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जानिये कैसे बनता है शीशा

जानिये कैसे बनता है शीशा
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कांच ऐसी चीज़ है जिसके सामने आते ही उसका रेफ्लेक्शन हमें सामने दिखने लगता है.

हम सब की ज़िंदगी में कांच (Glass) की अपनी एक अलग ही अहमियत है. सुबह से लेकर रात तक कांच का उपयोग लगभग हर कोई ही करता है. दरअसल, कांच ऐसी चीज़ है जिसके सामने आते ही उसका रेफ्लेक्शन (Reflection) हमें सामने दिखने लगता है. क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्या होता है कांच में जिसकी वजह से हम खुद को देख पाते हैं, आखिर किस चीज़ से बनता है ये कांच। बहुत से लोग इस बात से वाकिफ है, लेकिन कई लोगों को नहीं पता कि आखिर कांच बनता किससे है तो आइये आज हम आपको बताते हैं.

कैसे बनाया जाता है कांच (How glass is made)



कांच के कई प्रकार होते हैं. एक कांच वो होता है, जो पारदर्शी (Transparent) होती है, इसी काँच से घर के बर्तन, बोतल, खिड़की के ग्लास आदि बनते हैं. आइये जानते हैं आखिर कांच बनता किससे है. काँच को रेत से बनाया जाता है. रेत (Sand) और कुछ अन्य सामग्री को एक भट्टी में 1500 डिग्री सैल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले काँच को उन खांचों में बूंद-बूंद करके उंडेला जाता है, जिससे मनचाही चीज़ बनाई जा सके.

आपको बता दें कि कांच का आविष्कार (Invention of glass) मिस्र या मैसोपोटामिया में लगभग ढाई हज़ार साल ईसा पूर्व हुआ था. शुरु में काँच का इस्तेमाल साज-सज्जा के लिए किया गया. फिर ईसा से लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले काँच के बर्तन बनने लगे. पहले बर्तनों में पीतल आदि का इस्तेमाल किया जाता था. इसके बाद इसमें विकास होता गया और पहली बार साल 1935 में जर्मनी में सिल्वर लेयर वाले कांच (Silver layered glass) का आविष्कार किया गया. आज भी इसी तरीके से ही कांच को बनाया जाता है.

कैसे बनाया जाता है आईना (How mirror is made)



कांच से ही आईना (Mirror) को भी बनाया जाता है. आईना बनाने के लिए बड़े कांच को लेटा कर रोबोटिक सिस्टम के जरिए कन्वेयर बेल्ट (Conveyor belt) तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद पानी और ऑक्साइड आदि से इसकी सफाई की जाती है. इसके अलावा इसे साफ करने के लिए गर्म पानी का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद कांच पर कोटिंग की जाती है और सबसे पहले इस काँच में लिक्युफाइड टिन (Liquefied tin) चढ़ाया जाता है, जोकि कांच का पिछला हिस्सा बनाता है. इसी वजह कांच पर सिल्वर आसानी से चिपक जाता है. बता दें कि सिल्वर को लिक्विड फोर्म में कांच पर चढ़ाया जाता है. इससें कुछ कैमिकल भी होते हैं, ऐसा करने से सादा सा ग्लास भी आइने में कंवर्ट हो जाता है. इसके बाद इस पर कॉपर आदि की डबल कोटिंग (Double coating) कर दी जाती है, जिससे कांच समय तक चलता रहता है.

फिर आइने को ड्रायर में रखा जाता है और 31 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है. फिर पीछे की तरफ एक पेंट किया जाता है और उसे मशीनों के जरिए सुखाया जाता है. कई कंपनियां आईने पर डबल कोटिंग भी करती है. इसके बाद डिमांड के हिसाब से इसे काट कर मनचाहा डिज़ाइन दे सकते हैं.

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