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IAS संतोष वर्मा के समर्थन में सड़कों पर उतरा एससी-एसटी-ओबीसी समाज, कार्रवाई वापस लेने की मांग तेज; अधिकारी ने ब्राह्मण बेटियों पर विवादित बयान दिया था

- आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन
- एससी, एसटी और ओबीसी समाज के संगठनों का संयुक्त आंदोलन
- कलेक्टर कार्यालय ग्वालियर पर सौंपा गया ज्ञापन
- कार्रवाई वापस नहीं लेने पर आंदोलन की चेतावनी
ग्वालियर में सामाजिक संगठनों का संयुक्त प्रदर्शन
ग्वालियर में शनिवार को उस समय माहौल गरमा गया, जब आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ की गई मोहन यादव सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में एससी, एसटी और ओबीसी समाज के संगठनों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया। सामाजिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे के बैनर तले कलेक्टर कार्यालय पर पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और कार्रवाई को तत्काल वापस लेने की मांग की।
कलेक्टर कार्यालय पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन
प्रदर्शन के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम अतुल सिंह को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया कि संतोष वर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। संगठनों ने मांग की कि इस कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
इन संगठनों ने लिया प्रदर्शन में हिस्सा
इस आंदोलन में ओबीसी महासभा, जयस, सर्व दलित एकता मंच, आदिवासी समाज संघ सहित कई सामाजिक संगठनों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि यह मुद्दा केवल एक अधिकारी का नहीं, बल्कि पूरे वंचित समाज के सम्मान से जुड़ा हुआ है।
आदिवासी समाज के ईमानदार अधिकारी को बनाया गया निशाना?
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि आदिवासी समाज से आने वाले ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उनका कहना था कि संतोष वर्मा ने हमेशा संविधान, सामाजिक समरसता और समानता की बात की है, लेकिन इसी वजह से कुछ लोग उनसे असहज हो गए।
कार्रवाई को बताया वंचित वर्ग की आवाज दबाने की कोशिश
प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा कि यह कार्रवाई सरकार की संकुचित मानसिकता को दर्शाती है। उनका आरोप है कि इस तरह के कदम उठाकर एससी, एसटी और ओबीसी समाज की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
माफी के बावजूद द्वेषपूर्ण कार्रवाई का आरोप
एडवोकेट विश्वजीत रातोनिया ने बताया कि संबंधित अधिकारी द्वारा स्पष्टीकरण और माफी देने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रखी गई। उन्होंने इसे द्वेषपूर्ण और एकतरफा करार देते हुए कहा कि बिना निष्पक्ष जांच के इस तरह का कदम उठाना न्यायसंगत नहीं है।
23 नवंबर के अजाक्स अधिवेशन का मामला
संगठनों ने जानकारी दी कि 23 नवंबर को आयोजित अजाक्स अधिवेशन में संतोष वर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए थे। इस दौरान संतोष वर्मा ने ब्राह्मण बेटियों पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद से ही वर्मा के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहें थे।
7 सेकेंड की वीडियो क्लिप को बताया साजिश
आरोप लगाया गया कि कुछ समाज विरोधी तत्वों ने उनके पूरे भाषण की बजाय केवल 7 सेकेंड की वीडियो क्लिप को काट-छांट कर सोशल मीडिया पर वायरल किया। इसी क्लिप के आधार पर बिना निष्पक्ष जांच के नोटिस जारी कर दिया गया, जिसे संगठनों ने अन्यायपूर्ण कार्रवाई बताया।
संविधान और आदिवासी सम्मान पर हमला
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह पूरा मामला संविधान, न्याय और आदिवासी समाज के सम्मान पर सीधा हमला है। यदि आज एक अधिकारी को इस तरह निशाना बनाया जाएगा, तो आने वाले समय में ईमानदार अधिकारियों का मनोबल टूटेगा।
सरकार के सामने रखीं 9 प्रमुख मांगें
संयुक्त मोर्चे द्वारा सरकार के समक्ष 9 प्रमुख मांगें रखी गईं। इनमें संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई को वापस लेना, निष्पक्ष जांच कराना और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, जैसे बिंदु शामिल थे।
आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया और कार्रवाई वापस नहीं ली गई, तो वे सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सम्मान और न्याय की है।
कुल मिलाकर मुद्दा और गरमाया
कुल मिलाकर, ग्वालियर में हुआ यह प्रदर्शन प्रशासन और सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय लिया जाता है।
FAQs
ग्वालियर में प्रदर्शन क्यों किया गया?
आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ की गई कथित अवैधानिक कार्रवाई के विरोध में यह प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शन में कौन-कौन से समाज शामिल थे?
इस प्रदर्शन में एससी, एसटी और ओबीसी समाज के कई संगठन शामिल थे।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग क्या है?
मुख्य मांग संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने और निष्पक्ष जांच कराने की है।




