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जायद खान और सुजैन खान की मां जरीन खान के अंतिम संस्कार पर बड़ा खुलासा, हिंदू रिवाज से हुआ ऐसा क्यों?

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Zayed Khan Mother Funeral 2025: क्या जरीन का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से हुआ?
ज़रीन खान, जो बॉलीवुड एक्टर संजय खान की पत्नी और अभिनेता जायद खान व सुज़ैन खान की मां थीं, उनका 81 साल की उम्र में निधन हो गया। जरीन लंबे समय से बीमार थीं और उनका मुंबई स्थित घर पर ही शुक्रवार सुबह इंतकाल हुआ। लेकिन अब सोशल मीडिया पर उनके अंतिम संस्कार को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।
वायरल वीडियो और तस्वीरों में देखा गया कि जायद खान हाथ में मटकी लिए खड़े हैं, गले में जनेऊ है और माथे पर चंदन लगा है। श्मशान भी हिंदू परंपरा वाला था और पंडित भी मौजूद थे।
इससे हजारों लोग सवाल पूछ रहे हैं:
➡ क्या जरीन का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से हुआ?
➡ क्या वह हिंदू थीं?
➡ क्या यह परिवार पहले भी दोनों धर्मों के रिवाज मानता रहा है?
आइए… पूरी कहानी समझते हैं।
1. जरीन खान कौन थीं?
जरीन खान किसी आम परिवार से नहीं थीं। वे पारसी मूल की थीं। उनकी शादी संजय खान से हुई थी, जो मुस्लिम हैं। यानी परिवार में शुरू से ही दो धर्म और दो संस्कृतियाँ रही हैं:
सदस्य धर्म/ पृष्ठभूमि
संजय खान मुस्लिम
जरीन पारसी
सुज़ैन खान पिता मुस्लिम + माँ पारसी → बच्चों पर मिला-जुला सांस्कृतिक प्रभाव
जायद खान पिता मुस्लिम + माँ पारसी
यानी यह परिवार एक धर्म नहीं, बल्कि दोनों संस्कृतियों को मानता रहा है।
2. जरीन खान के निधन की जानकारी
जरीन पिछले कुछ समय से बीमार थीं और उम्र के कारण उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी।खबर मिलते ही फिल्म और फैशन इंडस्ट्री के करीबी लोग घर पहुँचने लगे।
सबा आज़ाद, रितिक रोशन, परिवार के रिश्तेदार, पुराने दोस्त — सभी ने श्रद्धांजलि दी।
3. अंतिम संस्कार की वायरल तस्वीरें और वीडियो
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में:
- जायद खान सफेद कपड़ों में
- गले में जनेऊ
- हाथ में मटकी
- माथे पर चंदन
- श्मशान में पंडित खड़े थे
- यह दृश्य देखकर लोगों में कन्फ्यूजन फैल गया।
4. जायद के हाथ में मटकी और माथे पर चंदन क्यों दिखा?
हिंदू रीति से अंतिम संस्कार में:
- पुत्र मृतक की अंतिम यात्रा में मटकी लेकर चलता है
- चिता के चारों ओर परिक्रमा करता है
- फिर मटकी फोड़ता है, जो ‘मृत आत्मा की सांसारिक देह से मुक्ति’ का प्रतीक है
- इसी वजह से जायद खान वही प्रक्रिया निभाते दिखे।
5. क्या जरीन का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से हुआ?
हाँ — देखा जा सकता है कि:
- स्थल श्मशान घाट
- पंडित मौजूद
- मटकी परिक्रमा
- चंदन और जनेऊ
- यह पूरा क्रम हिंदू संस्कार को दर्शाता है।
- मगर इसका मतलब यह नहीं कि परिवार ने धर्म बदला।
- यह उनकी परिवारिक सांस्कृतिक पसंद और आपसी सहमति को दर्शाता है।
6. संजय खान का परिवार किन धार्मिक परंपराओं को मानता है?
यह परिवार पहले से ही:
- ईद भी मनाता है
- दीवाली भी
- पारसी नव वर्ष भी
- और कई हिंदू संस्कार भी
- यानी इनका जीवन हमेशा से दोनों धर्मों की परंपराओं का संगम रहा।
7. सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
- कुछ लोग हैरान थे:
- “क्या वह हिंदू थीं?”
- कुछ ट्रोल करने लगे:
- “मुस्लिम होकर हिंदू रिवाज क्यों?”
- लेकिन कई समझदार लोगों ने लिखा:
- “माँ के जाने के समय संस्कार धर्म से बड़े होते हैं।”
8. बॉलीवुड सितारों की उपस्थिति
अंतिम संस्कार में पहुंचे:
- रितिक रोशन
- सबा आज़ाद
- सुज़ैन खान
- फराह खान अली
- परिवार और दोस्त
- सबके चेहरों पर दुख और शांति दोनों नजर आई।
9. परिवार की तरफ से कोई बयान?
अभी तक परिवार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
लेकिन वीडियो और परिवार की पुरानी परंपराएँ देखकर यह स्पष्ट है कि:
➡ यह अंतिम संस्कार धार्मिक विवाद नहीं, भावनात्मक चयन था।
10. निष्कर्ष
- यह परिवार हमेशा दो धर्मों की परंपराओं को सम्मान देता आया है।
- अंतिम संस्कार परिवारिक इच्छा, मान्यता और भावनाओं का मामला होता है।
- जरीन का सम्मान उनकी संस्कारिक इच्छा अनुसार किया गया।
- धर्म से बड़ा है — जुड़ाव, प्यार और विदाई का सम्मान।
FAQs
ज़रीन खान का धर्म क्या था?
जरीन खान पारसी मूल की थीं, उन्होंने संजय खान से शादी की जो मुस्लिम हैं। इसलिए परिवार में दोनों धर्मों की परंपराएँ चलती थीं।
जायद खान ने अंतिम संस्कार में जनेऊ क्यों पहना?
अंतिम संस्कार में जनेऊ पहनना हिंदू रीति की परंपरा का हिस्सा है, जहाँ पुत्र संस्कार की जिम्मेदारी निभाता है। यहाँ यह परिवार की सांस्कृतिक पसंद थी।
हिंदू अंतिम संस्कार में मटकी क्यों ली जाती है?
मटकी आत्मा की सांसारिक देह से मुक्ति और प्रतीकात्मक अलगाव का संकेत है। पुत्र द्वारा इसे ले जाकर फोड़ना विदाई की अंतिम रस्म है।
क्या जरीन का अंतिम संस्कार हिंदू विधि से हुआ?
हाँ, अंतिम संस्कार में हिंदू रिवाज अपनाए गए, जैसा वीडियो और तस्वीरों में साफ दिखा।
क्या संजय खान का परिवार पहले से दोनों धर्मों को मानता आया है?
हाँ, यह परिवार कई वर्षों से हिंदू और मुस्लिम दोनों त्योहार और रीति मानता आ रहा है।




