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क़ुतुब मीनार का असली इतिहास: क्या विष्णु मंदिर तोड़कर बनाया गया था क़ुतुब मीनार

क़ुतुब मीनार का असली इतिहास: क्या विष्णु मंदिर तोड़कर बनाया गया था क़ुतुब मीनार
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The real history of Qutub Minar: विदेशी इस्लामिक आक्रांताओं ने हिंदुस्तान के उस हर मंदिर को तोडा था जहां उनकी जिहादी नज़र पड़ती थी

Real history of Qutub Minar in Hindi: देश में क़ुतुब मीनार और यहां मौजूद हिन्दू देवताओं की प्रतिमाओं को लेकर खूब भसड़ मची है. दावा है कि क़ुतुब मीनार को विदेशी इस्लामिक आक्रांताओं ने प्राचीन विष्णु मंदिर को तोड़कर बनाया था. वैसे इस बात में कोई दोराय नहीं है कि इस्लामिक आक्रांताओं ने उस हर हिन्दू और बौद्ध-जैन मंदिर-मठों को तोडा था जहां उनकी जिहादी नज़रे पड़ी थीं. सवाल ये है कि क्या क़ुतुब मीनार का निर्माण भी हिन्दू मंदिर तोड़कर बनाया गया? तो चलिए जानते हैं दिल्ली में मौजूद दुनिया भर में मशहूर क़ुतुब मीनार का असली इतिहास जो किताबों में हमें पढ़ाया नहीं गया.

क़ुतुब मीनार का वो इतिहास जानिए जो हमें जबरन पढ़ाया गया


देश की राजधानी दिल्ली दक्षिणी इलाके में आने वाले मेहरौली में क़ुतुब मीनार मौजूद है. लोगों का मानना है कि यह दुनिया की सबसे ऊंची मीनार है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. इससे कई गुना ऊंची हज़ारों इमारते दुनियाभर के देशों में तनी हुई हैं. दरअसल क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची ईंटों से बनी मीनार है. इसकी ऊंचाई 237.86 फ़ीट और व्यास 14.3 मीटर का है.

क़ुतुब मीनार किसने और कब बनवाया था


स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले अधूरे इतिहास में बताया गया है कि क़ुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाना शुरू किया था. कुतुबुद्दीन ने सन 1193 से इसका निर्माण शुरू करवाया बाद में जब वो मर गया तो उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने काम जारी रखा और ऊपर की तीन मंजिले बनवाई, इसके बाद सन 1367 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवी और आखिरी मंजिल का निर्माण करवाया। चूंकि इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू किया था इसी लिए इस मीनार का नाम क़ुतुब मीनार रखा गया था.

फैक्ट- क़ुतुब मीनार में लाल और बफ सेंड स्टोन का इस्तेमाल किया गया है.

क़ुतुब मीनार का असली सच जो हमसे छिपाया गया


देश में क़ुतुब मीनार को लेकर भसड़ मची है, एक तरफ मुग़लों की पैरवी करने वाले कहते हैं कि क़ुतुब मीनार बनने से पहले वहां कुछ नहीं था और दूसरा पक्ष कहता है वहां पहले विष्णु मंदिर हुआ करता था. इस बात से कोई शक नहीं है कि मुग़लों और खिलजियों में कुछ बनाने की बुद्धि नहीं थी ये लोग सिर्फ उजाड़ना और उसमे अपना जिहादी गुंबद लगाना जानते थे. चाहे कश्मीर में मार्तण्ड मंदिर हो या अयोध्या में राम मंदिर, गुजरात में सोमनाथ हो या बनारस में काशी विश्वनाथ और मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि, इन विदेशी आक्रांताओं ने सब कुछ बर्बाद कर उसमे अपनी मस्जिदें बनवाई थीं.

