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जो परमाणु युद्ध के नाम से एक्ससाइटेड हो जाते हैं उन्हें जानना चाहीये न्यूक्लियर वॉर से कितनी तबाही होती है

जो परमाणु युद्ध के नाम से एक्ससाइटेड हो जाते हैं उन्हें जानना चाहीये न्यूक्लियर वॉर से कितनी तबाही होती है
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Nuclear War Effect: परमाणु युद्ध इतना विनाशक होता है कि सिर्फ आधे घंटे से भी कम समय में 10 करोड़ लोगों की मौत हो जाती है

Nuclear War Effect: वर्तमान में दुनिया की एक महाशक्ति रूस अपने पडोसी देश यूक्रेन में आक्रमण कर रहा है, रूस बार-बार उन देशों को परमाणु हथियार की धमकी देता है जो उसके खिलाफ एक्शन लेने की बातें करते हैं. कुछ ऐसे लोग हैं जो परमाणु युद्ध यानी के Nuclear War का सुनकर बहुत उत्तेजित हो जाते हैं. ऐसा इसी लिए है क्योंकि उन्हें इसका नतीजा नहीं मालूम

दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था परमाणु हथियार वैसा ही है जैसा कोई चूहा खुद को मारने के लिए माउस ट्रैप बनाए। वैसे ठीक उसी प्रकार अपनी सरहदों की सुरक्षा के लिए मानवों ने जो परमाणु हथियार बनाए हैं वो मानवजाति समेत इस इस दुनिया को ख़त्म कर देगा

हिरोशिमा और नागासाकी का नाम सुना है?

साल 1945 मतलब भारत की आज़ादी से सिर्फ 2 साल पहले परमाणु बम ने जापान को हिला कर रख दिया था, जापान देश आज तकनीक में सबसे आगे हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब जापानी सरकार बहुत आक्रामक हुआ करती थी, किसी भी देश में जाकर उनसे युद्ध करने लगती थी. जापान ने अमेरिका से भी दुश्मनी की और अमेरिकी लोगों को घर में घुसकर मारा। अमेरिका ने अंत में जंग को खत्म करने के लिए जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी में छोटे परमाणु बम से हमला कर दिया। लाखों जापानी नागरिक चंद सेकेंड्स में राख हो गए, किसी की हड्डियां भी नहीं बची. नदी, तालाब, इमारतें, जानवर, इंसान, पेड़, जंगल सब चंद सेकेंड्स में गायब हो गया था।

परमाणु बम से भी ज़्यादा विनाशकारी होता है उसका रेडिएशन, जो लोगों को दशकों तक मारता रहता है, जितने क्षेत्र में रेडिएशन फैलता है वहां से जीवन ख़त्म हो जाता है. और जो लोग रेडिएशन का शिकार होते हैं उनकी पीढ़िया भी विकलांग या तो जन्म से ही असाध्य पैदा होते हैं. जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में यही हुआ था.

इस घटना के बाद जापान ने कसम खा ली थी के न तो वो कभी परमाणु हथियार बनाएगा और ना ही दूसरे देशों को बनाने देगा, लेकिन जापान ने खुद तो परमाणु हथियार नहीं बनाए लेकिन बाकि देशों ने इसे अपने देश की रक्षा के नामपर इक्कठा कर लिया।

किसी दो देशों के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो क्या होगा

स्विट्ज़रलैंड की एक फर्म है जिसका नाम है इंटरनेशनल कैम्पेन तो अबोलिश न्यूक्लियर वेपन (ICAN) ICAN के मुताबिक एक छोटे अकार का परमाणु बम एक झटके में लाखों लोगों की जान ले सकता है. और अगर एकसाथ 10 या उससे ज़्यादा बम गिराए जाएं तो पूरा का पूरा एक देश दुनिया के नक़्शे से गायब हो सकता है। ना सिर्फ करोड़ों लोग, जीव जंतु, पेड़ खत्म हो जाएंगे बल्कि इससे दुनिया का क्लाइमेट सिस्टम खराब हो जाएगा। नदियां, पहाड़, झरने, तलाब, जंगल सब खत्म हो जाएगा तो कभी पानी नहीं बरसेगा। रेडिएशन फैलता जाएगा और सब मरते रहेंगे और इसका परिणाम आने वाली 4 से 5 पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ेगा।

रूस यूक्रेन में परमाणु बम से हमला करे तो क्या होगा

क्योंकि भारत की तुलना में रूस और यूक्रेन में बहुत कम जनसँख्या है तो मौत कम होगीं लेकिन पूरा देश ही खत्म हो जाएगा, रूस चाहे तो अपने परमाणु हथियार से पूरे के पूरे यूक्रेन और यूक्रनियों को खत्म कर सकता है। अगर रूस यूक्रेन के एक शहर में परमाणु बम से हमला कर दे तो आधे घंटे में पूरा शहर खत्म हो जाएगा। और अगर यही जंग अमेरिका और रूस के बीच हो तो यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंच जाएगा।

अगर दुनिया में मौजूद परमाणु बम का सिर्फ 1% से भी कम का इस्तेमाल किया जाए तो 2 अरब लोग भुखमरी, गरीबी से मर जाएंगे, हेल्थ सिस्टम खत्म हो जाएगा।

सिर्फ 100 बम का इस्तेमाल हो तो धरती खत्म हो जाए

जितना बड़ा बम जापान के हिरोशिमा में गिरा था अगर उस साइज़ के 100 बम से हमला हो तो पृथ्वी का क्लाइमेट सिस्टम नष्ट हो जाएगा, बारिश, खेती, पर्यावरण सब खत्म हो जाएगा। धरती का का 10% हिस्से में सूरज की रौशनी नहीं पहुंचेगी, क्योंकि बम से निकलने वाले रेडिओ एक्टिव धुआं पृथ्वी की बाहरी सतह में जम जाएगा।

सभी परमाणु बम का इस्तेमाल हो तो क्या होगा

वो देखने के लिए आप जिन्दा नहीं बचेंगे, इससे 150 मिलियन टन धुआँ उठेगा जो पूरी पृथ्वी को अपनी आगोश में लेलेगा, सूरज की रौशनी नहीं मिलेगी तो तापमान गिरने लगेगा, ग्लोबल रेनफॉल 50% कम हो जाएगा, पृथ्वी माईनस 7 डिग्री ठंडी हो जाएगी। मतलब दुनिया फिर से आइस ऐज यानी हिमयुग में पहुंच जाएगी आज से 18000 साल पहले जैसा हो जाएगा बस यहां जीवन नहीं होगा।

जब किसी देश में परमाणु बम से हमला होता है तो तबाही सिर्फ कुछ मिनट में हो जाती है लेकिन उसका असर दशकों तक रहता है. हिरोशिमा में 1.40 लाख और नागासाकी में 74 हज़ार लोग एक साथ मर गए थे. हमले वाली जमीन लावे की तरह गर्म हो गई थी,तब जमीन का तापमान 4000 डिग्री पहुंच गया था.


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