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सिंगापुर अमीर कैसे बना: कभी यहां सिर्फ गरीबी, भुखमरी और हर तरफ सिर्फ झोपड़ियां दिखाई देती थीं

सिंगापुर अमीर कैसे बना: कभी यहां सिर्फ गरीबी, भुखमरी और हर तरफ सिर्फ झोपड़ियां दिखाई देती थीं
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How Singapore Became Rich: भारत की राजधानी दिल्ली से भी साइज़ में आधे इस देश में हर छटवां व्यक्ति करोड़पति है

सिंगापुर अमीर कैसे बना: सिंगापुर आज दुनिया के सबसे विकसित और सबसे अमीर देशों में से एक है. जहां का आर्किटेक्चर पूरी दुनिया में जाता जाता है. यहां एक से एक खूबसूरत इमारतें हैं जिन्हे देखकर अपनी आंखों पर ही विश्वास नहीं होता। सिंगापुर ऐसा देश है जहां हर छटवां नागरिक करोड़पति है. कहा जाता है कि सिंगापुर में रहने वाले लोग सबसे अच्छी लाइफ जीते हैं. लेकिन Singapore हमेशा से इतना अमीर और खूबसूरत नहीं था. दिल्ली से भी आधे क्षेत्रफ़ल के इस देश में कभी गरीबी, भुखमरी और सिर्फ झुग्गी झोपड़ियां ही नज़र आती थीं.


सिंगापुर अमीर कैसे बना?

How Singapore Became So Rich: बात ज़्यादा पुरानी नहीं है. आज से 35 साल पहले सिंगापुर की हालत पस्त थी. यह देश भी भारत की ही तरह सदियों तक फिरंगियों का गुलाम था. 1963 में सिंगापुर गुलामी से मुक्त हुआ. पहले से ही गरीब देश रहे सिंगापुर को अंग्रेज लूट के चले गए. लेकिन आज अपनी आज़ादी के बाद अमीरियत के मामले में सिंगापुर दूसरे स्थान पर है.

ना तो यहां सऊदी अरब और UAE की तरह तेल किए कुंए हैं और ना ही प्राकृतिक खनिज भंडार हैं. तो फिर इन 35 साल में सिंगापुर के लोगों ने क्या कमाल कर दिया सिंगापुर दुनिया का दूसरा सबसे अमीर देश बन गया?

सिंगापुर से भारत का नाता

India's relationship with Singapore: प्राचीन समय में भारत बहुत विशाल और समृद्ध देश था. जहां के राजाओं का शासन मलेशिया, कंबोडिया, बाली, थाईलैंड तक फैला हुआ था. भारत के दक्षिण पूर्व में मलेशिया देश है और उसने नीचे छोटा सा टापू (Island) है. जो आकर में दिल्ली से भी आधा है. वही सिंगापुर है.


ऐतिहासिक मलय दस्तावेजों में बताया गया है कि कलिंग के राजा शुलन ने दक्षिण भारत के राजा चुलन के साथ मिलकर चीन को जीनते का अभियान शुरू किया था. दोनों मलय राज्य के एक द्वीप तक पहुंचे थे जिसे स्थानीय भाषा में टेमासेक कहा जाता था. चीन ने राजा ने शुलन और चुलन को रोकने के लिए उस आइलैंड में अपना गुप्तचर भेजा था. और उस गुप्तचर ने भारतीय राजाओं तक यह झूठ फैला दिया कि चीन यहां से बहुत दूर है.

यह अफवाह सुनकर चुलन और शुलन ने चीन को जीनते का प्लान कैंसिल कर दिया। राजा शुलन ने उसी द्वीप में रहने वाली एक राजकुमारी से शादी कर ली और कुछ समय के वहीं सेटल हो गए जबकि राजा चुलन अपनी सेना के साथ वापस इंडिया लौट आए. इतिहासकार कहते हैं कि राजा चुलन कोई और नहीं बल्कि चोल राजा राजेंद्र चोल थे.

बहरहाल सन 1299 में जब राजा शुलन के वंशज राजकुमार संग निला उतामा टामसेक द्वीप गए, उन्हें वहां एक शेर दिखाई दिया और उन्होंने इस द्वीप का नाम सिंहपुर रख दिया जो आगे जाकर सिंगापुर बना.

