छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन, मध्यप्रदेश में 14 साल रहे कलेक्टर

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:23 AM GMT
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन, मध्यप्रदेश में 14 साल रहे कलेक्टर
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन, मध्यप्रदेश में 14 साल रहे कलेक्टर भोपाल। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन, मध्यप्रदेश में 14 साल रहे कलेक्टर

भोपाल। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार को रायपुर में निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से कोमा में थे। शुक्रवार को राजधानी रायपुर के नारायण हॉस्पिटल में अजीत जोगी ने 74 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। जोगी के निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अनेक नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। अजीत जोगी मध्यप्रदेश में 14 साल तक कलेक्टर रह चुके हैं और अर्जुन सिंह के सान्निध्य में राजनीति में आए थे।

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अजीत जोगी को दो सप्ताह पहले कार्डियक अरेस्ट के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को भी उन्हें एक कार्डियक अरेस्ट आया था, जिसके बाद उनकी हालत ज्यादा गंभीर हो गई थी। जोगी के पुत्र अमित जोगी ने उनके निधन की पुष्टि की है।

जोगी राजधानी रायपुर के नारायणा अस्पताल में पिछले 21 दिनों से उनका उपचार चल रहा था। जोगी तभी से कोमा में थे। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ सुनील खेमका और डॉ पंकज ओमर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम लगातार 24 घंटों तक उनके स्वास्थ्य की निगरानी में जुटी थी।

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आइए उनसे जुड़े कुछ किस्सों पर डालते हैं एक नजर...।

इंदौर शहर के सबसे पॉश इलाके में रेसिडेंसी एरिया में स्थित था कलेक्टर साहब का बंगला। 1985 का वक्त था जब कलेक्टर साहब अजीत जोगी बंगले में आराम कर रहे थे। अचानक फोन की घंटी घनघनाती है और बंगले पर तैनात कर्मचारी कहता है कि कलेक्टर साहब सो रहे हैं। दूसरी तरफ से आदेश आता है कि साहब को उठाइए और बात कराइए। साहब जागते हैं और फोन पर आ जाते हैं। दूसरी तरफ से एक शख्स कहता है तुम्हारे पास ढाई घंटे हैं, सोच लो। राजनीति में आना है या कलेक्टर ही बने रहना है। दिग्विजय सिंह आपके पास आएंगे उन्हें अपना फैसला बता देना। फोन करने वाला व्यक्ति उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए वी जॉर्ज का था।

थोड़ी देर बाद जब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह रेसिडेंसी एरिया स्थित कलेक्टर बंगले पर पहुंचे तब तक अजीत जोगी राजनीति में जाने का मन बना चुके थे। उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। कलेक्टरी से भी इस्तीफा दे दिया। कुछ ही दिनों बाद अजीत जोगी को कांग्रेस की वेलफेयर ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट एंड ट्राइब्स का सदस्य बना दिया गया। कुछ ही महीनों बाद राज्यसभा सांसद बना दिए गए।

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राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उस समय पुराने लोगों को हटाकर राजीव गांधी नई टीम बना रहे थे। मध्यप्रदेश रीजन के लिए दिग्विजय सिंह और आदिवासी क्षेत्र छत्तीसगढ़ के लिए उन्हें नए युवा व्यक्ति की तलाश थी और अजीत जोगी उनकी पसंद के व्यक्ति थे। उस समय अजीत जोगी एक तेज तर्रार आईएएस अफसर के रूप में जाने जाते थे। जोगी शहडोल और सीधीमें काफी समय तक कलेक्टर भी रहे। सीधे जिले में चुरहट क्षेत्र भी है जहां पर कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह की ही राजनीति चलती थी।

पुराने लोग कहते हैं कि राजनीति में आने के बाद अर्जुन सिंह के दबदबे को जोगी भांप चुके थे और उन्हें गॉडफादर बना लिया था। जोगी खुद को पिछड़ी जातियों के नेता मानने लगे थे। एक बार तो दिग्विजय सिंह के खिलाफ ही उन्होंने मोर्चा खोल दिया था, जो उन्हें राजनीति में लाने में अहम किरदार थे।

यह भी बताया जाता है कि जब मध्यप्रदेश में 1993 में सत्ता परिवर्तन हुआ था और दिग्विजय सिंह का नाम मुख्यमंत्री के लिए लिया गया तब अजीत जोगी भी दावेदारों में शामिल थे।

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