
रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, डॉलर के मुकाबले 88.27 | Rupee Hits Record Low at 88.27 Against Dollar

रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर: 88.27 पर बंद हुआ {#rupee-record-low-88-27}
शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 15 पैसे गिरकर ₹88.27 के नए निचले स्तर पर बंद हुआ। अंतरबैंक मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया ₹88.11 पर खुला और दिन के दौरान ₹88.38 तक गिरा। विदेशी फंडों की निरंतर निकासी और अमेरिकी टैरिफ की अफवाहों ने रुपये पर दबाव डाला।
रुपये की गिरावट क्यों हो रही है {#why-rupee-depreciates}
रुपये की गिरावट के मुख्य कारण:
-विदेशी निवेशकों की निकासी: सितंबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से $1.4 बिलियन की निकासी की।
-अमेरिकी टैरिफ अफवाहें: अमेरिका द्वारा भारतीय IT सेक्टर पर टैरिफ की अफवाहों ने निवेशकों को डराया।
-कमजोर अमेरिकी डॉलर और कच्चे तेल की कीमतें: डॉलर की कमजोरी और कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव रुपये की गिरावट को रोकने में असफल रहे।
अमेरिकी टैरिफ का असर {#impact-of-us-tariffs}
टैरिफ अफवाहों ने भारतीय IT निर्यातकों और शेयर बाजार पर दबाव डाला। अगर यह टैरिफ जारी रहता है, तो GDP में 0.6% से 0.8% की कमी आ सकती है।
आरबीआई का हस्तक्षेप {#rbi-intervention}
भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये की गिरावट को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, ₹88.30 के स्तर पर डॉलर बेचकर रुपये को सहारा दिया गया।
कच्चे तेल की कीमतों का प्रभाव {#crude-oil-impact}
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें रुपये पर दबाव डालती हैं क्योंकि भारत तेल आयातक देश है। तेल महंगा होने से व्यापार घाटा बढ़ता है और रुपये की गिरावट तेज होती है।
विदेशी फंडों की निकासी का असर {#fund-outflow-impact}
विदेशी फंडों की निरंतर निकासी से निवेशकों का भरोसा गिरता है। इससे रुपया कमजोर होता है और मुद्रा विनिमय दर पर दबाव पड़ता है।
रुपये की गिरावट और शेयर बाजार {#rupee-stock-impact}
रुपये की गिरावट का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा। विदेशी निवेशक पूंजी निकाल रहे हैं और शेयरों की कीमतें गिर रही हैं।
भविष्य की दिशा और अनुमान {#future-outlook}
विश्लेषकों के अनुसार, अगर अमेरिकी टैरिफ जारी रहते हैं और विदेशी फंड निकासी जारी रहती है, तो रुपये पर दबाव बना रह सकता है। अमेरिकी फेड की नीतियों और वैश्विक आर्थिक स्थितियों से रुपये की दिशा तय होगी।
Q1: रुपये की गिरावट से आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
- आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई बढ़ेगी।
Q2: आरबीआई रुपये की गिरावट को कैसे नियंत्रित करता है?
-विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करके और मौद्रिक नीति के माध्यम से।
Q3: अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
- भारतीय निर्यात महंगा होगा, व्यापार घाटा बढ़ेगा और GDP वृद्धि दर प्रभावित होगी।




