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Fake FIR: अगर कोई झूठी FIR लिखवा दे तो क्या करना चाहिए, जान लो शायद काम आ जाए

Fake FIR: अगर कोई झूठी FIR लिखवा दे तो क्या करना चाहिए, जान लो शायद काम आ जाए
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Fake FIR: ऐसे बहुत बेक़सूर लोग पुलिस के चक्कर में फंस जाते हैं जिन्होंने कुछ किया ही नहीं होता, लेकिन कोर्ट आपको अपनी बेगुनाही का सबूत देने का मौका देता है

Fake FIR: अगर कोई आप पर फर्जी FIR लिखवा दे तो क्या कीजियेगा? आजकल एक सिस्टम चल गया है, किसी से बदला लेना होता है तो लोग थाने में जाकर किसी भी फ़र्ज़ी मामलें में एफआईआर लिखवा देते हैं। बेमतलब में आरोपी बना शख्स इस सोच में पड़ जाता है कि अरे ये अपराध मैंने कब किया।

ऐसे लफड़ों में कई बार बेक़सूर आदमी जेल भेज दिया जाता है, ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है। मान लीजिये आपके पडोसी के साथ आपका विवाद हो गया और उसने आप पर एसटीएससी का केस डाल दिया, फिर तो बिना जांच के ही अंदर हो जाएंगे, या किसी लड़की ने बेमतलब छेड़ने का आरोप लगा दिया फिर तो कॅरियर ही ख़त्म हो जाएगा ना। लेकिन टेंशन वाली बात नहीं है आज हम आपको इतने बढ़िया कानून के बारे में बताने जा रहे हैं केअगर कोई आपके ऊपर फ़र्ज़ी रिपोर्ट लिखवा भी दे तो आप उससे बच सकते हैं।

FIR क्या होती है

फ़र्ज़ी FIR बचाव से पहले ये जानना ज़रूरी है कि FIR क्या होती है। इसका फुल फॉर्म होता है First Information Report. अगर आपके साथ या किसी परिचित के साथ कोई आपराधिक घटना होती है तो सबसे पहले इसकी जानकारी पुलिस को देनी पड़ती है। पुलिस संज्ञेय अपराध के मामले CRPC की धरा 154 के तहत एफआईआर दर्ज करती है।

FIR का औचित्य क्या है

आपराधिक घटना से जुड़े मामलों की जानकरी थाने में दर्ज करवाना बेहद जरूरी होता है। एक बार FIR दर्ज हो गई तो पुलिस को जल्द मामले की जाँच शुरू करनी पड़ती है। इसी लिए कभी आपके साथ कोई आपराधिक घटना हो जाए तो तुरंत सबसे पहले FIR लिखवानी चाहिए। कभी कभी मार-पीट की घटनाओं में पुलिस FIR लिखने से आनाकानी करती है और कभी कभी चढ़ोत्तरी चढाने पर फ़र्ज़ी FIR भी दर्ज कर लेती है, पुलिस है क्या कीजियेगा। पुलिस कभी FIR लिखने से मना करे तो क्या करना है इसके बारे में आपको हम अलग से बताएंगे ओके।

फेक FIR से कैसे बचें

इंडियन पेनल कोर्ट में अपराध से जुडी कई धाराएं मौजूद हैं जिसमे अपराध के अनुसार सज़ा का प्रावधान है। इसमें एक धरा 482 करप्स भी है जो झूठी FIR के मामले में आपको बचा सकती है। धरा 482 के तहत अगर आप पर या किसी परिवार के सदस्य पर किसी ने झूठी FIR दर्ज करवाई है तो कोर्ट आपको बेगुनाही साबित करने का मौका देता है। आप कोर्ट में FIR को चेलेंज कर सकते हैं। आपको एक वकील की ज़रूरत पड़ती है जो आवेदन के ज़रिये हाईकोर्ट में आपके लिए न्याय की मांग रखता है।

सबूत पेश करने होते हैं

आपको कोर्ट को अपनी बेगुनाही के सबूत देने पड़ते हैं। जैसे कोई दस्तावेज, वीडियो, ऑडियो, फोटो। अगर कोर्ट को लगता है कि आपके द्वारा पेश किए गए सबूत ठोस हैं तो पुलिस को आपके खिलाफ लिखी गई FIR रोकनी पड़ेगी।

ऐसे मामलों भी मौका मिलता है

अगर आपके ऊपर चोरी, मारपीट, दुष्कर्म या अन्य अपराध से जुडी झूठी FIR दर्ज होती है तो आप 482 CRPC के तहत हाईकोर्ट में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अपील कर सकते हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट जाँच के आदेश भी दे सकता है। जब मामला कोर्ट में जाएगा तो पुलिस उसके बाद आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी। अगर आपके गिरफ़्तारी का वारंट भी जारी हो गया है फिर भी आपको अरेस्ट नहीं किया जा सकेगा।

आम आदमी को कानून का ज़्यादा ज्ञान नहीं होता है। विधि कॉलेजों के अलावा IPC और CRPC की धाराओं और नागरिकों के अधिकार बच्चों को स्कूल में पढ़ाए ही नहीं जाते। लेकिन टेंशन लेने वाली बात नहीं है रीवा रियासत आपको कानून और अधिकार के बारे में जानकारी देता रहेगा।

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

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