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Thalaikoothal: भारत के इस राज्य में लोग बूढ़े माता-पिता को प्रथा के नाम पर निपटा देते हैं, लेकिन क्यों
Thalaikoothal: हमें बचपन से यह सिखाया जाता है कि बड़े होकर बुजुर्ग माता-पिता की सेवा करनी है और इन आदर्शों का पालन करते हुए अच्छे बच्चे ऐसा करते भी हैं, लेकिन भारत में एक राज्य ऐसा है जहां बुजुर्ग माता-पिता की सेवा नहीं उन्हें सीधा निपटा दिया जाता है, और ये सब अभी से नहीं कई दशकों से चल रहा है।
देश के तमिलनाडु राज्य के कुछ पिछड़े हिस्सों में वहां के लोग अपने घर के बुजुर्गों को सिर्फ इस लिए मार डालते हैं क्योंकि वो बूढ़े हैं, और इस अपराध को वहां के लोग अपने पूर्वजों की बनाई प्रथा कहते हैं. वो लोग ऐसा क्यों करते हैं आइये इसका कारण जानते हैं
ये कुप्रथा कहां होती है
तमिलनाडु के थलाईकूथल (Thalaikoothal) नाम की एक प्रथा सदियों से चलती आ रही है। इस कुप्रथा को मनाने वाले लोग अपने घर के बुजुर्गों को मार डालते हैं.
ऐसा क्यों करते हैं
ऐसा नहीं है कि थलाईकूथल का पालन करने वाले लोग हर बुजुर्ग को मौत के घाट उतार देते हैं बल्कि सिर्फ उन चुनिंदा लोगों को मारा जाता है जो असाध्य रोग से पीड़ित रहते हैं.(Elderly with incurable diseases killd in Indian State) असाध्य रोग से पीड़ित लोग जब खुद के लिए मौत की इक्षा मांगते हैं तो उसकी इक्षा पूरी कर दी जाती है। कई बार जब बीमार की हालत ज़्यादा गंभीर रहती है तो परिवार सहित पड़ोस के लोग खुद निर्णय लेते हैं और बीमार व्यक्ति को मार डालते हैं.
असाध्य रोग के कारण बुढ़ापे में इंसान चलना फिरना बंद कर देता है, कभी-कभी हमेशा के लिए कोमा में चला जाता है, जब उनके परिवार के लोगों को लगता है कि सामने वाला पीड़ित बुजुर्ग अब ठीक नहीं हो सकता और मौत सिर्फ उसके गले में अटकी हुई है तो वो उसे दर्द और इस बेरहम बीमारी से मुक्ति देने के लिए उसकी जान लेलेते हैं.
इस प्रथा के तहत बीमार बुजुर्ग को 3 तरीकों से मारा जाता है
पहला तरीका
एक प्रक्रिया में बीमार को पहले तेल से नहलाया जाता है, फिर उसे नारियल का पानी, तुलसी और दूध पिलाया जाता है, इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण है कि तेल से नहलाने के बाद और उस शख्स को ठंडी चीज़े पिलाने से शरीर का तापमान 92 से 93 फेरनहाइट पहुंच जाता है। जो सामान्य से काफी कम होता है, शरीर का तंत्र बिगड़ने लगता है और दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है।
दूसरा तरीका
इसमें बुजुर्ग को जानबूझ कर कड़ी चकली जैसी चीज़ें खाने को दी जाती है, और वो चकली बुजुर्ग के गले में फंस जाती हैं, जिससे वो सांस नहीं ली पता और मर जाता है।
तीसरा तरीका
इसमें मिट्टी को पानी में डाल कर मरते आदमी को पीला दिया जाता है, जिससे पेट खराब हो जाता है और बीमार शख्स की मौत हो जाती है।
मारते ही क्यों है इलाज काहे नहीं करवाते
हैरानी की बात है कि किसी को मार डालने के बाद भी लोगों पर कोई पुलिस केस नहीं होता। क्यूँकि इसे बुढ़ापे की नेचुरल डेथ की तरह देखा जाता है, जब इस समाज के लिए चिकित्सा सेवा उतनी मुस्तैद नहीं थी तब ज़्यादातर बुजुर्गों को ऐसे ही मार डाला जाता था, लेकिन अब हर तरफ हॉस्पिटल खुल गए हैं और इलाज मिलने लगा है। लेकिन जो लोग गरीब होते हैं और इलाज नहीं करवा पते वो इस प्रथा को अपनाते हैं।