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सप्ताह में इस दिन नहीं करनी चाहिए पीपल की पूजा, अन्यथा हो जायेंगे दरिद्र, जाने देवी दरिद्रा की पूरी कहानी

सप्ताह में इस दिन नहीं करनी चाहिए पीपल की पूजा, अन्यथा हो जायेंगे दरिद्र, जाने देवी दरिद्रा की पूरी कहानी
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भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता में कहा है कि वह वृक्षों में पीपल है। भगवान के इस कथन को सत्य मानते हुए कहा जा सकता है कि पीपल का पेड़ भगवान श्री नारायण का साक्षात स्वरूप है।

भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगव गीता में कहा है कि वह वृक्षों में पीपल है। भगवान के इस कथन को सत्य मानते हुए कहा जा सकता है कि पीपल का पेड़ भगवान श्री नारायण का साक्षात स्वरूप है। पीपल की पूजा करने से कई तरह के दोष दूर हो जाते हैं। लेकिन क्या अपको पता है कि सप्ताह में एक दिन ऐसा भी है जिस दिन अगर भूल से भी पीपल की पूजा की जाय ते सुख शांति मिलने के बजाया दरिद्रता आती है। यह व्यवस्था भी भगवान विष्णु ने स्वयं निर्धारित कर रखी है।

इस दिन नही करनी चाहिए पीपल की पूजा

वैसे भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ ही पीपल में 33 करोड देवी देवताओ का वास माना गया है। पर कहा गया है कि रविवार के दिन पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से कोई पुण्य लाभ प्राप्त नही होता है। क्योकि पीपल पर रविवार के दिन देवी देवताओं का निवास नही होता है। भगवान विष्णु के कहने पर रविवार के दिन पीपल में देवी दरिद्रा अपने पति सहित निवास करती है।

कौन है दरिद्रा

बात समुद्र मंथन के समय की है। जब देव और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। उस समुद्र मंथन में कई तरह के तत्व निकले। साथ ही माता लक्ष्मी तथा उससे पहले देवी दरिद्रा भी निकली। प्रकट होने के बाद दोनों बहनों के पास रहने का कोई निश्चित स्थान नही था। जिसके बाद वह भगवान विष्णु के पास पहुंची। भगवान ने पीपल में उन दोनो को रहने के लिए कहा।

भगवान विष्णु ने दिया विवाह का प्रस्ताव

भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी के पास विवाह का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद माता लक्ष्मी ने कहा कि वह अपनी बडी बहन दरिद्रा के अविवाहित रहते विवाह कैसे कर सकती है। जिस पर श्री विष्णु ने दरिद्रा से कहा वह कैसा वर चाहती है। जिस पर दरिद्रा ने कहा कि जो देवकुल या मानवकुल का हो लेकिन विवाह के उपरांत कभी पूजा-पाठ न करे। साथ ही मुझे ऐसे स्थान पर आश्रय दें जहां कोई भी पूजा-पाठ न करता हो।

करवाया गया देवी दरिद्रा का विवाह

भगवान विष्णु ने अथक प्रयास कर दरिद्रा के लिए एक ऋषि नामक एक वर खोज लाये। देवी दरिद्रा का विवाह करवा दिया गया। अब दरिद्रा के पति ऋषि उस स्थान की खोज में लग गये जहां पूजा पाठ न होता हो। लेकिन वह नहीं मिला। काफी दिन बीत गये ऋषि स्थान खोजकर वापस नही आये तो दरिद्रा दुखी हो गई। इसकी जानकारी माता लक्ष्मी को होते ही वह भगवान विष्णु से कहने लगी कि उन्हे स्थान खोजा जाय।

रविवार के दिन बंद हुई पीपल की पूजा

भगवान श्री विष्णु ने कहा कि पृथवी में ऐसी जगह नही है। लेकिन देवी दरिद्रा को पीपल के वृक्ष में आश्रय लेने के लिए कहा। वह भी सिर्फ रविवार के दिन। भगवान ने कहा कि रविवार के दिन पीपल में कोई भी देवी-देवता वास नही करेगा। तब से रविवार के दिन पीपल की पूजा बंद कर दी गई।

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