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TCS में छंटनी का आरोप: कर्मचारियों ने किया विरोध प्रदर्शन, कंपनी ने आरोपों को नकारा

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आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर छंटनी का आरोप लगाते हुए कर्मचारियों के संगठन ने कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। कंपनी ने 30,000 नौकरियों में कटौती के आरोपों को गलत बताया है।

टीसीएस में छंटनी: भारत की प्रमुख आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी करने का आरोप लगाया गया है। इस आरोप के विरोध में, यूनियन ऑफ आईटी एंड आईटीईएस एम्प्लॉइज (UNITE) ने कई भारतीय शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन का दावा है कि कंपनी 30,000 तक कर्मचारियों की नौकरी में कटौती कर सकती है। हालांकि, टीसीएस ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। कंपनी का कहना है कि यह संख्या गलत और भ्रामक है, और छंटनी केवल उसके वैश्विक कार्यबल के लगभग 2% तक सीमित है, जो करीब 12,000 कर्मचारियों के बराबर है।

कर्मचारी संघ का दावा और विरोध प्रदर्शन (Employee union claims and protests)

यूनियन ऑफ आईटी एंड आईटीईएस एम्प्लॉइज (UNITE) ने टीसीएस के खिलाफ आवाज उठाते हुए दावा किया है कि कंपनी अनुभवी कर्मचारियों को भी बाहर निकाल रही है। यूनियन के संयुक्त सचिव, चंद्र शेखर आजाद ने एक बयान में कहा, "अब तक प्रभावित हुए कर्मचारियों में एकमात्र सामान्य बात उनका अनुभव है।" उन्होंने बताया कि यहां तक कि उन कर्मचारियों को भी हटाया जा रहा है जिनके पास साबित कौशल और नेतृत्व क्षमता है। इससे टीमों के भीतर अनिश्चितता का माहौल बन रहा है। यूनियन के महासचिव अलगुनांबी वेल्किन ने कहा कि यूनियन अपने आंदोलन को दुनिया भर में फैलाने की योजना बना रही है। वे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ समन्वय कर रहे हैं ताकि इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाया जा सके। कुछ यूनियन सदस्यों ने टीसीएस के सिरुसेरी कैंपस में कमियों को लेकर भी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों के पास अपने निजी उपकरणों पर अनिवार्य अपस्किलिंग टूल तक सीमित पहुंच है, जिससे उन्हें वैकल्पिक उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हालांकि, इन दावों की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है।

टीसीएस ने क्या कहा? कंपनी का बयान (What did TCS say? Company statement)

कर्मचारी यूनियन द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर टीसीएस ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। टीसीएस ने यूनियन के दावों को 'गलत और भ्रामक' बताया है। कंपनी का कहना है कि कार्यबल में बदलाव का असर सिर्फ 2% कर्मचारियों तक सीमित रहेगा। कंपनी ने साफ किया कि ये कोई बड़े पैमाने पर छंटनी नहीं है, बल्कि यह एक पुनर्गठन (restructuring) प्रक्रिया का हिस्सा है। टीसीएस के अनुसार, यह पुनर्गठन कंपनी को 'भविष्य के लिए तैयार' करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जिसमें क्लाउड, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कंपनी ने यह भी कहा कि प्रभावित कर्मचारियों को उचित विच्छेद पैकेज और संक्रमणकालीन सहायता (severance and transition support) दी जाएगी।

सरकार से हस्तक्षेप की मांग (Demand for intervention from the government)

इस मुद्दे पर सिटू (CITU) जैसे संगठनों ने भी यूनिटी का समर्थन किया है और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। यूनिटी का कहना है कि सरकार को इस तरह की छंटनी पर रोक लगानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनियों को मनमाने ढंग से कर्मचारियों को निकालने की अनुमति न मिले। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो वे अपने आंदोलन को और भी बड़ा करेंगे और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

क्या है छंटनी के पीछे की वजह? (What is the reason behind the layoffs?)

जानकारों का मानना है कि आईटी सेक्टर में चल रहे बदलाव और ऑटोमेशन की वजह से कंपनियां अब पारंपरिक नौकरियों की जगह नई तकनीकों पर ध्यान दे रही हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा साइंस, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में तेजी से विकास हो रहा है, जिससे कई पुरानी भूमिकाएं कम महत्वपूर्ण होती जा रही हैं। टीसीएस का यह पुनर्गठन भी इसी दिशा में एक कदम हो सकता है, जहां कंपनी अपने कर्मचारियों के कौशल को इन नई तकनीकों के अनुरूप बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, यूनियन का आरोप है कि कंपनी इस बदलाव का इस्तेमाल अनुभवी कर्मचारियों को हटाने और लागत कम करने के लिए कर रही है।

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