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मिट्टी के तबे पर बनी रोटी मचाएगी धमाल, कर देगी कुछ ऐसा, जानिए!

मिट्टी के तबे पर बनी रोटी मचाएगी धमाल, कर देगी कुछ ऐसा, जानिए!
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आमतौर पर लोग लोहे के तबे पर रोटी बनाते हैं। प्रचलित मान्यताओं में अभी तक आप सिर्फ इतना जानते हैं कि पहली रोटी हमें गाय को खिलानी चाहिए।

आमतौर पर लोग लोहे के तबे पर रोटी बनाते हैं। प्रचलित मान्यताओं में अभी तक आप सिर्फ इतना जानते हैं कि पहली रोटी हमें गाय को खिलानी चाहिए। तो वहीं अंतिम रोटी कुत्ते को दिया जाना चाहिए। लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं कि मिट्टी के तबे पर बनी रोटी के क्या-क्या फायदे होते हैं। हमारी धार्मिक मान्यताआें में कहा गया है कि अगर मिट्टी के तबे पर बनी रोटी का सेवन हम करते हैं तो वह हमारे सौभाग्य के द्वार खोल देती है। वहीं वैज्ञानिक तौर भी मिट्टी के तबे में बनी रोटी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।

सुख-समृद्धि में होती है वृद्धि

कहा जाता है कि अगर घर में मिट्टी के तबे में बनी रोटी का सेवन घर के लोग करते हैं तो इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही हमारे रसोई में व्याप्त नकारात्मकत दूर होती है। घर के लोगों में आपसी प्रेम भाव बढ़ता है।

कई रोगों से करता है रक्षा

वैसे भी हमारा शरीर पंच भौतिक तत्वों से बना है। पूर्व काल में लोग मिट्टी के ही बर्तनों का उपयोग खाना बनाने और खाना खाने में किया करते थे। इसीलिए उस जमाने के लोग ज्यादा ताकतवर और निरोगी हुआ करते थे। अगर आज भी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाय तो कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है।

जगन्नाथ पुरी में मिट्टी के बर्तनों में बनता भोजन

भगवान जग्न्नाथ के धाम पुरी में भगवान तथा भक्तों के लिए भोजन मिट्टी के बर्तनों में बनता है। मिट्टी के पके बर्तनों में बना भोजन काफी पवित्र और शुद्ध माना गया है। वहीं पुरी में बनने वाले भोजन के सम्बंध में वैज्ञानिक भी दावा कर चुके हैं कि मिट्टी की हांडी में बनी दाल में प्रोटीन 97 प्रतिशत होती है। जबकि यही दाल अगर कुकर या एल्युमीनियम के पात्र में बने तो उसमें प्रोटीन 80 प्रतिशत तक नष्ट हो जाती है। मात्रा 20 प्रतिशत से भी कम प्रोटीन बचता है।

वहीं बताया गया है पीतल के पात्र में बानने वाले भोजन में 80 से 87 प्रतिशत तक पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। वहीं कांसे के पात्र में भोजन बनने से मात्र 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। शेष 97 प्रतिशत तत्व मौजूद रहते हैं।

बढ़ते हैं रोग

आज के समय में रोग बढ़ने का कारण आवो-हवा का खराब होना तो है ही साथ में हमारा खान-पान भी इसके लिए उत्तरदाई है। हम जो खा रहे हैं उसमें बनने वाले बर्तनों की वजह से अन्न में मौजूद ज्यादा पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। साथ ही उन बर्तनों के तत्व भोजन में मिलकर उसमें रोगों के करक बन जाते हैं।

नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

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