ग्वालियर

MP: भिखारियों के साथ सोएं, टैम्पो चलाया, 12वीं Fail भी हुए...पर Girlfriend से वादा किया था और IPS बन गए

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:40 AM IST
MP: भिखारियों के साथ सोएं, टैम्पो चलाया, 12वीं Fail भी हुए...पर Girlfriend से वादा किया था और IPS बन गए
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आकर्षण, जिद और सच्चे प्यार को किया गया वादा आदमी को क्या से क्या बना सकता है। यह कहानी कुछ ऐसी ही है। मध्यप्रदेश के चम्बल यानी हथियार और अपराध के इलाके मुरैना के रहने वाले मनोज शर्मा आज आईपीएस हैं परंतु वो बचपन से होनहार नहीं थे। 11वीं तक नकल से पास हुए, 12वीं में फेल हो गए। टैंपो चलाया, भिखारियों के पास सोए लेकिन एक लड़की से वादा किया था इसलिए आज आईपीएस बनकर सारी दुनिया के लिए मिसाल बन चुके हैं।

मुरैना के लला मनोज शर्मा, नकल से पास हुए, 12वीं में फेल हो गए मनोज शर्मा का जन्म मुरैना, मध्यप्रदेश में हुआ था। नौवीं, दसवीं, और ग्यारहवीं में तीसरे स्थान पर रहे। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने नकल का सहारा लिया लेकिन 12वीं परीक्षा में नकल करना मुश्किल था इसलिए वे फेल हो गए। उन्होंने बताया कि 12वीं परीक्षा में पास होने के लिए उन्होंने नकल की सारी तैयारी कर ली थी। पर उस वक्त वहां के एसडीएम ने स्कूल में नकल न होने के लिए ज्यादा से ज्यादा अच्छे इंतजाम करवाएं।

एसडीएम की पॉवर देखकर प्रेरणा मिली एसडीएम की पावर को देखकर मनोज के मन में ऐसा ही पावरफुल इंसान बनने का ख्याल आया। चूंकि वे 12वीं में फेल हो गए थे इसलिए उन्होंने और उनके भाईयों ने टैंपो चलाया। एक बार की घटना है, उनका टैंपो पकड़ा गया तो मनोज एसडीएम से मदद मांगने गए, जब उनसे मिले तो उन्होंने उनसे बस एक प्रश्न पूछा कि उन्होंने कैसे तैयारी की।

मंदिर में भिखारियों के पास सोते थे उस वक्त मनोज ने एसडीएम को नहीं बताया था कि वो 12वीं में फेल हो गए हैं। उनसे मिलने के कुछ दिनों बाद वे ग्वालियर आ गए। चूंकि मनोज के पास पैसे नहीं थे इसलिए वो मंदिर में भिखारियों के पास सोते थे। उस दौरान मनोज को लाइब्रेरी कम चपरासी की नौकरी मिल गई।लाइब्रेरी में गोर्की और अब्राहम लिंकन से लेकर मुक्तबोध जैसे बड़े-बड़े लोगों के बारे में पढ़ा और उनके द्वारा किए काम को समझा।

एक लड़की से प्यार करते थे, वादा किया था इसलिए आईपीएस बन गए मनोज की एसडीएम बनने की तैैयारी शुरू हो गई थी। वे एक लड़की से प्यार करते थे लेकिन 12वीं फेल होने के कारण वे अपने दिल की बात कहने से डरते थे। फिर वे ग्वालियर से दिल्ली आ गए। क्योंकि वहां भी मनोज के पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने कुत्ते टहलाने की नौकरी मिल गई। उस वक्त उन्हें चार सौ रुपए प्रति कु्त्ते के मिलते थे।

शिक्षक ने फीस भरी मनोज के सर दिव्यकीर्ति ने इनके एडमिशन की फीस भरी थी। पहले अटेंप्ट में प्री बड़ी आसानी से निकाल लिया पर दूसरे और तीसरे अटेंप्ट में क्लीअर नहीं हुआ। चौथी बार में परीक्षा उत्तीर्ण की और मेंस में पहुंच गए। चूंकि वे अंग्रेजी में कमजोर थे इसलिए मेंस में दिक्कतें आई।

वे बताते है कि वे एक लड़की से प्यार करते थे और उससे कहा था कि अगर तुम साथ दो तो मैं दुनिया पलट सकता हूं। इस तरह उन्होंने मेंस भी क्लीअर कर लिया और वो आईपीएस बन गए।

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