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Story Of Rolex: एक अनाथ लड़के ने बनाई थी Rolex कंपनी, रोलेक्स वॉच के इतने महंगे होने की वजह बहुत प्यारी है

Story Of Rolex: एक अनाथ लड़के ने बनाई थी Rolex कंपनी, रोलेक्स वॉच के इतने महंगे होने की वजह बहुत प्यारी है
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रोलेक्स कंपनी का मालिक एक अनाथ लड़का था, आज Rolex Watch अमीरी की पहचान है

Story Of Rolex Founder In Hindi:Story Of Rolex Founder In Hindi: आप अगर घड़ियों के शौक़ीन ना भी हों तो कहीं न कहीं किसी न किसी से Rolex कंपनी के बारे में सुना ही होगा। और यह भी जानते होंगे की Rolex Watch काफी महंगी होती हैं. जाहिर है रोलेक्स की घड़ी हो या मेले में मिलने वाली 20 रुपए की बच्चों वाली घडी समय सब एक ही बताती हैं. लेकिन रोलेक्स के इतना महंगा होने के बीचे बहुत प्यारी वजह है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रोलेक्स के फाउंडर (Rolex Founder) एक अनाथ थे.


History Of Rolex Founder: एक अनाथ युवा की सोच और मेहनत ने दुनिया की सबसे प्रीमियम और लक्ज़री वॉच कंपनी की स्थापना की थी. उस अनाथ लड़के ने सोचा था कि ऐसी घड़ियां बनाऊंगा जो दुनिया में और कहीं नहीं बनती। आज रोलेक्स के फाउंडर तो जिन्दा नहीं है लेकिन उनकी दयालुता, कंपनी और महंगी घड़ियों के पीछे की नेक सोच आज भी जिन्दा है.

कौन थे रोलेक्स के मालिक


Who Was Founder Of Rolex: रोलेक्स कम्पनी को खड़ा करने के पीछे दो लोगों का हाथ था. एक थे हैंस विल्सडॉर्फ और दूसरे अल्फ्रेड डेविस. (Hans Wilsdorf and Alfred Davies) लेकिन कंपनी के असली फाउंडर Hans Wilsdorf ही थे जिन्होंने Rolex को उस मुकाम में पहुंचाया जहां वो आज है.

हैंस विल्सडॉर्फ की कहानी

Story Hans Wilsdorf: जर्मनी के कुलम्बाच में 22 मार्च 1881 के दिन Hans Wilsdorf का जन्म हुआ था. उनके दो भाई और एक बहन थी. अपने माता पिता के हैंस दूसरी संतान थे. हैंस के पिता एक अमीर इंसान थे लेकिन जब हैंस सिर्फ 12 साल के थे उनके माता-पिता की मौत हो गई. इसके बाद तीनों भाई-बहन की जिम्मेदारी उनके अंकल पर आ गई. जिसने हैंस विल्सडॉर्फ के पिता और दादाजी की पूरी संपत्ति बेच दी और तीनों को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। विल्सडॉर्फ ने अपनी जिंदगी पर जो किताब लिखी थी उसमे उन्होंने अपने अंकल के लिए कहा था "उन्होंने मुझे कम उम्र में ही आत्मनिर्भर बना दिया था'

19 साल के थे तब से काम करने लगे


विल्सडॉर्फ और उनके भाई-बहन की पढाई अच्छे से हुई थे. उनके गणित और अन्य भाषाओँ क अच्छा ज्ञान था. जब हैंस विल्सडॉर्फ सिर्फ 19 साल के थे तो उन्होंने घड़ी बनाने वाली कंपनी "कुनो कोर्टेन" में काम सीखा, उनका काम था कि घड़ी अच्छे से बन रही है या नहीं।

रोलेक्स कंपनी की स्थापना कैसे हुई

How the Rolex Company Was Funded: साल 1903 की बात है हैंस विल्सडॉर्फ एक बड़ी घड़ी बनाने वाली कंपनी में काम करने के लिए लंदन चले गए थे. यही से उन्होंने अपनी तकदीर खुद से लिखना शुरू कर दी थी. घडी बनाने वाले हैंस विल्सडॉर्फ अब अपना समय बदलने वाले थे. 1095 में हैंस विल्सडॉर्फ ने अब नौकरी छोड़ खुद की कंपनी शुरू करने की सोची, उन्होंने अपने साले अल्फ्रेड डेविस को साथ लिया और लंदन में घड़ी बनाने वाली कंपनी शुरू की जिसका नाम था 'विल्सडॉर्फ एंड डेविस कंपनी'

