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होलिका दहन की लौ देती है शुभ-अशुभ का संकेत, 9 से 11 बजे दहन का महा मुहूर्त, फिर बरसेगा रंग-गुलाल
होली। बुराई रूपी होलिका का दहन फागुन के अंतिम दिन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा पर रविवार को हो रहा है। इस बार दहन का मुहूर्त शाम सात बजे से लेकर अर्द्धरात्रि 12 बजे तक है। होलिका दहन का सबसे अच्छा समय रात नौ से 11 बजे तक है। इस दिन ढूंढा राक्षसी का ओम होलिकाये नमः जाप के साथ विधिवत पूजन किया जाता है।
इस वर्ष नही है भद्रा नक्षत्र
ज्यादा तर हर पूर्णिमा को भद्रा होता है, उसके बाद ही होलिका दहन किया जाता है। इस बार भद्रा रविवार को दिन में 1ः33 बजे ही खत्म हो गया है। ज्योतिषी बताते हैं कि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को किया जाता है। इसके साथ ही होलाष्टक संपन्न हो जाएगा।
होलिका दहन की लौ शुभ-अशुभ का देती है संकेत
ज्योतिष विद्र के अनुसार होलिका दहन की लौ शुभ-अशुभ का संकेत देती है। यदि यह लौ पूर्व दिशा की ओर उठती है तो इससे आने वाले समय में धर्म, अध्यात्म, शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में उन्नति के अवसर बढ़ते हैं। वहीं, पश्चिम में आग की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है। उत्तर की ओर हवा का रुख रहने पर देश व समाज में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा दक्षिण दिशा में होली की लौ हो तो अशांति और क्लेश बढ़ता है। झगड़े-विवाद होते हैं। पशुधन की हानि होती है। आपराधिक मामले बढ़ते हैं।
बरसेगा रंग-गुलाल
सोमवार को चैत्र मास कृष्णपक्ष प्रतिपदा को धुरड्डी यानी रंगोत्सव मनाया जाएगा। लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर होली पर्व की शुभ कामना देगें। इस पर्व पर पकवान भी बनाने की वर्षो से परम्परा रही है। उसके तहत घरो में पकवान बनाये जा रहे है।
फीका है पर्व
होली पर्व को लेकर सबसे ज्यादा बच्चों में उत्साह रहता है। वे आसपास से लकड़ी एकत्रित करके होलिका तैयार किये हुये है। हांलाकि इस वर्ष होली पर्व को लेकर उतना उत्साह नही देखा जा रहा है। बाजार में भी कोई खास रौनक नही देखी जा रही है। इक्का-दुक्का ही होलिका नजर आ रही है। रंग-गुलाल सहित खोवा आदि की दुकानों में भी सन्नाटा है। देश में बढ़ते कोरोना सक्रमण के चलते पर्व पर उत्साह नजर नही आ रहा। हर कोई कोरोना सक्रमण के भय में है।