छतरपुर

एमपी के छतरपुर में एम्बुलेंस नहीं मिली तो बीमार को हाथ ठेले से मां और पत्नी ने पहुंचाया अस्पताल, हो गई मौत

Sanjay Patel
18 July 2023 9:12 AM GMT
एमपी के छतरपुर में एम्बुलेंस नहीं मिली तो बीमार को हाथ ठेले से मां और पत्नी ने पहुंचाया अस्पताल, हो गई मौत
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MP News: मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई है। यहां एम्बुलेंस नहीं मिलने से बीमार युवक को मां और उसकी पत्नी ने हाथ ठेला पर लादा और अस्पताल पहुंचाया। किंतु अस्पताल पहुंचने में देरी की वजह से उसकी मौत हो गई।

मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई है। यहां एम्बुलेंस नहीं मिलने से बीमार युवक को मां और उसकी पत्नी ने हाथ ठेला पर लादा और अस्पताल पहुंचाया। किंतु अस्पताल पहुंचने में देरी की वजह से उसकी मौत हो गई। बीमार की मौत के बाद भी उसे शव वाहन नसीब नहीं हो सका। जिस पर पुनः उसके शव को ठेले में लादकर ही वापस घर तक ले जाना पड़ा।

क्या है मामला

मामला छतरपुर जिले के बक्सवाहा क्षेत्र के वार्ड नंबर 14 का बताया गया है। जहां सोमवार को बीमार महेन्द्र बंसल की मां जशोदा बंसल और उसकी पत्नी ने ठेले में अस्पताल पहुंचाया। वह हाथ ठेला से महेन्द्र को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचीं। सामने आई तस्वीरों में उसकी मां और पत्नी हाथ ठेले पर लादकर उसे पैदल ही अस्पताल ले जा रहे थे। किंतु अस्पताल पहुंचने में देरी होने की वजह से युवक की मौत हो गई। युवक की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि समय पर एम्बुलेंस नहीं मिली जिससे बीमार युवक ने दम तोड़ दिया। समय पर एम्बुलेंस मिल जाती तो उसकी जान बच सकती थी।

पीठ में था ट्यूमर

मृतक महेन्द्र बंसल की मां जशोदा का कहना था कि उनके बेटे के पीठ में ट्यूमर था। जिसका उपचार जबलपुर मेडिकल कॉलेज में होना था। कुछ दिन पहले जब वह बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उपचार कराने के लिए गए थे तो दमोह अस्पताल रेफर कर दिया गया। दमोह में उपचार होने के कारण युवक को जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। उनके द्वारा आयुष्मान कार्ड भी लगाया गया किंतु उसको उपचार नहीं मिल सका।

अचानक बिगड़ गई तबियत

जशोदा के मुताबिक उनके बेटे महेन्द्र की तबियत सोमवार को अचानक बिगड़ गई। उनका ट्यूमर फूट गया जिससे उनको घबराहट व दर्द होने लगा। इसके बाद उनके द्वारा कई बार 108 एम्बुलेंस को कॉल किया गया किंतु फोन नहीं लगा। पैसे की कमी के कारण वह मोहल्ले में रखे हाथ ठेला में लादकर बीमार को उपचार के लिए 1 किलोमीटर सफर तय कर अस्पताल ले गए। जहां चिकित्सकों ने उसका प्राथमिक उपचार कर दमोह रेफर कर दिया। वह एम्बुलेंस का इंतजार कर रहे थे तभी महेन्द्र की मौत हो गई। जिसके बाद परिजन पुनः शव को हाथ ठेला में लादकर वापस घर तक पहुंचे।

इनका कहना है

इस संबंध में बीएमओ डॉ. ललित उपाध्याय का कहना है कि बीमार के परिजनों ने शव वाहन की मांग की ही नहीं। जैसे ही उनको जानकारी लगी शव वाहन उपलब्ध कराया गया किंतु वाहन आने से पहले ही परिजन शव को हाथ ठेला पर लेकर चले गए।

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