क़ुतुब मीनार का असली सच क्या है


जहां क़ुतुब मीनार खड़ा है उसी परिसर में एक ढह चुकी मस्जिद है, जिसका नाम है कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद जिसका निर्माण भी आक्रांता कुतुबुद्दीन ने सन 1198 में करवाया था. यह मुग़लों की बनाई सबसे पुरानी मस्जिद थी. आर्किओलॉजी एक्सपर्ट्स ने जब इस स्थान की तबियत से जांच शुरू की थी तब यह पाया गया था कि जहां कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण हुआ था वहां पहले 27 हिन्दू और जैन मंदिर हुआ करते थे, यहां हिंदू नक्काशी कला के सबूत मिलते हैं और कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं पड़ी हुई हैं. यहां नक्काशी से भरे हुए खम्बों में सनातनी वास्तुकला को आज भी देखा जा सकता है.


जब क़ुतुब मीनार परिसर की खुदाई हुई थी तब यहां से कई शिलालेख मिले थे. इसके अलावा भगवान गणेश की मूर्तियां और साथ में कई देवी-देवताओं की खंडित प्रतिमाएं मिली थीं.

BBC न्यूज़ की एक रिपोर्ट में इतिहासकार प्रो इरफ़ान हबीब कहते हैं कि 'इसमें कोई शक नहीं है कि क़ुतुब मीनार प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिरों का हिस्सा है' वहीं "क़ुतुब मीनार एन्ड इट्स मॉन्यूमेंट्स" किताब के लेखक और इतिहासकार बीएम पांडे का कहना है कि जहां क़ुतुब मीनार मौजूद है वहां पहले हिन्दू मंदिर हुआ करते थे.


कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ने के बाद उसके मलवे से बनाया गया था, मस्जिद के खम्बों को देखकर साफ़ पता चलता है कि यहां पहले प्राचीन मंदिर हुआ करता था. खुदाई में मिले शिलालेखों में यह साफ़ लिखा है कि जहां मस्जिद और क़ुतुब मीनार बनवाया गया था वहां पहले 27 हिन्दू-जैन मंदिर हुआ करते थे.

क्या क़ुतुब मीनार के पहले विष्णु स्तम्भ था


विश्व हिन्दू परिषद यह दावा करता है कि जहां अभी क़ुतुब मीनार है वहां विष्णु स्तम्भ था. परिषद की मांग थी के क़ुतुब मीनार परिसर में मौजूद प्राचीन मंदिरों का पिनरनिर्माण हो और फिर से वहां हिन्दू अनुष्ठान शुरू हों, इसी के साथ परिसर में मौजूद भगवान गणेश की मूर्ति को अन्यत्र स्थान में लेजाकर उनकी स्थापना हो. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भगवान गणेश की मूर्ति को वहां से न हटाने का निर्देश दिया है.

क़ुतुब मीनार और गणेश जी की मूर्ति को लेकर क्या विवाद है


क़ुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की मूर्ति इसी लिए हटाने की मांग की जा रही है क्योंकि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा उल्टी रखी हुई है और एक स्थान में में तो उन्हें पिंजरे के अंदर बंद करके रखा गया है. जिससे हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचती है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिमाओं को वहां से हटाने से इंकार कर दिया है.

मुग़ल आक्रांता हमेशा से हिन्दू देवी देवताओं को शैतान साबित करते थे, उन्होंने यहां भी भगवान गणेश को सैतान बताने के लिए उनकी प्रतिमा को पिंजरे में कैद कर दिया था, वहीं कश्मीर में मौजूद मार्तण्ड मंदिर को नष्ट करने के बाद उसका नाम शैतान की गुफा कर दिया था.

"क़ुतुब मीनार और कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद जहां बनी है वहाँ हिन्दू मंदिर हुआ करते थे. आप चाहे किसी भी धर्म या मजहब से ताल्लुख रखते हों जब आपका कभी दिल्ली जाना हो और क़ुतुब मीनार का दीदार करना हो तो उसे गौर से देखिएगा, आपको वहां दिखाई देगा कि कैसे इस्लामिक आक्रांताओं ने हिन्दू और जैन मंदिरों को सिर्फ गजवा-ए-हिन्द वाले जिहाद के लिए तोड़ डाला था और उसमे अपनी छाप छोड़ने के लिए मस्जिदों का निर्माण करवा दिया था."


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