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Sepsis: गर्भवती महिलाओं के लिए कितना ख़तरनाक है सेप्सिस

Sepsis: गर्भवती महिलाओं के लिए कितना ख़तरनाक है सेप्सिस
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कुछ गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी में सेप्सिस का शिकार होना पड़ता है जोकि एक बहुत ही खतरनाक कंडीशन होती है.

Sepsis: कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी (Pregnancy) एक मुश्किल भरा फेज़ लगता है क्योंकि कभी-कभी ऐसी दिक्कतें हो जाती है कि वह मौत को इस दौरान बहुत करीब से देख लेती हैं। कुछ गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी में सेप्सिस का शिकार होना पड़ता है जोकि एक बहुत ही खतरनाक कंडीशन होती है जिससे बहुत बार प्रीमेच्योर बेबी (Premature baby) को जन्म देना पड़ता है। बहुत से लोगों को सेप्सिस के बारे में पता नहीं इसलिए आज हम आपको बताएंगे इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें

आखिर क्या है सेप्सिस (What is Sepsis)



आपको बता दें कि सेप्सिस (Sepsis) एक बेहद खतरनाक कंडीशन होती है। इसके अंतर्गत हमारा शरीर किसी भी संक्रमण के खिलाफ प्रतिक्रिया करता है और शरीर को इंफेक्शन से बचाने के लिए शरीर के अंदर कई तरह के प्रोटीन और एंजाइम रिलीज होते हैं। ये रिएक्शन कभी-कभी इतना ज्यादा हो जाता है कि शरीर के खुद के अंग क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। ऐसे में अगर सही समय पर उपचार न हो तो ऑर्गन फेल्योर (Organ failure), टिशु डैमेज (Tissue damage) जैसी समस्या हो सकती है। आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार संक्रामक रोगों (Infectious diseases) में सबसे ज्यादा मौत सेप्सिस के कारण ही होती है।

गर्भवती महिलाओं में ज्यादा होता है खतरा (Pregnant women are at higher risk)



सेप्सिस का मुख्य कारण होता है इन्फेक्शन (Infection)। ये ब्लड से जुड़ा वायरल, फंगल और बैक्टीरियल किसी भी तरह का इंफेक्शन (Infection) हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को यूरिनरी ब्लैडर, यूटीआई, जीटीआई (GTI) आदि के संक्रमण होने का रिस्क काफी ज्यादा होता है और अगर इंफेक्शन समय पर ठीक ना हो तो सेप्सिस होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर किसी महिला की गर्भावस्था के दौरान इम्युनिटी कमजोर है तो भी सेप्सिस का रिस्क बढ़ जाता है।

सेप्सिस के लक्षण (Symptoms of sepsis)



● बदन में दर्द

● तेज बुखार

● कमजोरी

● बीपी लो होना

● यूरिन कम आना

● मितली

● दिल की धड़कन तेज होना

● सांस फूलना

● योनि से खून बहना

● ऑक्सीजन का लेवल गिरना

● बेहोशी

अगर गर्भावस्था के दौरान उपरोक्त लक्षण दिखे तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें और इसका इलाज कराएं।

बचाव ही उपाय है (Prevention is the only way)




● महिलाओं का समय-समय पर टीकाकरण (Vaccination) अवश्य हो।

● अगर गर्भवती महिला की कोई चोट लगी है और वह सही नहीं हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

● साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

● डॉक्टरों द्वारा निर्देशित दवाइयों का सेवन समय-समय पर करना चाहिए।

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