छतरपुर

पशु चिकित्सा अधिकारी को पांच साल की कैद एवं 25 हजार जुर्माना

News Desk
5 March 2021 12:23 AM GMT
पशु चिकित्सा अधिकारी को पांच साल की कैद एवं 25 हजार जुर्माना
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छतरपुर। पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी द्वारा विभाग के कर्मचारी से ही शिकायत को रफा-दफा करने के लिये रिश्वत की मांग की गई थी। जहां लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा था। न्यायालय द्वारा आरोपित डाक्टर को पांच साल की कठोर कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई है।

छतरपुर। पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी द्वारा विभाग के कर्मचारी से ही शिकायत को रफा-दफा करने के लिये रिश्वत की मांग की गई थी। जहां लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा था। न्यायालय द्वारा आरोपित डाक्टर को पांच साल की कठोर कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई है।

अधिवक्ता लखन राजपूत द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार फरियादी राजकुमार जैन ने 6 जून 2014 को लोकायुक्त पुलिस में इस आशय की शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी बेटी 100 प्रतिशत विकलांग होने के कारण वह परिवार के साथ बड़ामलहरा में रहता है। राजकुमार के खिलाफ आरोपित पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी मदन मोहन अहिरवार के द्वारा रामटौरिया में उपस्थित न रहने के संबंध में शिकायत उच्च अधिकारी को की थी। इस शिकायत को रफा दफा करने के एवज में मदन मोहन उससे दस हजार रुपए ले चुका है। 2500 रुपये और रिश्वत की मांग कर रहा है। राजकुमार उसे रिश्वत नहीं देना चाहता और उसे रंगे हाथो पकड़वाना चाहता है।

लोकायुक्त एसपी ने निरीक्षक केके अग्रवाल को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। 7 जून को राजकुमार ने संपर्क कर मदन मोहन की रिश्वत की बातचीत को रिकॉर्ड की। 9 जून को राजकुमार 2500 रुपए रिश्वत की राशि लेकर लोकायुक्त टीम के साथ शाम 5 बजे बड़ामलहरा तिराहे के पास पहुंचा। लोकायुक्त टीम पशु अस्पताल के बाहर छिपकर खड़े हो गए। राजकुमार ने मदन मोहन के घर जाकर रिश्वत की राशि दी और बाहर आकर इशारा किया। लोकायुक्त टीम ने अंदर आकर घेर लिया और रिश्वत की राशि बरामद की।

लोकायुक्त पुलिस ने विवेचना के बाद मामले को अदालत में पेश कर दिया। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक प्रवेश अहिरवार ने पैरवी करते हुए सभी सबूतों को अदालत के सामने पेश किए और कठोर सजा देने की दलील रखी। विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिंहा की अदालत ने आरोपित डॉक्टर मदन मोहन को रिश्वत लेने के अपराध का दोषी ठहराया। अदालत ने आरोपित डॉक्टर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में पांच साल की कठोर कैद के साथ 25 हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई।

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