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भारत में खत्म हुई 50 साल पुरानी 'रजिस्टर्ड पोस्ट' सेवा, क्या आपको भी याद है वो चिट्ठियां?

Post Service
50 साल पुरानी 'रजिस्टर्ड पोस्ट' सेवा का अंत: भारत में 50 सालों से चली आ रही रजिस्टर्ड पोस्ट (Registered Post) सेवा अब इतिहास का हिस्सा बन गई है. साल 2025 में, इंडिया पोस्ट ने पत्रों के लिए इस सेवा को आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया है. यह खबर भले ही सुर्खियों में न आई हो, लेकिन यह उन हजारों लोगों के लिए एक भावनात्मक क्षण है, जिन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में इस पर भरोसा किया था. यह सिर्फ एक मेल सर्विस नहीं थी, बल्कि विश्वास, परंपरा और भावनाओं को भेजने का एक जरिया थी, जिसकी अब सिर्फ यादें रह गई हैं.
विश्वास का वो दौर: जब रजिस्टर्ड पोस्ट थी एक लाइफलाइन
एक समय था जब रजिस्टर्ड पोस्ट सिर्फ एक मेल सर्विस नहीं, बल्कि एक लाइफलाइन थी. 1998 में, जब फोन और इंटरनेट आम नहीं थे, तब बहन अपनी प्यार भरी राखी अपने भाई को इसी के जरिए भेजती थी. एक साधारण से लिफाफे में राखी, मीठे के लिए छिपाया गया 50 रुपये का नोट और एक प्यार भरा खत, ये सब रजिस्टर्ड पोस्ट के भरोसे ही दूर तक पहुंचता था. कॉलेज के आवेदन, जमीन के दस्तावेज, नौकरी के पत्र और कानूनी नोटिस जैसी गंभीर चीजें भी इसी के जरिए भेजी जाती थीं. रजिस्टर्ड पोस्ट पर डिलीवरी की रसीद और सिग्नेचर होता था, जिससे यह सुनिश्चित हो जाता था कि आपका पत्र सही जगह पहुंच गया है.
रजिस्टर्ड पोस्ट की शुरुआत और इसका महत्व
भारत में पोस्टल सिस्टम की शुरुआत कब हुई? भारत में पोस्टल सिस्टम की जड़ें सदियों पुरानी हैं. अलाउद्दीन खिलजी और शेरशाह सूरी के समय के डाक मार्गों से लेकर ब्रिटिश काल में 1854 के पोस्ट ऑफिस एक्ट तक, यह हमेशा से लोगों को जोड़ने का एक माध्यम रहा है. रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को 1976 के आसपास स्पीड पोस्ट सेवा के साथ शुरू किया गया था. यह साधारण मेल से ज्यादा सुरक्षित और विश्वसनीय थी. इस सेवा में हर पत्र को एक बारकोड और एक रसीद मिलती थी, जिससे यह साबित होता था कि पत्र भेजा गया है. यह धीमा लेकिन विश्वसनीय था, जो उस दौर के भारत की यात्रा को दर्शाता था.
समय के साथ बदलाव: डिजिटल युग में खत्म हुई परंपरा
समय के साथ तकनीक ने हर चीज को बदल दिया. ईमेल आया, फिर स्पीड पोस्ट, कूरियर सर्विस और डिजिटल अटैचमेंट का दौर शुरू हुआ. राखी भी ई-राखी के रूप में व्हाट्सएप और जीआईएफ के जरिए भेजी जाने लगी. यह सब भले ही सुविधाजनक हो, लेकिन इसमें वह व्यक्तिगत स्पर्श और इंतजार का रोमांच नहीं है. फिर भी, छोटे शहरों और कई लोगों के दिलों में रजिस्टर्ड पोस्ट का महत्व बना रहा. अब इस सेवा के बंद होने से एक 50 साल पुरानी परंपरा का अंत हो गया है, जिसने बिना किसी तामझाम के एक पूरे युग को अलविदा कह दिया है.




