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Chai Sutta Bar : माता-पिता चाहते थे IAS बने, बेटा चाय वाला बन गया... रीवा के अनुभव ने खोल डाले 165 Outlets, कंपनी का Turnover 100 करोड़ से ज्यादा

Rewa Riyasat News
6 Aug 2021 2:52 PM GMT
Chai Sutta Bar : माता-पिता चाहते थे IAS बने, बेटा चाय वाला बन गया... रीवा के अनुभव ने खोल डाले 165 Outlets, कंपनी का Turnover 100 करोड़ से ज्यादा
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रीवा के एक गांव का लड़का कैसे सिर्फ चाय बेंचकर 100 करोड़ की कंपनी खड़ा कर सकता है? यह कहानी है Chai Sutta Bar के अनुभव दुबे की.

मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक गांव का लड़का अनुभव दुबे (Anubhav Dubey Chai Sutta Bar), जिसके मां-पिता UPSC क्वालिफाइड कर बेटे को IAS के तौर पर देखना चाहते थें. पर कैसे वह चाय बेंचने वाला बन गया और कैसे एक चाय वाले ने देश भर के 15 राज्यों में Chai Sutta Bar (CSB) 165 Outlets खोल दिए, इसके पीछे भी बहुत बड़ी स्टोरी छिपी है.

अनुभव दुबे, रीवा जैसे एक छोटे से गांव में पलने बढ़ने वाला एक आम लड़का, जिसके माता-पिता ने उसे पढ़ने के लिए इंदौर भेजा था. पर शायद अनुभव की जिंदगी कुछ और ही कह रही थी. इंदौर में अनुभव की मुलाक़ात आनंद नायक से हुई और यहीं से एक अलग कहानी शुरू होती है. अनुभव और आनंद में काफी गहरी दोस्ती है. दोनों साथ में पढ़ाई करते थें, पर कुछ समय बाद आनंद ने पढ़ाई छोड़ अपने एक रिश्तेदार के साथ बिज़नेस में जुट गए और अनुभव अपने माता पिता के मंशानुरूप UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए.

पर दोनों समय बीतता गया, दोनों अपनी मंजिल की तलाश में जुट गए. दिल्ली में पढ़ाई के लिए जुटे अनुभव के पास आनंद का फोन आया. आनंद ने फोन में बताया कि उसका बिज़नेस अच्छा नहीं चल रहा है. साथ में कुछ काम करते हैं. अनुभव के दिमाग में भी बिज़नेस का आईडिया चल रहा था. अनुभव ने हां कर दिया. काफी देर तक दोनों ने फोन में डिस्कशन किया और साथ मिलकर एक नए बिज़नेस का प्लान करने लगे.


दोनों ने प्लान किया कि देश में पानी के बाद सबसे अधिक लोग चाय पीते हैं. अच्छी खासी डिमांड होती है और इसके लिए ज्यादा इन्वेस्टमेंट भी नहीं लगेगा. एक अलग अंदाज में चाय का बिज़नेस शुरू करेंगे और युथ जनरेशन को टारगेट करेंगे. दोनों ने इस प्लान पर एक राय होकर उसे मूर्त रूप देने का काम शुरू कर दिया.

2016 में तीन लाख की लागत से इन दोस्तों ने इंदौर में चाय की पहली दुकान खोली. आनंद ने अपने पहले बिजनेस की बचत से कुछ पैसे लगाए. अनुभव ने बताया कि उन्होंने गर्ल्स होस्टल के साथ में किराए पर एक रूम लिया. कुछ सेकेंड हैंड फर्नीचर खरीदे थोड़े पैसे दोस्तों से उधार लेकर आउटलेट डिजाइन किया. इस दौरान पैसे खत्म हो गए और इनके पास बैनर तक लगाने के लिए पैसे नहीं थे. फिर एक नॉर्मल लकड़ी के बोर्ड पर हाथ से ही चाय की दुकान का नाम लिख दिया 'चाय सुट्टा बार'.


पर यह इतना आसान भी नहीं था. दोनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अनुभव ने बताया कि उन्हें तो शुरुआत में ताने भी मारे जाते थें, कि कलेक्टर बनने गया था और चाय बनाने लगा. अनुभव के पिता भी उसके इस प्लान के पक्षधर नहीं थें, वे भी नहीं चाहते थें कि बेटा चाय की दुकान चलाए. पर धीरे धीरे ग्राहकी बढ़ने लगी और आमदनी होनी शुरू हो गई.

चाय सुट्टा बार धीरे धीरे फेमस होने लगा और युथ के साथ मीडिया में चर्चा का विषय बनता गया. फिर दोनों के पेरेंट्स भी सपोर्ट करने लगे. अनुभव ने बताया कि आज Chai Sutta Bar के 15 राज्यों में 165 आउटलेट्स हैं और सालाना टर्नओवर 100 करोड़ से अधिक का है.

आनंद और अनुभव का कहना है कि जब वो अपने नए आउटलेट की ओपिंग करते हैं वो लोग सब को मुफ्त में चाय और कॉफी पिलाते हैं. यह एक तरह की बिजनेस स्ट्रैटजी भी है. इस बहाने से लोगों को हमारे बिजनेस के बारे में भी पता चलता है और चाय पसंद आने के बाद वे हमारे कस्टमर भी बन जाते हैं. देशभर में हमारे 165 आउटलेट्स और विदेशों में 5 आउटलेट्स हैं.


आनंद और अनुभव ने बताया कि उनके इस बिजनेस ने 250 कुम्हारों को भी रोजगार दिया है. कुम्हार इनके लिए कुल्हड़ बनाने का काम करते हैं. देशभर के आउटलेट्स में हर दिन 18 लाख कस्टमर्स आते हैं. वो 9 अलग अलग तरह के स्वाद की चाय बेचते हैं. जिसमें अदरक, इलायची, पान, केसर, तुलसी, नींबू और मसाला चाय है.

चाय सुट्टा बार के मैन्यू में 10 रुपये से लेकर 150 रुपये तक की चाय है. जल्द ही वो लोग अपने आउटलेट्स की संख्या बढ़ाने वाले हैं. उनकी कोशिश है कि देशभर में हर छोटे शहर में भी चाय का एक ऐसा मॉडल हो जिससे गरीबों को भी रोजगार मिल सके.



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