जबलपुर

एमपी के जबलपुर में ट्रेनें छह से आठ घंटे देरी से चल रहीं, कोहरा बना वजह

Sanjay Patel
2 Jan 2023 10:55 AM GMT
एमपी के जबलपुर में ट्रेनें छह से आठ घंटे देरी से चल रहीं, कोहरा बना वजह
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कोहरा बढ़ने का असर ट्रेनों पर साफ दिखने लगा है। जबलपुर आने वाली कई ट्रेनें छह से आठ घंटे तक देरी से चल रही हैं।

बढ़ती ठंड व कोहरे का असर जहां आम जनजीवन पर पड़ रहा है तो वहीं ट्रेनें भी इससे अछूती नहीं रह गई हैं। कोहरा बढ़ने का असर ट्रेनों पर साफ दिखने लगा है। जबलपुर आने वाली कई ट्रेनें छह से आठ घंटे तक देरी से चल रही हैं। कोहरे से सबसे ज्यादा प्रभावित दिल्ली से जबलपुर आने वाली ट्रेने हुई हैं।

यह ट्रेनें प्रभावित

घना कोहरा छाने की वजह से कई ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो रहा है। जहां ट्रेनें विलम्ब से गंतव्य तक पहुंच रही हैं तो वहीं मुसाफिर भी इसके चलते परेशानी होते हैं। दिल्ली से ग्वालियर के बीच अधिक कोहरा होने के कारण हजरत निजामुद्दीन से जबलपुर आने वाली श्रीधाम लगभग आठ घंटे देरी से चल रही है। इसी रूट पर चलकर जबलपुर आने वाली गोंडवाना पर भी कोहरे का असर दिखा है। यह ट्रेन लगभग दो घंटे की देरी से चल रही है। दिल्ली से जबलपुर आने वाले यात्री परेशान हैं तो वहीं जबलपुर से दिल्ली जाने वाले यात्री भी निर्धारित समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सकेंगे।

उत्तर भारत की ट्रेनों पर भी असर

कोहरे की वजह से उत्तरप्रदेश और बिहार से जबलपुर आने वाली ट्रेनों पर भी इसका असर पड़ रहा है। पटना से मुंबई, पटना से पुणे और हावड़ा से चलकर जबलपुर आने वाली शक्तिपुंज भी अपने निर्धारित समय से देरी से चल रही हैं। रेलवे सूत्रों की मानें तो यह ट्रेनें अपने निर्धारित समय से लगभग दस घंटे लेट चल रही हैं। इसके साथ ही उत्तर भारत से दक्षिण भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों पर भी इसका असर देखा जा रहा है। कोहरे का असर यहां 60 फीसदी ट्रेनों पर पड़ा है।

कोहरे से निपटने रेलवे की रणनीति नाकाम

ट्रेनों के संचालन पर कोहरा अच्छा खासा असर डालता है। इससे ट्रेनें जहां निर्धारित समय में अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पातीं जिससे रेलवे को आर्थिक नुकसान भी होता है। कोहरे का असर ट्रेनों पर न पड़े इससे निपटने के लिए रेलवे द्वारा रणनीति भी बनाई गई थी। पश्चिम मध्य रेलवे ने जबलपुर, भोपाल और कोटा मंडल की ट्रेनों के इंजन में कोहरे के दौरान ट्रेनों की रफ्तार प्रभावित होने से बचाने के लिए कोहरे में दिखने वाले कई डिजिटल सिग्नल लगाए हैं। इतना ही नहीं इंजन फॉग सिस्टम भी लगाया गया। वहीं कई जगह पर पटाखे भी फोड़े जा रहे हैं ताकि ट्रेनों के संचालन में किसी तरह की परेशानी न हो किंतु रेलवे द्वारा उठाए गए यह कदम भी नाकाम साबित होते नजर आ रहे हैं।

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