करोड़ रुपए) की दलाली पहुंचाने का जिम्मा सौंपा। वह त्यागी बंधुओं और पूर्व एयर चीफ एसपी त्यागी के संपर्क में था।

गुइडो हशके (65) : इस डील में इसकी भी भूमिका रही। अगस्ता मामले में गिरफ्तार भी हुआ था। हशके के पास स्विट्जरलैंड के अलावा अमेरिका की भी नागरिकता है। उसकी भारतीय रक्षा बिजनेस सर्किल में जबर्दस्त पकड़ है। वह निर्बाध रूप से भारत आता रहा है और यहां के रक्षा सेक्टर की कार्यशैली को अच्छी तरह से जानता है।

क्रिश्चियन माइकल की गिरफ्तारी के मायने

राफेल डील पर कांग्रेस के आरोपों का सामना कर रही है मोदी सरकार को माइकल के बहाने नया हथियार मिल गया है, जिससे वह कांग्रेस के काल में हुए अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले का इस्तेमाल कांग्रेस को घेरने के लिए कर सकती है। मोदी सरकार कांग्रेस सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार का पता लगाएगी और चुनाव में इसे भुनाने की कोशिश भी करेगी। अगस्ता वेस्टलैंड मामले में इस बिचौलिये की मदद से कई खुलासे हो सकते हैं।

बताया जा रहा है कि उसने कई लोगों को घूस दी और उनके नाम कोड में लिखकर उनके आगे घूस की रकम लिखी थी। उनके नामों का खुलासा माइकल अब कर सकता है। यूएई की सुरक्षा एजेंसियों ने फरवरी 2017 में मिशेल को गिरफ्तार किया था और इसके बाद से ही उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें चल रही थीं।

बताते चलें कि मिशेल को भारत प्रत्यर्पित कराने के लिए भारतीय एजेंसियों सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय ने यूएई का कई बार दौरा किया। इस दौरान एजेंसियों ने यूएई के अधिकारियों एवं न्यायालय के साथ घोटाले से जुड़े आरोपपत्र, गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्य एवं दस्तावेज साझा किए थे।

Aaryan Dwivedi

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