जबलपुर

जबलपुर की दो लड़कियां एक-दूसरे के प्यार में, परिवार-समाज ने अंगुली उठाई, तो घर से भाग गईं, मामला हाईकोर्ट पहुंचा, फिर...

जबलपुर की दो लड़कियां एक-दूसरे के प्यार में
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जबलपुर की दो लड़कियां एक-दूसरे के प्यार में

एक लड़की की उम्र 18 वर्ष है जबकि दूसरी की 22. जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा- लड़कियां बालिग़ हैं, खुद फैंसला ले सकती हैं.

मध्यप्रदेश के जबलपुर की दो लड़कियां रिलेशनशिप में हैं. दोनों बचपन से साथ में खेली, पढ़ीं और बड़ी हुईं. फिर दोनों को प्यार हो गया. समाज और परिवार ने जब उंगली उठाना शुरू किया तो दोनों घर छोड़कर भाग गई. दोनों साथ रहना चाहती हैं. अब मामला हाईकोर्ट पहुंचा है.

एक लड़की की उम्र 18 वर्ष है तो दूसरी 22 साल की है. 18 वर्षीय लड़की के पिता ने लड़की की कस्टडी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. सोमवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने कहा- लड़की बालिग है. अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले सकती है.

दोनों लडकियां जबलपुर के खमरिया इलाके में ईस्टलैंड में रहती हैं. पड़ोसी होने के साथ साथ एक दूसरे की रिश्तेदार भी हैं. 22 वर्षीय युवती के माता पिता नहीं हैं, जिसकी वजह से उसकी देखभाल भी 18 वर्षीय लड़की के पेरेंट्स करते थें.

18 साल की युवती के पिता ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर हें. नशे में आए दिन झगड़ा करते थे. पेरेंट्स जब उसे पीटते, तो वह बचने के लिए दूसरी युवती के घर चली जाती थी. धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहराती गई और दोनों अधिकांश समय साथ रहने लगीं. परिवार में रहने वाली युवती ने 8वीं तक पढ़ाई की. समय के साथ दोनों बड़ी होने लगीं. इसी के साथ रिश्ता भी मजबूत होता गया. बगैर किसी को बताए. बगैर अच्छा-बुरा सोचे, दोनों ने ताउम्र साथ जिंदगी बिताने की ठान ली. उन्हें पता था कि परिवार वाले उनके रिश्ते को नहीं अपनाएंगे. इसलिए भागने का प्लान बना लिया. इस बीच परिवार को इसका पता चला गया. उन्होंने आपत्ति जताई. इसी साल, जुलाई में युवती ने 18वां जन्मदिन मनाया.

घर छोड़कर भाग गईं

दोनों के रिलेशनशिप को समाज और परिवार ने स्वीकार नहीं किया. इसलिए दोनों 14 अगस्त को घर से भाग निकलीं. परिवार ने देखा तो पड़ोस की युवती भी लापता मिली. समझते देर नहीं लगी. उन्हें खोजने की कोशिश की, लेकिन पता नहीं चला. 16 अगस्त को पिता ने दोनों लड़कियों की गुमशुदगी दर्ज कराई. दो महीने तक दोनों का पता नहीं चला.

भोपाल के हॉस्टल में मिलीं

दोनों लड़कियां जबलपुर से भागकर भोपाल आ गईं. यहां कुछ दिन तक काम की तलाश में भटकीं. रहने के लिए हॉस्टल में किराए से कमरा भी ले लिया. दो महीने तक भोपाल में रहीं. इसकी जानकारी भोपाल पुलिस को मिल गई. भोपाल पुलिस ने 12 अक्टूबर को जबलपुर पुलिस को इसकी जानकारी दी. जबलपुर पुलिस परिवारवालों को भोपाल लेकर आई. 18 साल की युवती ने फैमिली के साथ रहने से मना कर दिया. उसने पिता के साथ जबलपुर जाने से इनकार कर दिया.

पिता ने बेटी के लिए लगाई हाईकोर्ट में याचिका

बेटी की कस्टडी पाने के लिए 14 अक्टूबर को युवती के पिता ने हाईकोर्ट का रुख किया. उन्होंने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. कोर्ट को बताया कि बेटी को महिला मित्र के बजाय घर पर रहने के लिए मनाने की कोशिशें की, लेकिन वह नहीं मान रही. याचिका को हाईकोर्ट ने मंजूर कर युवती को हाजिर होने का नोटिस तामील कराया.

हाईकोर्ट ने कहा- दोनों बालिग हैं, फैसला लेने के लिए स्वतंत्र

सरकारी वकील सुयश ठाकुर ने बताया कि याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान पिता ने कहा कि उनकी बेटी गलत राह पर जा रही है. उसे समझाने का बहुत प्रयास किया है. वहीं, बेटी ने कोर्ट को बताया कि घर वाले मुझे पीटते हैं. मैं बालिग हूं. समझदार हूं. अपने पैरों पर खड़ी हूं, इसलिए मुझे अपना जीवन जीने की इजाजत दी जाए.

कोर्ट ने दोनों को एक घंटे का समय दिया. कहा- दोनों आपस में सलाह कर लें. एक घंटे बाद दोनों फिर हाईकोर्ट के सामने पेश हुए. यहां युवती अपनी सहेली के साथ रहने की बात पर अड़ी रही. हाईकोर्ट ने कहा- लड़की बालिग है, इसलिए अपनी जिंदगी से जुड़े फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.

एएसपी प्रदीप शेंडे के मुताबिक युवती के पिता ने खमरिया थाने में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस ने कुछ दिनों में युवती को तलाश कर पिता के समक्ष ले गए, पर युवती पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी. युवती के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान न्यायालय के आदेश पर दोनों को जाने दिया गया.

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