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CBI ने Rolls Royce के खिलाफ केस दर्ज किया! जानें पूरा मामला

CBI ने Rolls Royce के खिलाफ केस दर्ज किया! जानें पूरा मामला
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CBI Rolls Royce Case: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने एयरोस्पेस एंड डिफेंस कंपनी रोल्स रॉयस PLC के खिलाफ केस दर्ज किया है।

CBI Rolls Royce Case In Hindi: केंद्रीय जांच ब्यरो (CBI) ने ब्रिटिश एयरोस्पेस एंड डिफेंस कंपनी Rolls Royce PLC और कंपनी के अधिकारीयों के खिलाफ केस दर्ज किया है. 29 मई को CBI ने 24 Hawk और 115 Advance Jet Generator Aircraft की डील पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हुए रोल्स रॉयस पर केस दर्ज किया है. इस FIR में Rolls Royce India के निदेशक टिम जोन्स (Tim Jones), आर्म्स डीलर सुधीर चौधरी, भानु चैधरी और ब्रिटिश ऐरोस्पेस सीस्टम BAE Systems का नाम है.

CBI ने इस मामले में रोल्स रॉयस के अलावा भारत के अन्य अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है. इन सभी लोगों को पर भारत सरकार के खिलाफ धोखाधड़ी करने का आरोप है. CBI ने केस दर्ज कर सभी आरोपियों को नोटिस भेज दिया है.

सीबीआई रोल्स रॉयस केस

CBI के अनुसार आरोपियों ने अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए अज्ञात पब्लिक सर्वेंट्स ने 734.21 मिलियन GBP टोटल 24 HAWK और 115 Advance Jet Generator Aircraft अपूर्व कर उन्हें खरीदा है. CBI ने 2016 में इस केस की जांच शुरू की थी

2003 में हुई थी डील

3 दिसंबर 2003 को कंपनी ने साथ मीटिंग हुई थी. जिसमे कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CSC) ने 66 हॉक और 115 एयरक्राफ्ट की डील को मंजूरी दी थी. इसके अलावा लॉन्ग-टर्म प्रोडक्ट सपोर्ट के लिए भारत और ब्रिटेन की सरकारों के बीच एक इंटर-गवर्नमेंट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर भी किए गए थे। इसके बाद 2004 में रोल्स रॉयस के साथ 2 कॉन्ट्रैक्ट साइन किए गए थे. पहला कॉन्ट्रेक्ट डायरेक्ट सप्लाई और मटेरियल्स के माध्यम से 24 हॉक एयरक्राफ्ट की सप्लाई का था। दूसरा कॉन्ट्रैक्ट 42 एयरक्राफ्ट के लिए टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर का था।

2012 में UK के SFO ने रोल्स रॉयस समेत भारत और अन्य देशों में प्रोजेक्ट पाने के लिए भ्रष्टाचार करने के मामले में जांच शुरू की थी. इस जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि रोल्स रॉयस ने लाइसेंस फी को 4 मिलियन GBP से बढ़ाकर 7.5 मिलियन GBP करने के लिए भारत में बैठे बिचौलियों को 1 मिलियन GBP की घूस दी थी. डिफेंस डील के संबंध में सुधीर चौधरी से जुड़ी कंपनी पोर्ट्समाउथ के नाम पर स्विस बैंक खाते में रशियन आर्म्स कंपनियों द्वारा 100 मिलियन GBP का पेमेंट किया गया था।




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