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कोयले से बिजली कैसे बनती है: पृथ्वी में इतना सारा कोयला आया कहां से? क्या धरती से कोयला ख़त्म होने वला है

कोयले से बिजली कैसे बनती है: पृथ्वी में इतना सारा कोयला आया कहां से? क्या धरती से कोयला ख़त्म होने वला है
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Coal to Electricity Process: कोयले से बिजली बनती है ये तो सब जानते हैं लेकिन कोयले से बिजली कैसे बनाई जाती है इसके बारे में बहुत लोगों को कुछ मालूम नहीं है

कोयले से बिजली कैसे बनती है: देश में कोयले के संकट से जूझ रहा है, भारत में 70 से 75% बिजली कोयले यानी थर्मल पॉवर प्लांट से बनती है. बाकी 25 से 30% बिजली हाइडल, विंड, और सोलर एनर्जी से बनती है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) का कहना है कि 165 थर्मल पावर प्लांट में से 56 पॉवर प्लांट्स के पास सिर्फ 10% कोयला बचा है जबकि 26 पॉवर प्लांट के पास सिर्फ 5% स्टॉक बाकी रह गया है. देश में कोयला संकट शुरू हो गया है. कोयले से बिजली बनती है ये बात सभी जानते हैं लेकिन कोयले से बिजली कैसे बनती है इसका ज्ञान सभी को मालूम नहीं होता है. लेकिन आज आपको ये ज्ञान भी मिल जाएगा।

कोयले से बिजली कैसे बनती है, इससे पहले यह जानना जरूरी है कि कोयला कैसे बनता है, मतलब पृथ्वी में इतना सारा कोयला आखिर आया कहां से, क्या हमारी धरती में पहले से कोयले का भंडार था, या कोयला पृथ्वी के बनने के बाद बना, पृथ्वी के अंदर कितना कोयला मौजूद है कि इतनी खपत होने के बाद भी यह खत्म नहीं हो रहा है और क्या एक दिन ऐसा आएगा जब पृथ्वी से कोयला पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा? इन सारे सवालों के जावब मिलने के बाद आपको कोयले से बिजली बनने की पूरी प्रोसेस बता देंगे

कोयला कैसे बनता है

How Coal Is Made: कोयला एक प्रकार का पत्थर है जिसमे कार्बन और हाइड्रोकार्बन बहुत ज़्यादा मात्रा में होता है. कोयले में पौधों द्वारा संग्रहीत ऊर्जा होती है जो सैकड़ों लाखों साल पहले दलदली जंगलों में मौजूद थे। लाखों सालों तक उन पौधों पर मिट्ठी और चट्टानों का दावाब बनता रहा जिससे प्रेशर और गर्मी के चलते वह पौधे उस रूप में तब्दील हो गए जिसे हम कोयला कहते हैं.


पृथ्वी में इतना कोयला आया कैसे

How Coal Was Formed: हमारी पृथ्वी आज की नई-नई तो है नहीं, करोड़ों साल से मौजूद है, पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति भी डायनासॉर से पहले से है, तब भी पेड़ हुआ करते थे बस उन्हें काटने वाले इंसान नहीं थे. करोड़ों साल पहले से जमीन में दफन होते गए पेड़ों में जब मिट्ठी की परत चढ़ती गई, चट्टानें बनती गईं, दबाव और गर्मी बढ़ती गई. और ऐसे ही कोयला बनता रहा.

पृथ्वी में कितना कोयला है

How Much Coal Is In The Earth: पूरी दुनिया में 1.06 ट्रिलियन कोल रिज़र्व हैं, भारत की बात करें तो देश में प्रतिवर्ष 966,288,693 टन कोयले की खपत होती है. भारत दुनिया में कोयले की खपत के मामले में दुसरे स्थान पर है, और बाकी 84.8% देशों में प्रतिवर्ष 1,139,471,430 टन की खपत होती है. भारत में हर साल 761,662,038 टन कोयला निकाला जाता है जिसमें से सिर्फ 22% का कोयला दूसरे देशों से मंगवाना पड़ता है. भारत में आगे के 111 सालों के लिए पर्याप्त कोयला मौजूद है. और यह रिज़र्व में है. मतलब धरती के अंदर अभी बहुत कोयला है.

पृथ्वी से कोयला ख़त्म हुआ तो क्या होगा

What will happen if the earth runs out of coal: वो दिन अभी बहुत दूर है, इसी लिए इसकी चिंता नहीं होनी चाहिए, और भविष्य में पृथ्वी से कोयला ख़त्म हो भी गया तो दुनिया भर के थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाएंगे, लेकिन तबतक शायद सोलर एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन, विंड एनर्जी या फिर बिजली बनाने के नए तरीके का अविष्कार हो जाए

दुनिया में सबसे ज़्यादा कोयला का उत्पादन किस देश में होता है

Which country produces the most coal in the world: साल 2020 की Energy Information Administration (EIA) की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 5 देशों से 1,156 बिलियन टन कोयला मतलब 1.16 ट्रिलियन कोयला निकाला था जो पूरी दुनिया का 75% हिस्सा है. जिसमे कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक देश अमेरिका है जहां पूरी दुनिया का 22% कोयला मौजूद है, दूसरे नंबर पर रूस 15% तीसरे स्थान में ऑस्ट्रेलिया 14% फिर चौथे नंबर पर 14% के साथ चाइना और पांचवे नंबर पर भारत है जहां पूरी दुनिया का 10% कोयला मौजूद है.

कोयले से बिजली कैसे बनती है

How Electricity Is Generated From Coal: कोयले से बिजली बनाने वाली यूनिट्स को थर्मल पावर प्लांट (Thermal Power Plants) कहा जाता है. भारत समेत दुनिया के हर देश में थर्मल पॉवर प्लांट का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए होता है.


  • कोयले की खदानों से कोयला निकाला जाता है, फिर ट्रेन की मदद से उसे थर्मल प्लांट तक पहुंचाया जाता है. इन प्लांट्स में कोल फील्ड्स होती हैं जहां ट्रेन से कोयले को उतारकर रखा जाता है.

  • इसके बाद वहां से कोयले को क्रेशर मशीन तक पहुंचाया जाता है, जहां बड़े-बड़े कोयलों को तोडा जाता है. इसके बार कोयले के टुकड़ों को दूसरे क्रशर मशीन में ले जाया जाता है जहां कोयला का चूरा बन जाता है

  • कोयले के चूरे को बड़ी से भट्टी या बायलर में डाला जाता है, जहां जलने से कोयले के कण राख में तब्दील हो जाते हैं और ऊपर की तरफ उड़ने लगते हैं. जो कण भारी होते हैं वो सतह में ही जलते रहते हैं. भारी कणों को सीमेंट फैक्ट्रियों को भेज दिया जाता है.

  • जो हल्के कण ऊपर की तरफ जाते हैं वो भट्टी में बने छोटे-छोटे पाइप से टकराते हैं, उन पाइप्स में पानी भरा होता है, कोयले के कारण पानी गर्म हो जाता है और इससे भाप बनती है.
  • बाप पाइप की मदद से टरबाइन तक जाती है, और भाप के प्रेशर से टरबाइन घूमने लगती है, और आपको ये तो मालूम होगा की टरबाइन की मदद से ही बिजली बनती है.

अब टरबाइन से बिजली कैसे बनती है इसके बारे में कभी और चर्चा करेंगे, आपको हमारी यह जानकारी कैसी लगी कॉमेंट करके जरूर बताएं और ऐसे ही ज्ञान वाली जानकारी लेते रहने के लिए RewaRiyast.com को फॉलो करें



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