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Bhagya Rekha Gyan: अगर हाथ बनी हो ऐसी रेखा, व्यक्ति को पहुंचा देती है सफलता के शिखर पर

Bhagya Rekha Gyan: अगर हाथ बनी हो ऐसी रेखा, व्यक्ति को पहुंचा देती है सफलता के शिखर पर
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भाग्यरेखा / Bhagya rekha in hand hindi : जीवन में भाग्य रेखा का महत्व सबसे अधिक माना गया है इस रेखा को अंग्रेजी में फेट लाइन या लक लाइन भी कहते हैं ।

भाग्यरेखा / Bhagya rekha in hand hindi : जीवन में भाग्य रेखा का महत्व सबसे अधिक माना गया है इस रेखा को अंग्रेजी में फेट लाइन (Fate Line) या लक लाइन (Luck Line) भी कहते हैं ।

यह रेखा जितनी अधिक गहरी स्पष्ट और निर्दोष होती है उस व्यक्ति का भाग्य उतना ही ज्यादा श्रेष्ठ कहा जाता है. सभी हाथों में यह रेखा नहीं पाई जाती है लगभग 50% हाथों में ही भाग्य रेखा पाई जाती है ।

Bhagya Rekha Gyan in hindi

जिन हाथों में भाग्य रेखा नहीं होती है वह व्यक्ति अपने कर्मों के द्वारा जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं और जिन हाथों में यह भाग्य रेखा पाई जाती है उनको बहुत कम मेहनत पर ही जीवन में बहुत बड़ी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त हो जाती हैं ।

हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार

भाग्य रेखा के प्रकार / Bhagya Rekha ke Prakar -

प्रथम प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:

पहले प्रकार की भाग्य रेखा हथेली में मणिबंध के ऊपर से निकल कर अन्य रेखाओं का सहारा लेते हुए शनि पर्वत पर पहुंच जाती है ।

इस प्रकार की भाग्य रेखा सर्वोत्तम कहलाती है, इस प्रकार की भाग्य रेखा वाले व्यक्ति जीवन में बहुत ऊंचा पद प्राप्त करते हैं ।

यदि भाग्य रेखा (Bhagya rekha) जीवन रेखा (Jeevan rekha) के पास से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है, इस प्रकार की रेखा भी श्रेष्ठ मानी गई है, इस प्रकार के व्यक्तियों का भाग्योदय 28 वें वर्ष के बाद होता है ऐसे व्यक्ति संकोची स्वभाव के होते हैं तथा तुरंत निर्णय लेने में समर्थ नहीं होते हैं ।

यदि भाग्य रेखा शुक्र पर्वत से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है यह भाग्यरेखा जितनी ज्यादा स्पष्ट होती है उतनी ही ज्यादा शुभ मानी जाती है । चूंकि यह भाग्य रेखा जीवन रेखा को काटकर आगे बढ़ती है व जिन स्थानों पर यह जीवन रेखा को काटती है उस उम्र में व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.इस प्रकार के व्यक्तियों को पत्नी सुंदर आकर्षक व तड़क-भड़क में रहने वाली मिलती है .ऐसे व्यक्तियों का बुढ़ापा कष्टमय निकलता है ।

यदि भाग्य रेखा मंगल पर्वत से निकलती हुई शनि पर्वत पर पहुंच जाती है तो ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय यौवनावस्था के बाद होता है.शिक्षा के क्षेत्र में इनको बार-बार बाधाएं देखनी पड़ती है. उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती है. ऐसे व्यक्तियों को मित्रों का सहयोग नहीं मिल पाता है.

यदि भाग्य रेखा जीवन रेखा से शुरू होकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है तो ऐसे व्यक्ति सफल चित्रकार का साहित्यकार होते हैं. ऐसे व्यक्ति किसी विशेष कला में पारंगत होते हैं. ऐसे व्यक्ति सफल देशभक्त होते हैं व उनका बुढ़ापा बहुत ही सुख में व्यतीत होता है ।

यदि भाग्य रेखा राहु पर्वत से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है, तो इस प्रकार की भाग्य रेखा अत्यंत सौभाग्यशाली मानी जाती है. ऐसे व्यक्तियों का भाग्य 36 वर्ष के बाद उदय होता है.व्यक्ति 36 में से 42 में साल में आश्चर्यजनक उन्नति करता है. ऐसी भाग्य रेखा वाले जातकों का प्रारंभिक जीवन कष्ट जनक होता है व ऐसे व्यक्तियों को जीवन के उत्तर काल में धनवान,यश,प्रतिष्ठा आदि प्राप्त होती है ।

यदि भाग्य रेखा ह्रदय रेखा से सीधे शनि पर्वत पर पहुंच जाती है, तो ऐसी भाग्य रेखा वाले व्यक्ति सहृदय होते हैं.दूसरों की सहायता करते हैं.ऐसे व्यक्ति करोड़ों रुपए कमाते हैं व धार्मिक कार्यों में भी खर्च करते हैं ।

यदि भाग्य रेखा नेपच्यून से सीधे शनि पर्वत पर पहुंच जाती ह, तो इस प्रकार की भाग्य रेखा वाले बच्चों की बुद्धि बहुत तेज होती है. विद्या की दृष्टि से वह श्रेष्ठ विद्या प्राप्त करते हैं.ऐसे लोग स्वतंत्र विचारों के होते हैं. ऐसे व्यक्ति सफल साहित्यकार न्यायाधीश होते हैं व विदेश यात्रा जीवन में अनेक बार करते हैं ।

यदि भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से शनि पर्वत पर पहुंच जाती है, तथा यदि यह भाग्य रेखा शनि पर्वत पर दो तीन भागों में बढ़ जाए तो व्यक्ति अतुलनीय धन का स्वामी होता है व इनकी आय के स्रोत एक से अधिक होते हैं.ऐसा व्यक्ति विदेश में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है व धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है. वह समाज में सम्मान प्राप्त करता है ।

यदि भाग्य रेखा हर्षल क्षेत्र से शनि पर्वत पर पहुंच जाती है, तो इस प्रकार की भाग्य रेखा जिन हाथों में होती है वह निश्चय ही उच्च पद प्राप्त करता है. ऐसे ही व्यक्ति जीवन में कई बार विदेश यात्राएं करते हैं व वायु सेना में उच्च पद प्राप्त अधिकारी होते हैं.जीवन में ऐसा व्यक्ति राष्ट्र स्तरीय सम्मान प्राप्त करता है.

यदि भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा से शुरू होकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है, लेकिन ऐसी भाग्य रेखा बहुत कम हाथों में देखने को मिलती है.ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व अपने आप में भव्य होता है. ऐसे व्यक्ति शुक्र की तरह जीवन में चमकते हैं.ऐसा व्यक्ति साधारण कुल में जन्म लेकर सभी दृष्टियों से योग्य और सुखी होता है. अगर ऐसी रेखा अंत में जाकर दो भागों में बंट जाए तो व्यक्ति उच्च स्तर का अधिकारी होता है ।

Suyash Dubey | रीवा रियासत

Suyash Dubey | रीवा रियासत

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