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मुजफ्फरपुर में खुला प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का प्लांट, जानें प्लास्टिक से कैसे बनता है पेट्रोल-डीज़ल

मुजफ्फरपुर में खुला प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का प्लांट, जानें प्लास्टिक से कैसे बनता है पेट्रोल-डीज़ल
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मुजफ्फरपुर में प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का प्लांट भी तैयार हो गया है और पेट्रोल 65-75 रुपए लीटर के हिसाब से बेचा जा रहा है

मुजफ्फरपुर में एक शख्स ने प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का तरीका खोज निकाला है इतना ही नहीं उसने बड़े लेवल पर पेट्रोल का प्रोडक्शन करने के लिए प्लांट भी लगा दिया है। जहां सरकार द्वारा टैक्स घटाने के बाद भी कीमत 110 रुपए प्रति लीटर है वहीं प्लास्टिक से बने पेट्रोल के दाम सिर्फ 65 से 70 रुपए के बीच है। लगभग आधी कीमत में तैयार हो रहे पेट्रोल को खरीदने के लिए लोग लाइन लगा रहे हैं। आइये जानते हैं कैसे प्लास्टिक से बनता है पेट्रोल और आप कैसे शुरू कर सकते हैं ये बिज़नेस।

बिहार केमुजफ्फरपुर में खुला प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने वाला प्लांट बिहार का पहला प्लांट है। इसे कुढ़नी प्रखंड के खरौना डीह गाँव में लगाया गया है। प्लांट का उद्घाटन मंत्री रामसूरत राय के द्वारा किया गया है। जिस शख्स ने प्लांट शुरू किया है उसने केंद्र सरकार की योजना PMEG के तहत लोन लेकर इसकी शुरुआत की है।

कैसे आया आईडिया

इस प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने वाले प्लांट के संचालक आशुतोष मंगलम ने कहा कि जब वो स्कूल में पढ़ते थे तब उन्होंने देश के पूर्व राष्ट्रपति को यह कहते सुना था कि प्लास्टिक डायमंड है इसका उपयोग सही तरीके से किया जाए तो यह वरदान साबित होगा। संचालक नगर निगम से 6 रुपए प्रति किलो के हिसाब से प्लास्टिक खरीदेंगें। एक दिन में प्लांट से 150 लीटर डीज़ल और 130 लीटर पेट्रोल का उत्पादन होगा। इसकी आपूर्ति किसानों और नगर निगम को होगी। एक लीटर पेट्रोल और डीज़ल को तैयार करने में GST के साथ 62 रुपए की लागत आएगी। और इसकी बिक्री 65 से 70 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से होगी

शुद्ध रहेगा ईंधन

संचालक का कहना है कि उनके प्लांट से बनाया गया ईंधन 100% शुद्ध रहेगा। पेट्रोल पंप में मिलने वाले पेट्रोल-डीज़ल से इसकी क्षमता बिकुल भी कम नहीं होगी, इस प्लांट से तैयार पेट्रोल और डीज़ल बेचने में सफलता मिलने के बाद प्रोडक्शन और बढ़ाया जाएगा।

कैसे प्लास्टिक से पेट्रोल बन जाता है

सबसे पहले प्लास्टिक को ब्यूटेन में परिवर्तित किया जाता है। प्रोसेस के बाद ब्यूटेन को आइसो ऑक्टेन में तब्दील किया जाता है। इसके बाद अगल-अलग प्रेशर और तापमान से आइसो ऑक्टेन को डीज़ल और पेट्रोल में बदल दिया जाता है।400 डिग्री सेल्सियस तापमान में डीज़ल और 800 डिग्री के तापमान में पेट्रोल का उत्पादन होता है। इस प्रक्रिया में 8 घंटे का समय लगता है।

तो सरकार क्यों नहीं बनाती

वैसे तो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम में प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने का सफल ट्रायल पूरा हो चूका है। बल्कि प्लास्टिक से बने डीज़ल और पेट्रोल में ऑक्टेन ज़्यादा होने से वाहन का माइलेज भी बढ़ेगा। अब आपके मन में ये सवाल होगा कि अगर प्लास्टिक से पेट्रोल बन सकता है और इतनी कम कीमत में बेचा जा सकता है तो सरकार क्यों अपना प्लांट नहीं डाल देती। दरअसल प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने की लागत सामान्य पेट्रोल की तुलना में ज़्यादा होती है। क्रूड ऑयल से बने पेट्रोल की बेस प्राइस ही 40 रुपए से कम है वो तो इतना टैक्स ठोंक दिया जाता है कि पेट्रोल डीज़ल इतना महंगा हो जाता है। प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने के लिए काफी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत रहती है,जिसमे एक कुकर नुमा प्रेशर मशीन में प्लास्टिक भरकर उसे उच्च तापमान में पिघलाया जाता है। जिससे निकलने वाली भाप को एक कंटेनर में इक्कठा किया जाता है। वही पेट्रोल होता है, अब ऊष्मा के लिए आपको LPG व फिर कोई दूसरा ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल करना होगा।

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