सिंगापुर बनने की कहानी

The story of Singapore: बाकी एशियाई देशों की तरह सिंगापुर भी ब्रिटेन की गुलामी की जंजीरों से बंध गया. करीब 150 साल तक यहां हुकूमत चलाकर फिरंगियों ने 11 अप्रैल 1959 के दिन सिंगापुर को आजाद कर दिया। यह पहला मौका था जब सिंगापुर को सेल्फ रूल का हक़ मिला। ली क्वान यू सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री बने लेकिन अबतक अंग्रेज सिंगापुर को पूरी तरह बर्बाद कर चुके थे. यहां सिर्फ गरीबी, भुखमरी और लाचारी रह गई थी. यहां की 80% आबादी झुग्गियों में रहती थी.

चूंकि सिंगापुर एक छोटा सा टापू था इसी लिए उसने पास खुद की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए कोई ऑप्शन नहीं था. ना तो नेचुरल रिसोर्स थे और ना ही तेल के कुएं। धानमंत्री ली क्वान यू ने इसके लिए एक रास्ता निकाला. 1963 में उन्होंने सिंगापुर का मलेशिया में विलय करा दिया. उन्हें लगा कि मलेशिया से जुड़ने के बाद देश पटरी में आ जाएगा लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। लेकिन यहां मलय और प्रवासी चीनियों के बीच तनाव बढ़ने लगा और अंत में मलेशिया ने 1965 में खुद ही सिंगापुर को अलग कर दिया।


जब मलेशिया ने धोका दिया तो सिंगापुर के प्रधानमंत्री इंटरव्यू देते-देते रो पड़े थे. उस वक़्त देश की 70% आबादी गरीब थी और उनके पास इस गरीबी से निजात पाने के लिए कोई जरिया नहीं था.

लेकिन ली क्वान यू ने हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने अपने देश की जनता से कुछ अपील की, जैसे घर साफ़ रखों, देश साफ़ रखो, अच्छी अंग्रेजी बोलना सीखो, लोग फिर भी नहीं माने तो उनपर जबरन ये नियम लागू किए गए. एक समय ऐसा भी आया जब सिंगापुर में चुइंगम थूकने पर 100 कोड़ों की सज़ा दी जाने लगी. चोरी-डकैती-हत्या या कोई भी मामूली क्राइम करने वालों को जेल में ठूंसा जाने लगा. सिंगापुर तानाशाह बनने लगा. जो सरकार के खिलाफ आवाज उठता उसकी संपत्ति कुर्क कर ली जाती। जिसका डर था वही हुआ ली क्वान यू सिंगापुर के तानाशाह बन गए.

लेकिन इसी तानाशाह ने सिंगापुर में उद्योगों को प्राथमिकता देनी शुरू की, आसान दरों में लोन दिए. लोग बाहर से आकर सिंगापुर में बिज़नेस स्टैब्लिश करने लगे. 1966 में सरकार ने जमीन अधिग्रहण का कानून पेश किया, जमीन खरीदकर सरकारी मकान बनवाए गए और सस्ती कीमतों में लोगों को दिए गए. हर कर्मचारी की 25% सेलरी को सरकारी सेविंग स्कीम में जमा किया जाना शुरू किया गया. इसी स्कीम्स से सिंगापुर के 80% लोगों को उनका पक्का घर मिला और बैंक में पैसे जमा मिले।

लोगों ने सिंगापुर में इन्वेस्ट करना शुरू किया, चीन, हॉन्गकॉन्ग, ताईवान ने यहां खूब इन्वेस्ट किया। 10 साल के अंदर सिंगापुर में बेरोजगारी और गरीबी खत्म हो गई. यहां सरकारी कर्मचरियों को इतनी सैलरी दी जाने लगी कि उन्हें भ्रस्टाचार करने की जरूरत नहीं पड़ी.

सिंगापुर में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई, देश को सेक्युलर बनाया गया. मलय, तमिल, मेंडरिंग जैसी सभी भाषाओँ को राजकीय भाषा की संज्ञा दी गई. 30 साल के अंदर सिंगापुर एक विकसित देश बन गया. आज 54 लाख की जनसंख्या वाले देश में ढाई लाख से ज़्यादा लोग करोड़पति हैं.


लेकिन किसी देश में मनोरंजन की सभी चीज़ें हों, बड़ीबड़ी इमारतें हों, लेकिन लोगों को अभिवक्ति की आज़ादी न मिले, विरोध करने की इजाजत न मिले, संगठन बनाने, चुनाव लड़ने और आवाज उठाने की आजादी न तो तो विकास किस काम का? सिंगापुर बेशक बेहद खूबसूरत और आधुनिक देश है लेकिन यहां लोकतंत्र ही नहीं है.

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