पानी तथा जमीन में रहने वाला मेढक मुह से पानी नही पीता है। इसके लिए वह अपने शरीर की त्वचा का उपयोग करता है। बताया गया है कि मेढक को जब प्यास लगती है तसे वह अपनी त्वाचा का उपयोग करते हुए पानी को सोख लेता है। जिससे उसकी प्यास बुझ जाती है। मेंढक के सम्बंध में यह बात शायद कई लोगों को नहीं पता होगी। लेंकिन यह गलत जानकारी नही है। आमतौर पर मेढक पानी में रहने वाला जीव है। लेकिन वह पानी नही पीता है। इसका स्वभाव ऐसा होता है कि वह आवश्यकता पडने पर जमीन में आ जाता है और जीवित रहता है।
बहुत उपयोगी है मेढक
मेंढक मानव समाज के लिए बहुत उपयोगी बताया गया है। कहा जाता है कि अगर पृथ्वी से मेढ़क समाप्त हो जायें तो मनुष्य का जीवन भी संकट में पड़ सकता है। क्योंकि यह मंच्छरों को नियंत्रित करते है, साथ में और भी कई सूक्ष्म जीव है जो मेढक के आहार में आते हैं।
मेढक डेंगू तथा मलेरिया जैसे बीमारी फैलाने वाले मच्छरों को खा जाता है। ऐसे में कहा गया है कि अगर मेढक नहीं बचेंगे तो मच्छर जनित बीमारी से बचना मुश्किल हो जायेगा।
जानकारी के अनुसार मेढक खेतों तथा जल भरावा वाले गड्ढों के आसपास पनपने वाले मच्छर, टिड्डे, बीटल्स, खनखजूर, चींटी, दीमक तथा मकडी को मार कर खा जाता है।
हम सब की लापरवाही से मर रहे मेढक
अगर आपको मेढक के बारे में पता चल गया है तो मेढक की रक्षा करना हमार कर्तव्य बन जाता है। लेकिन खेती तथा स्वच्छता के नाम पर किटनाशकों का उपयोग काफी मेढक के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। किटनाशकों के प्रभाव से मेढक मर रहे हैं।
मेढक के सम्बंध में यह भी जाने
- कहा गया है कि मेढक ठंड से बचने के लिए जमीन में दो फुट नीचे चला जाता है। जैसे ही बरसाता आती है वह बाहर आ जाता है।
- वहीं जब उसे भूख सताती है तो वह बाहर आकर किडो का शिकार करता है।
- मेंढक अपनी लम्बाई से करीब 20 गुना लम्बी छलांग लगाता है।
- नर मेढक मादा मेढक से आकार में छोटा होता है।
नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।