लेकिन कंपनी का नाम ऐसा था तो उनकी घड़ियां नहीं बिकती थीं. बाहर से पार्ट्स मंगाकर उन्हें लंदन में असेम्ब्ल किया जाता था और घड़ियों में महंगे नग लगाने के लिए बाद में उन्हें जौहरियों के पास भेजा जाता था. ऐसा तीन साल तक चलता रहा लेकिन कमाई उतनी नहीं होती थी.

धीरेधीरे अमीर लोग सोने और नगों से जड़ी हुई विल्सडॉर्फ एंड डेविस कंपनी' की घड़ियों को पसंद करने लगे, बिज़नेस चल पड़ा और विल्सडॉर्फ और डेविस लंदन छोड़कर स्विट्ज़रलैंड चले गए. 1908 में उनकी कंपनी रजिस्टर्ड हुई थी और इसी साल उन्होंने देश बदल लिया था. विल्सडॉर्फ ने स्विट्ज़रलैंड में उन्होंने ऑफिस खोला और 1919 में लंदन वाला ऑफिस बंद कर दिया। स्विट्ज़रलैंड में उन्हें स्किल्ड एम्प्लॉयीज मिले और उनका बिज़नेस सेट हो गया. आज भी Rolex का इंटरनेशनल हेडक्वाटर स्विट्ज़रलैंड के चाक्स-डी-फोंड्स में है.

रोलेक्स नाम कैसे मिला

How Rolex Got Its Name: 1920 तक घड़ी बनाने की कंपनी का नाम 'विल्सडॉर्फ एंड डेविस कंपनी' ही था. लेकिन हैंस अब अपनी कंपनी का नाम बदलकर सिर्फ 5 लेटर्स वाला नाम चुनना चाहते थे. 100 से ज़्यादा नामों की लिस्ट बनाई गई, एक दिन विल्सडॉर्फ लंदन में अपने घोड़े की सवारी कर रहे थे, उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने उनके कान में कुछ फुसफुसाया, और इसी के साथ उनके दिमाग में Rolex नाम आया और यही नाम फ़ाइनल हुआ.

Rolex Meaning: Rolex जैसा शब्द किसी ने कभी नहीं सुना था, दुनिया की किसी भी भाषा में इसका कोई अर्थ नहीं था. लेकिन यह सुनने में काफी अच्छा लगता था.

रोलेक्स का लोगो ताज जैसा क्यों है


Why Rolex Logo Is Like Crown: रोलेक्स का लोगो एक ताज जैसा है, इसके पीछे की वजह है कि हैंस अपनी घड़ी में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति सम्मान दर्शना चाहते थे. ताज वाला लोगो इसे रईसी की तरफ बढ़ावा देता था. Rolex की एक पेरेंट कंपनी है जिसका नाम Tudor है. Tudor एक शाही परिवार था जिसने 1485 से लेकर 1603 तक इंग्लैंड पर राज किया था.

रोलेक्स की घड़ियाँ इतनी महंगी क्यों होती हैं

Why are Rolex watches so expensive: आम घड़ियों में 310 L स्टील का इस्तेमाल होता है,लेकिन रोलेक्स में 940 L स्टील से इसका डायल बनता है. इसके डायल में सफ़ेद सोना मतलब White Gold, हीरे के नग, सोना, प्लैटिनम का इस्तेमाल होता है. इसके बेजेल सेरेमिक मतलब चीनी मिट्टी का भी इस्तेमाल होता है. रोलेक्स अपनी कमाई का 90% हिस्सा अनाथ बच्चों की पढाई और उनके पालने के लिए डोनेट करता है. इसी लिए जब आप महंगी रोलेक्स घड़ी खरीदते हैं तो इसका मतलब यह होता है कि आपने भी किसी एक अनाथ बच्चे के लिए पैसे दिए हैं. घड़ी की वेल्यू से ज़्यादा कीमत होने की नेक वजह यही है.



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