छत्तीसगढ़

CG: धान की कतार बोनी विधि में आती है कम लागत: कम वर्षा में भी मिलती है अच्छी फसल

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:25 AM GMT
CG: धान की कतार बोनी विधि में आती है कम लागत: कम वर्षा में भी मिलती है अच्छी फसल
x
CG: धान की कतार बोनी विधि में आती है कम लागत: कम वर्षा में भी मिलती है अच्छी फसल CG: धान की कतार बोनी विधि में कम लागत आती है

CG: धान की कतार बोनी विधि में आती है कम लागत: कम वर्षा में भी मिलती है अच्छी फसल

CG: धान की कतार बोनी विधि में कम लागत आती है साथ ही कम वर्षा में भी उपज पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। इस विधि से खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है और उन्हें कतार बोनी विधि से खेती करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

CG: मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में यात्री बस संचालकों को दी बड़ी राहत

कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर द्वारा कम समय में फसल उगाई, कम लागत और कम मजदूर के माध्यम से भी उन्नत कृषि हो इसका प्रशिक्षण किसानों को दिया जा रहा है। किसानों को बीज उर्वरक बुवाई यंत्र द्वारा धान की कतार बोनी विधि के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इस विधि में कम वर्षा की स्थिति में भी उपज में विशेष प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि प्रारंभ में ही वर्षा जल का सीधे लाभ मिल जाता है। जिससे किसान वर्षा जल पर पूर्णतः निर्भर न रहते हुए भी अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं।

CM BHUPESH BAGHEL की बड़ी सौगात, बस संचालक अब घर बैठे ऑनलाइन ले सकेंगे स्पेशल परमिट

कांकेर जिले में उपलब्ध कुल धान के रकबे में लगभग 65 प्रतिशत क्षेत्र में किसान छिटकवां विधि से धान की बुवाई करते है और बुवाई के एक माह बाद बियासी करके धान की निंदाई एवं गुड़ाई करते हैं। इस प्रक्रिया में सही समय पर यदि बारिश नहीं होती तो किसान बियासी प्रक्रिया में पिछड़ जाते है।

मुख्यमंत्री ने ‘डॉक्टर्स डे‘ पर चिकित्सकों को दी शुभकामनाएं

इन परिस्थितियों की वजह से कई किसान खेतों में घास की अधिकता के कारण आधार खाद का उपयोग भी नहीं कर पाते, जिसकी वजह से धान की उपज में काफी कमी आ जाती है। वैज्ञानिको ने बताया कि बीज उर्वरक बुवाई यंत्र द्वारा बुवाई के तुरंत पश्चात नींदानाशक का उपयोग कर खरपतवारों को रोका जा सकता है।
इस विधि द्वारा उत्पन्न धान की उपज रोपाई वाले धान के बराबर आती है। कतार बोनी में निंदाई, रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती है। छिटकवा विधि की तुलना में फसल 10-15 दिन जल्दी पकती है। जिससे मिट्टी में उपलब्ध नमी का उपयोग कर किसान दूसरी फसल भी ले सकते हैं। [signoff]
Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

    Next Story