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दिल्ली दंगों का आरोपी शाहरुख पठान जब पैरोल पर छूटा तो ऐसा स्वागत हुआ जैसे ओलम्पिक में मेडल जीतकर आया है

दिल्ली दंगों का आरोपी शाहरुख पठान जब पैरोल पर छूटा तो ऐसा स्वागत हुआ जैसे ओलम्पिक में मेडल जीतकर आया है
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Shahrukh Pathan: 2020 में हुए दिल्ली दंगों का आरोपी शाहरुख़ पठान ने पुलिस पर बन्दूक तानी थी, जिसे अब पैरोल मिली है और मुसलमानों ने उसका भव्य स्वागत किया है

Delhi Roits Accused Shahrukh Pathan: CAA/NRC के खिलाफ साल 2020 में दिल्ली में साम्प्रदयिक दंगे हुए थे, कई लोगों की गिरफ़्तारी हुई थी, जिसमे एक आरोपी था शाहरुख़ पठान, जिसपर फायरिंग करने और पुलिस पर बन्दूक तानने के आरोप थे. तब से अबतक आरोपी शाहरुख़ जेल में था लेकिन मानवीय आधार के तहत उसे पैरोल मिल गई और वह जेल से छूटकर अपने घर आया, शाहरुख़ जब 4 घंटे के पैरोल में बहार आया तो मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने उसका स्वागत ऐसे किया जैसे वह कोई क्रिमिनल नहीं हीरो हो.

पुलिस पर बन्दूक तानने वाले आरोपी शाहरुख़ पठान को 23 मई के दिन कोर्ट से मानवीय आधार पर पैरोल मिली थी, उसके पिता बीमार चल रहे थे इसी लिए सिर्फ अपने अब्बू को देखने के लिए उसे रिहा किया गया था. मगर जब आरोपी जेल से छूटा तो उसका स्वागत ऐसे किया गया जैसे उसने ओलम्पिक में मेडल जीता हो. आरोपी शाहरुख़ के स्वागत का वीडियो भी इंटरनेट में तेज़ी से वायरल हो रहा है.

Delhi Roits Accused Shahrukh Pathan Video


दिल्ली दंगों का आरोपी है शाहरुख़

2020 के दिल्ली दंगों के दौरान, जाफराबाद-मौजपुर इलाके से फुटेज सामने आए थे, जिसमें आरोपी शाहरुख पठान पुलिस पर पिस्तौल तानते हुए दिखाई दे रहा था। उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और शाहरुख़ पठान को उत्तर प्रदेश के शामली जिले से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में एक रोहित शुक्ला की शिकायत भी जोड़ दी गई थी जिसने दावा किया था कि शाहरुख़ पठान ने दंगा और हिंसा के दौरान गोली भी चलाई थी।

शाहरुख़ पठान पर इन धाराओं के तहत कार्रवाई हुई थी

दिल्ली की अदालत ने पिछले साल आरोपी पठान के खिलाफ धारा 147 , 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होना अपराध), 186 (लोक सेवक को ड्यूटी करने से रोकना), 188 (आदेश की अवज्ञा), 153ए (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना, आदि), 283 (सार्वजनिक मार्ग में खतरा या बाधा), 353 (लोक सेवक को रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 332 (लोक सेवक को रोकने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप तय किए थे, और उसे जेल भेज दिया था. लेकिन जब वो आरोपी पैरोल में रिहा हुआ तो उसका स्वागत ऐसे किया गया जैसे उसने पुलिस में बन्दूक तानकर और दंगे के दौरान गोली चलाकर हीरो बन गया हो


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