राष्ट्रीय

गोधरा कांड के 19 साल / गोधरा कांड के बाद भड़के थें लोग, हुआ दंगा, मारे गए हजारों लोग...

Aaryan Dwivedi
27 Feb 2021 4:31 PM GMT
गोधरा कांड के 19 साल / गोधरा कांड के बाद भड़के थें लोग, हुआ दंगा, मारे गए हजारों लोग...
x
आज से 19 साल पहले 27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में गोधरा कांड हुआ था. गोधरा रेलवे स्टेशन में साबरमती ट्रेन के S-6 डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया था, इस हादसे में 59 लोगों की जलने से दर्दनाक मौत हो गई थी और फिर गुजरात में वो आग लगी, जिसकी ज्वाला पूरे देश में भड़की थी. दंगा हुआ, हजारों लोग मारे गए. सत्ता-विपक्ष एक दूसरे पर आरोप मढ़ते गए, पर एक गुजरात था, जो जलता ही जा रहा था. 

आज से 19 साल पहले 27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में गोधरा कांड हुआ था. गोधरा रेलवे स्टेशन में साबरमती ट्रेन के S-6 डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया था, इस हादसे में 59 लोगों की जलने से दर्दनाक मौत हो गई थी और फिर गुजरात में वो आग लगी, जिसकी ज्वाला पूरे देश में भड़की थी. दंगा हुआ, हजारों लोग मारे गए. सत्ता-विपक्ष एक दूसरे पर आरोप मढ़ते गए, पर एक गुजरात था, जो जलता ही जा रहा था.

27 फ़रवरी 2002 के को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की जो बोगी जलाई गई, उसमें अयोध्या से लौट रहें कारसेवक बैठे हुए थें, इस नृसंघ हत्या के बाद 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में साम्प्रदायिक तनाव फ़ैल गया. देखते ही देखते दंगा होने लगा, गोधरा के स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए, कर्फ्यू लगा दिया गया. जिस वक़्त ये सब कुछ हुआ नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थें. दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश पुलिस को दे दिए गए.

गोधरा से फैली इस दंगे की आग में जल्द ही पूरा गुजरात झुलसने लगा. पूरा गुजरात दंगों की चपेट में था. 1044 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे. गोधरा कांड के अगले दिन, यानी 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे, जो इसी सोसायटी में रहते थे. इन दंगों से राज्य में हालात इतने बिगड़ गए थे कि तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी.

पीएम अटल ने सीएम नरेंद्र मोदी से माँगा था इस्तीफ़ा

नरेंद्र मोदी उन दिनों गुजरात के सीएम थें, उन पर आरोप था कि उन्होंने दंगा रोकने के कोई ठोस कदम नहीं उठाएं. उधर केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थें. कहा तो ये भी जाता है कि इस दंगे के चलते पीएम अटल बिहारी ने सीएम नरेंद्र मोदी से इस्तीफ़ा तक मांग लिया था.

गोधरा कांड की जांच के लिए 6 मार्च 2002 को मोदी ने नानावटी-शाह आयोग का गठन किया. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने. आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 को पेश किया. इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया. साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई.

2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया. जिस कारण गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और इसका नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया. इसने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया. इसमें भी वही बात दोहराई गई, जो रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई थी.

गोधरा कांड के लिए 31 दोषी ठहराए गए

गोधरा कांड के लिए 31 मुसलमानों को दोषी ठहराया गया था. 2011 में SIT कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था.

Next Story