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रीवा समेत प्रदेश भर से 20 जूनियर डॉक्टर निष्कासित, रजिस्ट्रेशन भी रद्द होंगे
एस्मा लगने के बाद भी हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों पर पहली बार राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 20 जूनियर डॉक्टरों को निष्कासित (रेस्टिकेट) कर दिया है। इंदौर में पांच जूडॉ पर यह कार्रवाई की गई। ग्वालियर, रीवा और जबलपुर के डॉक्टरों को भी निष्कासित किया गया है। भोपाल में जूनियर डॉक्टरों को फिलहाल नोटिस दिया गया है। निष्कासित डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल कर दिए जाएंगे। हड़ताल में शामिल उन मेडिकल स्टूडेंट पर भी कार्यवाही होने वाली है, जिन्होंने हाल ही में नीट के जरिए पीजी में एडमिशन लिया है। इधर, इंदौर में एमवाय अस्पताल में धारा 144 लागू कर दी गई। डीन ने जूडॉ एसो. के अध्यक्ष कृपाशंकर तिवारी सहित 5 जूनियर डॉक्टरों को निष्कासित कर दिया।
इसके बाद 176 जूनियर डॉक्टरों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा पांच नर्सों पर एफआईआर के निर्देश दिए गए हैं। इन सब में मरीजों की मुसीबतें बढ़ गई है। ऑपरेशन भी टल रहे हैं। बुधवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और भारत सरकार के पास जाकर सभी स्थितियों पर बात करके इन स्टूडेंट के एडमिशन निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। तब तक राज्य सरकार ने सात नए मेडिकल कॉलेज में पदस्थ किए गए 250 असिस्टेंट प्रोफेसरों को आपात सेवाओं में लगा दिया है, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं पर असर नहीं पड़े। बता दें कि स्टायपेंड बढ़ाने और अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टर सात दिनों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। सोमवार से ये अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। एस्मा लागू होने के बावजूद काम पर नहीं लौटे तो अस्पताल प्रशासन ने इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
प्रदेश में 220 मरीजों के ऑपरेशन टले, ओपीडी भी 60 प्रतिशत घटी
एमवाय अस्पताल में मंगलवार रात दर्द से कराहती यह बुजुर्ग महिला काफी देर तक स्ट्रेचर पर पड़ी रही। हड़ताल के चलते किसी ने भी उसकी सुध नहीं ली।
हड़ताल वे कर रहे, जिनकी फीस सरकार भर रही
हड़ताल कर रहे लोगों में एक तिहाई ऐसे हैं, जो नए शिक्षण सत्र में एडमिशन लेकर आए हैं। इनमें से भी आधे लोगों की फीस सरकार भर रही है। सरकार का कहना है कि एक माह पहले एडमिशन लेने वाले हड़ताल कर रहे हैं। इसीलिए एमसीआई और भारत सरकार से बात करके इनके एडमिशन निरस्त कर दोबारा काउंसलिंग कराई जाएगी, ताकि नए लोग आ सकें। जरूरत पड़ी तो चिकित्सा शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा। -इंदौर फ्रंट पेज भी पढ़ें
इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूडॉ 23 जुलाई से हड़ताल पर हैं। इस वजह से इन मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में भर्ती 220 मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए। ओपीडी में मरीजों की संख्या 60% तक घट गई है। एमवायएच में भी 40 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं हो पाए। सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों से कहा है कि वे बिना शर्त हड़ताल खत्म करें। मांगों पर सरकार बात कर रही थी, अब भी करेगी।
कॉलेज का नाम ओपीडी नए मरीज सर्जरी टली
एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर 1787 58 40
जीएमसी (हमीदिया, सुल्तानिया) भोपाल 1164 74 55
जीअारएमसी, ग्वालियर 2007 180 60
एनएससीबीएमसी, जबलपुर 900 38 50
एसएस मेडिकल कॉलेज, रीवा 150 07 15
नोट : आंकड़े संबंधित मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों के अधीक्षकों से बताए अनुसार।
मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल्स में मरीजों के इलाज का 80 प्रतिशत काम जूनियर डॉक्टर्स द्वारा किया जाता है।
जूनियर डॉक्टर्स की जरूरत इसलिए
इमरजेंसी यूनिट और वार्डों में भर्ती मरीजों का इलाज कंसलटेंट डॉक्टर्स की निगरानी में जूडा करते हैं।
ऑपरेशन थिएटर में कंसलटेंट को पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ऑपरेशन में बतौर असिस्टेंट मदद करते हैं।
हड़ताल के कारण असिस्टेंट प्रोफेसर से लेकर प्रोफेसर स्तर तक के डॉक्टर्स ऑपरेशन नहीं कर पा रहे हैं।
किसी का निष्कासन वापस नहीं होगी, नए डॉक्टर लाए जाएंगे
जूनियर डॉक्टरों और सरकार के बीच कोई बात हुई?
हम हमेशा बात करते हैं, लेकिन मरीजों के लिए जिनकी भावना नहीं, उनके साथ सहानुभूति रखने का क्या मतलब? वे अपना धर्म नहीं निभा रहे।
हड़ताल से स्थिति बिगड़ रही है, आपकी क्या तैयारी है?
नए मेडिकल कॉलेज से 250 असिस्टेंट प्रोफेसर सभी जगहों भेजे गए हैं। हम प्रयास कर रहे हैं। मरीजों को दिक्कत नहीं होगी। नर्स व पैरामेडिकल स्टॉफ भी लगा दिया गया है।
निष्कासित लोगों को क्या वापस लिया जाएगा?
एस्मा लगा होने के बाद हड़ताल की गई। मरीजों के प्रति लापरवाही का यह गलत तरीका है। कोई भी वापस नहीं होगा। रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल करेंगे। डॉक्टरी के पेशे में जो सेवा भाव रखेंगे, ऐसे नए लोगों को लाया जाएगा।
राधेश्याम जुलानिया, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा