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Dog पालने में सभी धर्म अलग-अलग राय क्यों रखते हैं, इस्लाम में तो छूना भी हराम है! लेकिन क्यों

Dog पालने में सभी धर्म अलग-अलग राय क्यों रखते हैं, इस्लाम में तो छूना भी हराम है! लेकिन क्यों
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Dog As Pet In Different Religion: डॉगी को तो इंसान का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है, फिर भी इस्लाम में इसे पालना या छूना भी हाराम होता है

Dog As Pet In Different Religion: वैसे तो जानवरों का कोई धर्म, मजहब या रिलिजन नहीं होता है, वो तो बेचारे जानवर हैं उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं होता, लेकिन इंसानों ने जानवरों को धर्म से ज़रूर जोड़ दिया है, लेकिन अपन आज मजहब के पचड़े में नहीं बात करने वाले बल्कि आज अपन जानेगें कि डॉगी यानी के Dog को लेकर अलग-अलग धर्म क्या राय रखते हैं (Why do all religions have different opinions in raising dog) इस्लाम में कुत्ता पालना और यहां तक की उसे छूना क्यों हराम है और हिन्दू धर्म में कुत्ता क्यों पालने के लिए कहा जाता है।

हिन्दू धर्म डॉगी पालने को लेकर क्या कहता है (Hindu Dharma opinions in raising Dogs)


हिन्दू मान्यताओं से जुडी किताबों में कुत्ते को यम का दूत कहा जाता है, साथ ही इसे भैरव महाराज का सेवक माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि डॉगी को खाना खिलाने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके घर का या आसपास गली का डॉगी आपसे खुश रहता है तो कभी वह आपके घर के पास यम दूतों को नहीं भटकने देता। अर्जुन ने भी कुत्ता पाला था जो उनके साथ स्वर्ग तक गया था

क्या डॉगी को आत्मा दिखती है (Does Doges Can See Ghosts)


ऐसा कहा जाता है कि डॉगी को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले से पता चल जाता है, बस वो आपसे ज़ाहिर नहीं कर पता और न इंसान उसकी भावनाओं को समझ पाते हैं। हिन्दू धर्म में इसे एक रहस्य्मयी प्राणी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि डॉगी को आत्माए दिखाई देती हैं। खैर इस बात को कोई दावे के साथ नहीं कह सकता। हिन्दू धर्म में हर प्राणी को ईश्वर से जोड़ कर इसी लिए देखा जाता है कि लोग पुण्य कमाने के लिए इन बेसहारा जानवरों को नुकसान ना पहुचाएं।

क्यों पलना चाहिए डॉगी (Why One Should Have A Dog As a Pet)

यह इंसान से भी ज़्यादा इंसान का सबसे अच्छा दोस्त होता है और कभी धोखा नहीं देता वफादार होता है, प्राचीनकाल से लोगों ने डॉगी को पालना शुरू किया था, जो उनकी रक्षा तो करते ही थे साथ शिकार आदि करने में मदद करते थे। जंगलों में रहने वाले साधु-संत भी इसी लिए कुत्ता पालते थे ताकि उन्हें आने वाले खतरे का पता चल सके. महाभारत में भी अर्जुन के द्वारा पाले गए कुत्ते का ज़िक्र किया गया था।

इस्लाम में कुत्तों को लेकर क्या राय है (Why raising dog in Islam is haram)


इस्लाम मजहब के अनुसार जिस घर में कुत्ता पला होता है वहां फ़रिश्ते नहीं जाते, (सहीह मुस्लिम हदीस नं 2106) में यह लिखा हुआ है, इसके अलावा इसके पीछे एक कहानी भी है।

ऐसा कहा जाता है कि जब अल्लाह ने मिट्टी से इंसानों का निर्माण किया था तब सभी फरिश्तों को सजदा करने के लिए कहा था, लेकिन इकरित नाम के फ़रिश्ते ने ऐसा करने से मना कर दिया, जबकि अन्य फरिश्तों ने इंसानों के सामने सजदा किया। ऐसे में अल्लाह ने उसे वहां से जाने के लिए कहा और इकरित ने उस मिट्टी पर थूंक दिया। जिसके बाद अल्लाह के हुक्म से अन्य फरिश्तों ने उस थूंक वाली जगह से मिट्टी को हटा कर एक कुत्ते जैसा रूप दे दिया और वह कुत्ता बन गया। इसके बाद फरिश्ता इकरित शैतान बन गया। इसी लिए इस्लाम में कुत्ते को छूना और पलना हराम माना जाता है। लेकिन बहुत से इस्लाम को मानने वाले लोग डॉगी को पालते हैं और बहुत प्यार देते हैं।

किसी भी धर्म या मजहब के होने से पहले हम इंसान होते हैं। और इस दुनिया का सबसे बुद्धिमान जीव होने के नाते यह हमारा धर्म बनता है कि हम बाकी जीवों का खयाल रखें।

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