छतरपुर

एमपी के छतरपुर में गले में फंसे सिक्के को निकालने डॉक्टर का अनोखा तरीका

Sanjay Patel
19 Dec 2022 11:48 AM GMT
एमपी के छतरपुर में गले में फंसे सिक्के को निकालने डॉक्टर का अनोखा तरीका
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छतरपुर के एक एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा बच्चों के गले में फंसे सिक्के को अनोखे तरीके से निकाला जाता है। इस पद्धति का उल्लेख न तो किसी मेडिकल साइंस में बताया गया है और न ही किताब में।

छतरपुर के एक एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा बच्चों के गले में फंसे सिक्के को अनोखे तरीके से निकाला जाता है। इस पद्धति का उल्लेख न तो किसी मेडिकल साइंस में बताया गया है और न ही किताब में। इस अनोखे तरीके से सिक्के निकालने पर सर्जरी की भी आवश्यकता महसूस नहीं होती।

इस पद्धति से निकालते हैं सिक्का

एमबीबीएस डॉक्टर मनोज चौधरी जिला अस्पताल में पदस्थ हैं। उनके मुताबिक फोली कैथेटर और दस एमएल की एक सिरिंज की मदद से गले में फंसे सिक्के को निकालने का काम करते हैं। उनके द्वारा सबसे पहले मरीज की एक्सरे करवाई जाती है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सके कि सिक्का गले में कहां पर फंसा हुआ है। जिसके बाद मरीजों को यूरिन रिलीज कराने के काम में आने वाली रबर की छोटी सी नली के एक सिरे को मरीज के गले में डाली जाती है। जो गले में फंसे सिक्के के नीचे तक जाती है। उसके बाद दस एमएल की सिरिंज से पंप कर नली में हवा भरी जाती है। जिससे गले के अंदर वाली नली का सिरा गुब्बारे की तरह हो जाता है। जिसके बाद आराम से नली को बाहर की ओर खींचा जाता है जिससे फूली हुई नली के साथ सिक्का भी बाहर आ जाता है।

फीस में लेते हैं निकाला गया सिक्का

डॉ. चौधरी के मुताबिक बच्चों के गले में फंसे सिक्का को निकालने में निजी अस्पतालों में काफी खर्चा आता है। क्योंकि इसके लिए एंडोस्कोपी की मदद ली जाती है। पहले मरीज को बेहोश किया जाता है। किन्तु उनके द्वारा अपनाई जाने वाली पद्धति से पांच मिनट में ही सिक्का गले से बाहर आ जाता है। इसमें किसी भी तरह का खर्च भी नहीं आता। सिक्के निगलने की अधिकांश घटनाएं बच्चों के साथ ही होती है। क्योंकि अनजाने में वह सिक्कों को ही निगल जाते हैं। बच्चों का गला व आहार नली छोटी होने के कारण सिक्का गले में ही फंस जाता है। डॉ. मनोज चौधरी की मानें तो उनके द्वारा बच्चों के गले में फंसे अब तक 105 सिक्कों को निकाला जा चुका है। इसके लिए उनके परिजनों से किसी प्रकार की शुल्क भी नहीं ली जाती। गले में जो सिक्का फंसा रहता है वही शुल्क के रूप में रख लेते हैं। डॉक्टर की मानें तो इस कार्य को घर पर अंजाम न दें। क्योंकि ऐसा करने पर बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती है।

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