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Airtel, Jio और Vi को क्यों सता रहा है 5G Smartphones की शॉर्टेज का डर? सरकार ने ऐसा क्या कर दिया

Airtel, Jio और Vi को क्यों सता रहा है 5G Smartphones की शॉर्टेज का डर? सरकार ने ऐसा क्या कर दिया
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fear of shortfall of 5G Smartphones: तीनों कंपनियों का कहना है कि सरकार की नई मोबाइल टेस्टिंग पॉलिसी के कारण देश में 5G मोबाइल सप्लाई की कमी हो जाएगी और उन्हें करोड़ों रुपए का घाटा

Shortfall of 5G Smartphones: देश की तीन बड़ी टेलिकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां Airtel, Vi और Jio को अगले साल तक 5G मोबाइल के अकाल पड़ने का डर सता रहा है. जाहिर है तीनों कंपनियों ने देश में 5G सर्विसेज शुरू करने के लिए करोड़ों रुपए इन्वेस्ट किए हैं लेकिन उन्हें भय इस बात का है कि सरकार की नई मोबाइल टेस्टिंग पॉलिसी के कारण 5G Smartphones की भारी कमी हो जाएगी।

अगले साल तक संभवतः देश के कोने-कोने में 5G सर्विस शुरू हो जाएंगी लेकिन जब 5G मोबाइल की ही सप्लाई कम हो जाएगी तो कंपनियों को लम्बी चपत बैठ जाएगी। सरकार ने हैंडसेट टेस्टिंग की प्रक्रिया में बदलाव करने की बात कही है। सरकार की नई पॉलिसी के तहत कोई भी 5G मोबाइल बाजार में लॉन्च होने से पहले उसे लोकल टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन जैसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा इसके लिए दूर संचार विभाग (DOT) ये काम करेगी

तो क्या अभी टेस्टिंग नहीं होती

बारबार होती है, हर मोबाइल की टेस्टिंग लॉन्च होने से पहले की जाती है लेकिन सरकार की नई पॉलिसी के तहत कई मापदंडो में जो बदलाव किए गए हैं वह इन तीनों कंपनियों के दावे के अनुसार देश में 5G मोबाइल के लिए क्राइसिस पैदा कर सकते हैं.

अभी कैसे टेस्टिंग होती है- अभी तक किसी भी मोबाइल की टेस्टिंग ब्यूरो ऑफ़ इंडिया स्टैंडर्ड्स (BIS) और IT एन्ड इलेक्ट्रॉनिक्स मिनिस्ट्री के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत होती है। वहीं ISI के तहत भी मोबाइल की टेस्टिंग होती है। BIS IS 13252 मानकों के तहत स्मार्टफोन को सर्टिफाई करती है.

मानकों के अनुसार मोबाइल की SAR वेल्यू (Specific Absorption Rate) 1.6 वॉट/KG होनी चाहिए, मतलब 1KG टिशू मैक्सिमम 1.6 वॉट वेव्स की पावर को सोखे। किसी भी एलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वेव्स मतलब तरंगे निकलती हैं. जिसे हमारा शरीर सोख लेता है। इसी के लिए SAR वेल्यू मापी जाती है।

लेकिन अब सरकार नए तरीके से मोबाइल की टेस्टिंग करना चाहती है. 1 जनवरी 2023 से यह बदलाव प्रारम्भ करने की योजना है. जिसके तहत मोबाइल को टेलिकॉम इक्विपमेंट के मैंडेटरी टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन मतलब MTCTE से गुजरना होगा

क्या है MTCTE

यह स्मार्टफोन टेस्टिंग का नया तरीका है। MTCTE का फुलफॉम (Mandatory Testing and Certification of Telecommunication Equipment ) है। ऐसा नहीं है कि ये टेस्टिंग नई है, इसे विदेशों से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की टेस्टिंग के लिए अपनाया गया था और अब स्मार्टफोन की टेस्टिंग के लिए अमल में लाया जाएगा।

तो इससे दिक्कत क्या है

ऐसा तो है नहीं की 5G मोबाइल मार्केट में अवेलबल ही नहीं है, तो फिर कंपनियों को नई स्मार्टफोन टेस्टिंग से दिक्कत क्या है इस बात को समझते हैं. जाहिर है जैसे ही देश के सभी जिलों में 5G सर्विस शुरू हो जाएगी लोग 5G मोबाइल लेना शुरू कर देंगे। कंपनियों का कहना है कि नई सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के कारण 5G मोबाइल की कमी हो जाएगी। क्योंकि MTCTE टेस्टिंग में समय बहुत लगेगा और नए स्मार्टफोन के लॉन्च होने में देरी होगी।

अब ऐसा तो नहीं है कि सरकार भारत आने वाले या भारत में बनने वाले हर एक मोबाइल की टेस्टिंग करेगा हां लेकिन यह नई प्रक्रिया थोड़ा समय लेने वाली जरूर है। सरकार के नए सिस्टम के खिलाफ तीनों कंपनियों ने सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने टेलीकॉम सचिव को लेटर लिखकर नए नियम को वापस लेने के लिए कहा है।

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